2016-02-29

आम बजट 2016 लाइव अपडेट

नई दिल्ली। नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली एनडीए सरकार का दूसरा पूर्ण बजट संसद में पेश किया 
पढ़ें आम बजट का लाइव अपडेट -

- एक जून से कृषि कल्याण उपकर लगाया जाएगा
- ब्रांडेड कपड़े, पान मसाला महंगा - काला धन सामने लाने का एक और मौका मिलेगा
- छोटी-बड़ी सभी कारें महंगी - कोयला महंगा, सिगार, सिगरेट, गुटखा महंगा
- सोना, हीरे के गहने महंगे हुए - बीड़ी छोड़ सभी तंबाकू उत्पाद और सिगरेट पर उत्पाद शुल्क 10 प्रतिशत
से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया गया
- डीजल गाड़ी पर 2.5 प्रतिशत उपकर, छोटी गाड़ी पर 1 प्रतिशत उप कर
- एसयूवी पर टैक्स 4 प्रतिशत बढ़ा, सभी कारें महंगी होंगी
- 10 लाख रुपए से ज्यादा कीमत वाली कारों पर एक फीसदी टीडीएस

2016-02-27

तेरे डालर से भला,मेरा इक कलदार।

*** आधुनिक सच   ***

मियां-बीबी दोनों मिल खूब कमाते हैं
तीस लाख का पैकेज दोनों ही पाते हैं
सुबह आठ बजे नौकरियों परजाते हैं
रात  ग्यारह तक ही  वापिस आते  हैं
अपने परिवारिक रिश्तों से कतराते हैं
अकेले रह कर वह  कैरियर  बनाते हैं
कोई कुछ मांग न ले वो मुंह छुपाते हैं
भीड़ में रहकर भी अकेले रह जाते हैं

चंद्रशेखर आज़ाद

श्री चंद्रशेखर आज़ाद
देश की शान
★★★★★★★★★

17 वर्ष में ही चंद्रशेखर आजाद क्रांतिकारी दल ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ में सम्मिलित हो गए थे। उनकी फुर्ती और चंचल स्वभाव के कारण बिस्मिल जी ने उनका नाम ‘क्विक सिल्वर’ रखा था। देश को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले मां भारती के इस वीर सपूत को इनकी पुण्यतिथि के अवसर पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करें...!


दुश्मन की गोलियों का, हम सामना करेंगे।
आज़ाद ही रहे हैं, आज़ाद ही मरेंगे॥

2016-02-25

एलोवेरा जूस बनाने की विधि

एलोवेरा एक अत्यंत उपयोगी पौधा है, जिसे ग्वारपाठा, क्वारगंदल, घृतकुमारी, कुमारी, घी-ग्वारएलोवेरा के नामों से भी जाना जाता है। इसका रस शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, कोलेस्ट्राल कम करता है तथा रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है। 

बाजार में एलोवेरा जूस बहुत अधिक दामों पर मिलता है, जबकि आप घर पर इसका जूस आसानी से निकाल सकते हैं।

एलोवेरा जूस बनाने की विधि:

How to check BSNL Broadband Data Usage Online?

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2016-02-24

कर्मयोग क्या है ?

कर्मयोग से तात्पर्य -

“अनासक्त भाव से कर्म करना”। कर्म के सही स्वरूप का ज्ञान।
कर्मयोग दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘कर्म’ तथा ‘योग’ ।
कर्मयोग के सन्दर्भ ग्रन्थ – गीता, योगवाशिष्ठ एवं अन्य।

1. कर्मों का मनोदैहिक वर्गीकरण –

कर्म से तात्पर्य है कि वे समस्त मानसिक एवं शारीरिक क्रियाएँ । ये क्रियाएँ दो प्रकार की हो सकती है। ऐच्छिक एवं अनैच्छिक। अनैच्छिक क्रियायें वे क्रियाएं हैं जो कि स्वतः होती हैं जैसे छींकना, श्वास-प्रश्वास का चलना, हृदय का धड़कना आदि। इस प्रकार अनैच्छिक क्रियाओं के अन्तर्गत वे क्रियाएँ भी आती हैं जो कि जबरदस्ती या बलात् करवायी गयी हैं। ऐच्छिक क्रियाओं को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है –
वे क्रियाएँ या कर्म जो कि सोच-समझकर ज्ञानसहित अथवा विवेकपूर्वक किये गये हैं,

