2016-11-13

प्रधान मंत्री की दिल को छू लेने वाली 10 बातें

पंतप्रधान स्पर्श 10 गोष्टी
PM's touching 10 Things 
  • हम वादे नहीं इरादे लेकर आए हैं।
  • मुझे देश के लिए मरने का मौका तो नहीं मिला, लेकिन देश की सेवा करने का मौका अवश्य अवश्य मिला है।
  • मैं आपसे वादा करता हूं कि यदि आप 12 घंटे काम करोगे तो मैं 13 घंटे काम करुंगा, यदि आप 14 घंटे काम करोगे तो मैं 15 घंटे काम करूंगा। क्यों ? क्योंकि मैं कोई प्रधानमंत्री नहीं बल्कि प्रधान सेवक हूं।
  • मैं एक ऐसा भारत बनाऊंगा जहां सारे अमेरिकन भारत का वीजा लेने के लिए लाइन में खड़े रहेंगे।
  • यदि मैं नगर निगम का भी अध्यक्ष होता तो भी उतनी ही मेहनत से काम करता जितना प्रधानमंत्री होते हुए करता हूं।
  • एक गरीब परिवार का बेटा आज तुम्हारे सामने खड़ा है यही प्रजातंत्र की ताकत है।
  • मैं एक छोटा आदमी हूं जो छोटे लोगों के लिए कुछ बड़ा करना चाहता हूं।
  • यदि 125 करोड लोग एक साथ काम करें तो भारत 125 करोड कदम आगे बढ़ जाएगा।
  • हमारे पूर्वज सांपों के साथ खेलते थे और आज हम माउस के साथ खेलते हैं।
  • माना कि अंधेरा घना है लेकिन दीया जलाना कहां मना है।
  • इन 10 बातों के अलावा मोदी जी ने यह भी कहा कि मैं खामोश रहता हूं, क्योंकि अभी दुनिया को समझ रहा हूं समय जरुर लूंगा पर जिस दिन दाव खेलूंगा उस दिन खिलाड़ी भी मेरे होंगे और खेल भी मेरा।




राष्ट्र के नाम संदेश में मोदी जी ने भारत की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि जितना सहयोग आप से मिलेगा उतना शुद्धिकरण होगा। कालेधन को देश से नेस्तनाबूद कर दूंगा। मुझे यकीन है कि मेरे देश का नागरिक कठिनाई सहकर भी राष्ट्र निर्माण में योगदान देगा। तो आइए जाली नोटों का खेल खेलने वालों को नेस्तनाबूद कर दे, ताकि देश का धन देश के नागरिक के काम आ सके। मैं सवा सौ करोड़ देशवासियों की मदद से भ्रष्टाचार के खिलाफ इस लड़ाई को और आगे ले जाना चाहता हूं। देश के लिए देश का नागरिक कुछ दिनों के लिए यह कठिनाई झेल सकता है।

एक बार राज्यसभा में अपने संबोधन में मोदी जी ने एक कविता का गान किया था। उसके बोल कुछ इस प्रकार से थे :

सफर में धूप तो होगी

जो चल सको तो चलो

सभी हैं भीड़ में

तुम भी निकल सको तो चलो

किसी के वास्ते

राहें कहां बदलती है

तुम अपने आपको खुद ही बदल सको तो चलो

यहां किसी को कोई रास्ता नहीं देता

मुझे गिराकर तुम संभल सको तो चलो

यही है जिंदगी

कुछ ख्वाब कुछ उम्मीदें

इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो



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