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2014-09-29

सुप्रभात

सुप्रभात

नया दिन नयी सुबह करिए नयी शुरूवात
जागो उठो खोलों पलकें हो गया प्रभात

मंद पवन के झोंके मदमस्त मीठी है बयार
देख बाँहें फैलाए प्रकृति दें रही अपना प्यार

मुट्ठी में बंद समेट रखने की न कर तैयारी
खुले हाथ लुटा दें बढ़ जायेगी दौलत सारी

तेरा मेरा उसका किसी के नही बस का
अपनी करनी कर स्वाद ले जीवन रस का

सुंदर ये दुनिया सुंदर दुनिया बनाने वाला
सुंदर इसे बनाए रखें इस जग में रहने वाला

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