वे क्रियाएँ या कर्म जो कि भूलवशात् या अज्ञानवशात् अथवा दबाव में किये गये हों।

दोनों ही स्थितियों में किसी न किसी सीमा तक व्यक्ति इन क्रियायों के फल के लिये उत्तरदायी होता है।
कर्मयोग की व्याख्या में उपरोक्त क्रियाओं के विवेचन के अतिरिक्त कर्मों के अन्य वर्गीकरण को देखना भी आवश्यक होगा।

2016-02-23

हैलमेट क्यों पहनें ?

हैलमेट क्यों पहनें ?     हैलमेट क्यों जरूरी है?
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सवाल ट्रेफिक के नियम के पालन का नही है! यह विषय एक परिवार के भविष्य को बचाने का है! दुर्घटनाओं के आंकडे बताते हैं की सर्वाधिक मौतें सिर पर चोट के कारण होती है!
          अतएव कृपया हैलमेट पहनकर हमारे अभियान में शामिल हों और अपना व अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित करें!
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हैलमेट क्यों पहनें ?

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* सिर सलामत, सब सलामत!
* आप अपने मां बाप के लिये उनके बुढापे का सहारा हैं!
* आप पुलिस से बहस कर सकते है यमराज से नही
* हैलमेट चालान बचाने के लिए नहीं सिर बचाने के लिए है!
* क्योंकि सर्वाधिक मृत्यु
(90%)सड़क दुर्घट्नों में सिर पर चोट लगने के कारण होती है

नीरजा भनोट

नीरजा भनोट ने पैन एम की फ्लाइट 73 को कराची (पाकिस्तान) में हाईजैक कर लिए जाने के बाद 359 यात्रियों और क्रू की जान बचाई थी, लेकिन अपहरणकर्ताओं के हाथों खुद के प्राण नहीं बचा सकी... नीरजा ने फ्लाइट पर मौजूद अमेरिकी नागरिकों के पासपोर्ट छिपा दिए थे, ताकि अपहरणकर्ता उन्हें पहचानकर अलग कर सकें... इसके बाद मौका मिलने पर नीरजा ने सभी यात्रियों को विमान से बाहर निकलने में मदद की, लेकिन अंत में कुछ बच्चों को विमान से सुरक्षित निकालने की कोशिश के दौरान अपहरणकर्ताओं ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी... 


नीरजा के बारे में ज्‍यादातर लोग यही जानते हैं कि वह एक अपह्रत विमान में एयरहोस्‍टेस थी। और यात्रियों की जान बचाने में उसकी जान चली गई थी। ‘नीरजा’ की कहानी का यह उत्‍कर्ष उसके जीवन के दूसरे फैसलों का परिणाम है। 

2016-02-22

सठ सन विनय कुटिल सन प्रीती.

 "कितने मच्छर मारोगे हर घर से मच्छर निकलेगा".???

मैं शांति से बैठा अख़बार पढ़ रहा था, तभी कुछ मच्छरों ने आकर मेरा खून चूसना शुरू कर दिया। स्वाभाविक प्रतिक्रिया में मेरा हाथ उठा और अख़बार से चटाक हो गया और दो-एक मच्छर ढेर हो गए.!! फिर क्या था उन्होंने शोर मचाना शुरू कर दिया कि मैं असहिष्णु हो गया हूँ.!! मैंने कहा तुम खून चूसोगे तो मैं मारूंगा.!! इसमें असहिष्णुता की क्या बात है.??? वो कहने लगे खून चूसना उनकी आज़ादी है.!! "आज़ादी" शब्द सुनते ही कई बुद्धिजीवी उनके पक्ष में उतर आये और बहस करने लगे.!! इसके बाद नारेबाजी शुरू हो गई., "कितने मच्छर मारोगे हर घर से मच्छर निकलेगा".???

बुद्धिजीवियों ने अख़बार में तपते तर्कों के साथ बड़े-बड़े लेख लिखना शुरू कर दिया.!! उनका कहना था कि मच्छर देह पर मौज़ूद तो थे लेकिन खून चूस रहे थे ये कहाँ सिद्ध हुआ है.?? और अगर चूस भी रहे थे तो भी ये गलत तो हो सकता है लेकिन 'देहद्रोह' की श्रेणी में नहीं आता, क्योंकि ये "बच्चे" बहुत ही प्रगतिशील रहे हैं., किसी की भी देह पर बैठ जाना इनका 'सरोकार' रहा है.!!

आत्मचिंतन करें

dog and donkyएक बार एक कुत्ते और गधे के बीच शर्त लगी कि जो जल्दी से जल्दी दौडते हुए दो गाँव आगे रखे एक सिंहासन पर बैठेगा... 
वही उस सिंहासन का अधिकारी माना जायेगा, और राज करेगा.

जैसा कि निश्चित हुआ था, दौड शुरू हुई.
कुत्ते को पूरा विश्वास था कि मैं ही जीतूंगा.
क्योंकि ज़ाहिर है इस गधे से तो मैं तेज ही दौडूंगा.
पर अागे किस्मत में क्या लिखा है ... ये कुत्ते को मालूम ही नही था.
शर्त शुरू हुई .

2016-02-20

जाने जापान को



जापान

बुद्धा को मानने वाला देश जापान लगभग 6800 द्वीपो से मिलकर बना है इस देश का नाम कुछ भी नया करने में सबसे आगे रहता है यहां के लोग कितने मेहनती है इस बात का अंदाजा यही से लगाया जा सकता है कि दूसरे विश्वयुद्ध में अमेरिका जैसे देशो ने जोर लगा लिया था लेकिन जापान पीछे हटने को तैयार नही हुआ। 

आज हम जापान से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताएंगे जो शायद आप न जानते हो।

1. जापान में हर साल लगभग 1500 भुकंम्प आते है मतलब कि हर दिन चार.

2016-02-19

एसिडिटी का घरेलू उपचार

एसिडिटी का घरेलू उपचार Home remedy for acidity


1. एसिडिटी होने पर चाय काफी का सेवन कम कर देना चाहिए। ग्रीन टी का सेवन लाभप्रद होता है।
2. अधिक से अधिक हरी सब्जियों का खासकर जिन सब्जियों में विटामिन बी और ई हो, सेवन करना चाहिए। जैसे की सहजन, बीन्स, कद्दू, पत्ता गोभी, प्याज और गाजर।
3. खाना खाने के बाद तरल पेय का सेवन न करें। आधे घंटे के बाद ही गुनगुना नीबू पानी पियें।
4. खाने में केला,खीरा,,ककड़ी, तरबूज, नारियल पानी धनिये पुदीने की चटनी और बादाम की शिकंजी का सेवन करना चाहिए।

2016-02-18

छत्रपती शिवाजी महाराज

छत्रपती शिवाजी महाराज / Shivaji Maharaj

शिवाजी जयंती, शिवाजी महाराज , मराठा के महान शासक , मराठा राष्ट्र के निर्माता के रूप में जाना जाता है । 19 फ़रवरी को, अपने जन्मदिन महाराष्ट्र में भव्य पैमाने पर मनाया जाता है। शिवाजी माता-पिता शाहजी भोंसले और जीजाबाई देवी शिवाय की याद के रूप में शिवाजी रूप में उसे नाम दिया है। शिवाजी कोंकण, मयाल और देश क्षेत्रों के मराठा प्रमुखों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । उनका नागरिक प्रशासन और सेना के महान महत्व के थे । शिवाजी विदेशी शक्तियों को हराने के माध्यम से एक राज्य के बाहर नक्काशी में बहुत सफल रहा था । महाराज का सम्मान करने के लिए, इस त्योहार हर साल बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। शिवाजी जयंती का मुख्य आकर्षण नर्तकियों जो लेज़िम्स के रूप में जाना एक पारंपरिक संगीत यंत्र की भूमिका के साथ रंगीन जुलूस है । लोगों की भारी संख्या महान जुनून के साथ इस त्योहार में भाग लेने और शिवाजी और उसके साथियों को इसी तरह के कपड़े पहनते हैं। कई कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया जाएगा जो शिवाजी की उपलब्धियों को याद करते हैं। उन्होंने न केवल महाराष्ट्र के लोगों के लिए बल्कि भारत के लिए एक हीरो है। वह एक अच्छे नेता थे और मुगल के खिलाफ लड़ द्वारा डेक्कन में हिन्दू राज्य की स्थापना की । शिवाजी उन में राष्ट्रीयता के माध्यम से पैदा मुगल शासक औरंगजेब के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया और संयुक्त आम आदमी । शिवाजी प्रशिक्षकों और ऐसे बाजी पासलकर और गोमजी नाइक के रूप में कमांडरों की मदद से एक सैन्य नेता के रूप में वृद्धि हुई। युवा शिवाजी , उत्साही प्रेरित और ऊर्जावान था।


शिवाजी उर्फ़ छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय शासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे. शिवाजी महाराज एक बहादुर, बुद्धिमान और निडर शासक थे. धार्मिक अभ्यासों में उनकी काफी रूचि थी. रामायण और महाभारत का अभ्यास वे बड़े ध्यान से करते थे.

2016-02-17

Freedom 251 smartphone

How to Book Freedom 251 Smartphone Online 

In what could revolutionizes India's affordable smartphone market, domestic handset maker Ringing Bells is all set to launch India’s most affordable smartphone ‘Freedom 251’ for mere Rs 251.



 Bookings for the Freedom 251 will begin on February 18 at 6 am and close on 21 February at 8pm. The company says deliveries will be completed by 30th June 2016.

Here's how you can book the smartphone.

Go to the company's website http://www.freedom251.com/. 

Key Features of Freedom 251 smartphone

Here are five key features of the Freedom 251 smartphone.

Display

The smartphone comes with 4 inch (10.2 cms) qHD IPS display.


2016-02-16

निस्वार्थ रहना या निस्वार्थ कर्म का क्या है?

निस्वार्थ रहना या निस्वार्थ कर्म का क्या है?


ऐसे कर्म का भाव ऐसी चीज है, जिसे धीरे-धीरे प्राप्त किया जा सकता है। यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे क्षण भर में समझा या प्राप्त किया जा सके। लंबे समय तक इसके साथ सजगता बनी रहनी चाहिए। यह गीता की अवधारणा है। कार्य कौन संपादित करता है? शरीर, मन या आत्मा? गीता में इसका उत्तर दिया गया है। तदनुसार शरीर के अंदर बैठी आत्मा कार्य संपादित कर रही है। इस संदर्भ में कार और चालक की उपमा प्रासंगिक है। कार को कौन चलाता है? एक कार सिर्फ धातुओं से बनी एक संरचना है, जिसमें गियर और इंजन लगी है। 
 

2016-02-13

भगवान में विश्वास

भगवान में विश्वास

स्वामी विवेकानंद का सम्पूर्ण जीवन एक दीपक के समान है जो हमेशा अपने प्रकाश से इस संसार को जगमगाता रहेगा और उनका जीवन सदा हम लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

एक बार स्वामी विवेकानंद ट्रेन से यात्रा कर रहे थे और हमेशा की तरह भगवा कपडे और पगड़ी पहनी हुई थी। ट्रेन में यात्रा कर रहे एक अन्य यात्री को उनका ये रूप बहुत अजीब लगा और वो स्वामी जी को कुछ अपशब्द कहने लगा बोला – तुम सन्यासी बनकर घूमते रहते हो कुछ कमाते धमाते क्यों नहीं हो, तुम लोग बहुत आलसी हो, लेकिन स्वामी जी दयावान थे उन्होंने उसकी तरफ बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया और हमेशा की तरह चेहरे पे तेज लिए मुस्कुराते रहे ।

2016-02-11

लांसनायक श्री हनुमनथप्पा जी को समर्पित

ऐसे देश के वीरो कोदिल से सलाम:' हनुमंतथपपा जी को शत शत नमन''

||लांसनायक श्री हनुमनथप्पा जी को समर्पित ||

“छोड़ चला है पुनः कोई
आज हमें इन वीरानों में
आँखे नम हो आयी है फिर से
उन सरहद के बलिदानों से ,

कर गए नाम अमर तुम अपना
सरहद पे कर्त्तव्य निभा करके
हर पल सींचा है इस देश को
तुमने खुद का लहू बहा करके ,


लांस नायक हनुमनथप्पा अमर रहेंगे

लांस नायक हनुमनथप्पा अमर रहेंगे: 

35 फीट गहरी बर्फ से 6 दिन बाद जब हनुमनथप्पा जीवित निकले तो वो एक चमत्कार बन गए। अफसोस ये चमत्कार एक कहानी तो दे गया लेकिन उसे भरपूर कोशिशों के बाद भी बचाया नहीं जा सका। सियाचिन के बहादुर सिपाही लांस नायक हनुमनथप्पा आज पूरे देश की उम्मीदों को तोड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए। तीन दिन की दिन रात कोशिशों के बाद भी डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके। 33 साल क लांस नायक हनुमनथप्पा ने आज सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर दिल्ली के आर आर अस्पताल में आखिरी सांस ली।

लघु कथा - माँ का बेटा - संस्कार

गाँव के कुएँ पर 3 महिलाएँ पानी भर रही थीं।
तभी एक महिला का बेटा वहाँ से गुजरा।
उसकी माँ बोली---" वो देखो, मेरा बेटा,
                             इंग्लिश मीडियम में है। "

थोड़ी देर बाद दूसरी महिला का पुत्र गुजरा।
उसकी माँ बोली---" वो देखो मेरा बेटा,
                             सीबीएसई में है। "

बसन्त पंचमी का महत्व

जानिए क्या है वसंत ऋतु और बसन्त पंचमी का महत्व !!!! 

बसन्त पंचमी पर्व का महत्व:-

The importance of Basant Panchami --

वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नयी उमंग से सूर्योदय होता है और नयी चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है। यों तो माघ का यह पूरा मास ही उत्साह देने वाला है, पर वसंत पंचमी (माघ शुक्ल 5) का पर्व भारतीय जनजीवन को अनेक तरह से प्रभावित करता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है। जो शिक्षाविद भारत और भारतीयता से प्रेम करते हैं, वे इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं। कलाकारों का तो कहना ही क्या? जो महत्व सैनिकों के लिए अपने शस्त्रों और विजयादशमी का है, जो विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों और व्यास पूर्णिमा का है, जो व्यापारियों के लिए अपने तराजू, बाट, बहीखातों और दीपावली का है, वही महत्व कलाकारों के लिए वसंत पंचमी का है। चाहे वे कवि हों या लेखक, गायक हों या वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सब दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं।

वसंत उत्तर भारत तथा समीपवर्ती देशों की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है, जो फरवरी मार्च और अप्रैल के मध्य इस क्षेत्र में अपना सौंदर्य बिखेरती है। ऐसा माना गया है कि माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आरंभ होता है। फाल्गुन और चैत्र मास वसंत ऋतु के माने गए हैं। फाल्गुन वर्ष का अंतिम मास है और चैत्र पहला । इस प्रकार हिंदू पंचांग के वर्ष का अंत और प्रारंभ वसंत में ही होता है। इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है। मौसम सुहावना हो जाता है। पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं। आम बौरों से लद जाते हैं और खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं अतः राग रंग और उत्सव मनाने के लिए यह ऋतु सर्वश्रेष्ठ मानी गई है और इसे ऋतुराज कहा गया है।

2016-02-10

क्रोध आए तो किसी पर क्रोधित होने की जरूरत नहीं

क्रोध 

जब भी आपको क्रोध आए तो किसी पर क्रोधित होने की जरूरत नहीं, सिर्फ क्रोधित हो जाएं. इसे एक ध्यान बना लें. 

कमरा बंद कर लें, अकेले बैठ जाएं और जितना क्रोध आए, आने दें. यदि मारने - पीटने क भाव आए तो एक तकिया लें और तकिए को मारे - पीटें. जो करना हो, तकिए के साथ करें, वह कभी मना नहीं करेगा. यदि तकिए को मार डालना चाहें तो एक चाकू लें और तकिए को मार डालें !


कविता - नि:शुल्क है

किन्ही सज्जन ने बहुत सुंदर पंकितयाँ लिखी हैं....

यह नदियों का मुल्क है,
पानी भी भरपूर है ।
बोतल में बिकता है,
पन्द्रह रू शुल्क है।

यह शिक्षकों का मुल्क है,
स्कूल भी खूब हैं।
बच्चे पढने जाते नहीं,
पाठशालाएं नि:शुल्क है।

2016-02-09

क्लब-वन नॉन-स्टॉप बस

हरेक सीट पर 18 इंच की टच स्क्रीन के साथ डीटीएच कनेक्शन, रेफ्रीजरेटर, माइक्रोवेव, कॉफी वेंडिंग मशीन, टॉयलेट, मनोरंजन के लिए 50 फिल्में और 5000 गीतों का मजा, वाई-फाई...जैसी सुविधाओं से लैस यह नजारा किसी विमान का नहीं, बल्कि गुजरात की एक बस का है।

बस में एयर हॉस्टेस भी...

2016-02-05

IPL 9 - 2016 Time Table (Schedule)

The Indian Premier League (IPL) is a professional Twenty20 cricket league in India contested annually by franchise teams representing Indian cities

CRICKET (IPL 9) - 2016
IPL 2016 Schedule
Schedule :

 011.04.2016 - KKR vs MI
 012.04.2016 -  pun vs DD
 13.04.2016- KXIP vs Raj
 14.04.2016- pun vs SRH
 14.04.2016 - KKR vs RCB
 15.04.2016 - DD vs Raj
 15.04.2016 - MI vs KXIP
 16.04.2016- RCB vs SRH
 17.04.2016- Raj vs MI

Sri Lankan people visit 39 countries without prior visa

Sri Lankan people can visit about 39 countries and places without any prior visa plans or preparations. Visa requirements for Sri Lanka nationals are administrative entry restrictions placed on citizens of Sri Lanka by the authorities of other states so this means that the they whichever enter those 39 countries without visa or get visa on arrival.

Sri  Lanka ranked 88th most valuable passport in the world.

Below are over 39 countries Sri Lankans can visit without visa

Bahamas: Visa not required – 3 months.

Barbados: Visa not require – 6 months

Bolivia: Visa on arrival – 90 days.


ICC T20 World Cup 2016 Timetable

International Cricket Council (ICC)  announced the groups and schedule of the ICC World Twenty20 India 2016, which will be staged across eight venues in India from 8 March to 3 April.

The group winners will join Australia, England, New Zealand, Pakistan, South Africa, Sri Lanka, West Indies and host India in the Super 10 stage, which will be played alongside the women’s event from 15-28 March.

Green team, Pakistan 2009 champions World T20, will take on the Group A winner in Kolkata on 16 March, before locking horns with traditional rival India in Dharamsala on 19 March. Its remaining two matches will be in Mohali against New Zealand and Australia on 22 and 25 March, respectively.


2016-02-03

प्रेम का मिलन

सधे हुए
होठों को
बाँसुरी बजाने दो।
मोरपंख
रत्नजड़ित
मुकुट पे सजाने दो।
जीवन भर
विष पीकर
मीरा ने पद गाये ,
जन्मों के
अन्धे हम
सूरदास कहलाये ,

बाँट कर खानेवाला कभी भूखा नहीं मरता

एक डलिया में संतरे बेचती बूढ़ी औरत से एक युवा अक्सर संतरे खरीदता ।
अक्सर, खरीदे संतरों से एक संतरा निकाल उसकी एक फाँक चखता और कहता, "ये कम मीठा लग रहा है, देखो !"
बूढ़ी औरत संतरे को चखती और प्रतिवाद करती "ना बाबू मीठा तो है!"
वो उस संतरे को वही छोड़,बाकी संतरे ले गर्दन झटकते आगे बढ़ जाता।
युवा अक्सर अपनी पत्नी के साथ होता था, एक दिन पत्नी नें पूछा "ये संतरे हमेशा मीठे ही होते हैं, पर यह
नौटंकी तुम हमेशा क्यों करते हो ?

महिलाओं के लिए आवश्यक सन्देश

अभी कल की बात है, मेरी एक मित्र ने बताया कि ऑफिस से थोड़ी दूर स्थित क्रैच जाते समय एक बाइक सवार अजनवी ने संदिग्ध रूप से पीछा किया. इससे वे भयभीत हो गई. जबकि यदि वे उसके बाइक का नंबर नोट करने का अभिनय भर करतीं तो शायद वो अजनवी ऐसी हरकत न करता....

नारी शक्तिऔर भी कई घटनाओं पर मैं अपनी महिला मित्रों और बहनों को साहस न छोड़ने की अपील करता हूं और कुछ टिप्स देता हूं-

महिलाओं के लिए आवश्यक

1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?
विशेषज्ञ का कहना है: जब आप लिफ़्ट में प्रवेश करें और आपको 13 वीं मंज़िल पर जाना हो, तो अपनी मंज़िल तक के सभी बटनों को दबा दें ! कोई भी व्यक्ति उस परिस्थिति में हमला नहीं कर सकता जब लिफ़्ट प्रत्येक मंजिल पर रुकती हो !

2016-02-02

बरगद यानी वट बृक्ष का औषधीय उपयोग

The medicinal use of Banyan tree

Banyan treeक्या आप जानते हैं कि बरगद यानी वट बृक्ष का पेड सैकडों रोगों की अचूक दवा भी है ....

बरगद का पेड़- हिंदू संस्कृति में वट वृक्ष यानी बरगद का पेड़ बहुत महत्त्व रखता है। इस पेड़ को त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु, महेश का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में वटवृक्ष के बारे में विस्तार से बताया गया है। वट वृक्ष मोक्षप्रद है और इसे जीवन और मृत्यु का प्रतीक माना जाता है। जो व्यक्ति दो वटवृक्षों का विधिवत रोपण करता है वह मृत्यु के बाद शिवलोक को प्राप्त होता है। इस पेड़ को कभी नहीं काटना चाहिए। मान्यता है कि निःसंतान दंपति बरगद के पेड़ की पूजा करें तो उन्हें संतान प्राप्ति हो सकती है।

1-आग से जल जाना - दही के साथ बड़ को पीसकर बने लेप को जले हुए अंग पर लगाने से जलन दूर होती है। जले हुए स्थान पर बरगद की कोपल या कोमल पत्तों को गाय के दही में पीसकर लगाने से जलन कम हो जाती है।

2 - बालों के रोग - बरगद के पत्तों की 20 ग्राम राख को 100 मिलीलीटर अलसी के तेल में मिलाकर मालिश करते रहने से सिर के बाल उग आते हैं। बरगद के साफ कोमल पत्तों के रस में, बराबर मात्रा में सरसों के तेल को मिलाकर आग पर पकाकर गर्म कर लें, इस तेल को बालों में लगाने से बालों के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
25-25 ग्राम बरगद की जड़ और जटामांसी का चूर्ण, 400 मिलीलीटर तिल का तेल तथा 2 लीटर गिलोय का रस को एकसाथ मिलाकर धूप में रख दें, इसमें से पानी सूख जाने पर तेल को छान लें। इस तेल की मालिश से गंजापन दूर होकर बाल आ जाते हैं और बाल झड़ना बंद हो जाते हैं।

बरगद की जटा और काले तिल को बराबर मात्रा में लेकर खूब बारीक पीसकर सिर पर लगायें। इसके आधा घंटे बाद कंघी से बालों को साफ कर ऊपर से भांगरा और नारियल की गिरी दोनों को पीसकर लगाते रहने से बाल कुछ दिन में ही घने और लंबे हो जाते हैं।

3 - नाक से खून बहना - 3 ग्राम बरगद की जटा के बारीक पाउडर को दूध की लस्सी के साथ पिलाने से नाक से खून बहना बंद हो जाता है। नाक में बरगद के दूध की 2 बूंदें डालने से नकसीर (नाक से खून बहना) ठीक हो जाती है।

4 - नींद का अधिक आना - बरगद के कड़े हरे शुष्क पत्तों के 10 ग्राम दरदरे चूर्ण को 1 लीटर पानी में पकायें, चौथाई बच जाने पर इसमें 1 ग्राम नमक मिलाकर सुबह-शाम पीने से हर समय आलस्य और नींद का आना कम हो जाता है।

5 - जुकाम - बरगद के लाल रंग के कोमल पत्तों को छाया में सुखाकर पीसकर रख लें। फिर आधा किलो पानी में इस पाउडर को 1 या आधा चम्मच डालकर पकायें, पकने के बाद थोड़ा सा बचने पर इसमें 3 चम्मच शक्कर मिलाकर सुबह-शाम चाय की तरह पीने से जुकाम और नजला आदि रोग दूर होते हैं और सिर की कमजोरी ठीक हो जाती है।

6 - हृदय रोग - 10 ग्राम बरगद के कोमल हरे रंग के पत्तों को 150 मिलीलीटर पानी में खूब पीसकर छानकर उसमें थोड़ी मिश्री मिलाकर सुबह-शाम 15 दिन तक सेवन करने से दिल की घड़कन सामान्य हो जाती है। बरगद के दूध की 4-5 बूंदे बताशे में डालकर लगभग 40 दिन तक सेवन करने से दिल के रोग में लाभ मिलता है।

7 - पैरों की बिवाई - बिवाई की फटी हुई दरारों पर बरगद का दूध भरकर मालिश करते रहने से कुछ ही दिनों में वह ठीक हो जाती है।

8 - कमर दर्द - कमर दर्द में बरगद़ के दूध की मालिश दिन में 3 बार कुछ दिन करने से कमर दर्द में आराम आता है। बरगद का दूध अलसी के तेल में मिलाकर मालिश करने से कमर दर्द से छुटकरा मिलता है।

9 - शक्तिवर्द्धक - बरगद के पेड़ के फल को सुखाकर बारीक पाउडर लेकर मिश्री के बारीक पाउडर मिला लें। रोजाना सुबह इस पाउडर को 6 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन से वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन आदि रोग दूर होते हैं।

10 - शीघ्रपतन - सूर्योदय से पहले बरगद़ के पत्ते तोड़कर टपकने वाले दूध को एक बताशे में 3-4 बूंद टपकाकर खा लें। एक बार में ऐसा प्रयोग 2-3 बताशे खाकर पूरा करें। हर हफ्ते 2-2 बूंद की मात्रा बढ़ाते हुए 5-6 हफ्ते तक यह प्रयोग जारी रखें। इसके नियमित सेवन से शीघ्रपतन, वीर्य का पतलापन, स्वप्नदोष, प्रमेह, खूनी बवासीर, रक्त प्रदर आदि रोग ठीक हो जाते हैं और यह प्रयोग बलवीर्य वृद्धि के लिए भी बहुत लाभकारी है।

11 - यौनशक्ति बढ़ाने हेतु  - बरगद के पके फल को छाया में सुखाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को बराबर मात्रा की मिश्री के साथ मिलाकर पीस लें। इसे एक चम्मच की मात्रा में सुबह खाली पेट और सोने से पहले एक कप दूध से नियमित रूप से सेवन करते रहने से कुछ हफ्तों में यौन शक्ति में बहुत लाभ मिलता है।

12 - नपुंसकता - बताशे में बरगद के दूध की 5-10 बूंदे डालकर रोजाना सुबह-शाम खाने से नपुंसकता दूर होती है। 3-3 ग्राम बरगद के पेड़ की कोंपले (मुलायम पत्तियां) और गूलर के पेड़ की छाल और 6 ग्राम मिश्री को पीसकर लुगदी सी बना लें फिर इसे तीन बार मुंह में रखकर चबा लें और ऊपर से 250 ग्राम दूध पी लें। 40 दिन तक खाने से वीर्य बढ़ता है और संभोग से खत्म हुई शक्ति लौट आती है।

13 - प्रमेह - बरगद के दूध की पहले दिन 1 बूंद 1 बतासे डालकर खायें, दूसरे दिन 2 बतासों पर 2 बूंदे, तीसरे दिन 3 बतासों पर 3 बूंद ऐसे 21 दिनों तक बढ़ाते हुए घटाना शुरू करें। इससे प्रमेह और स्वप्न दोष दूर होकर वीर्य बढ़ने लगता है।

14 - वीर्य रोग में - बरगद के फल छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें। गाय के दूध के साथ यह 1 चम्मच चूर्ण खाने से वीर्य गाढ़ा व बलवान बनता है।

25 ग्राम बरगद की कोपलें (मुलायम पत्तियां) लेकर 250 मिलीलीटर पानी में पकायें। जब एक चौथाई पानी बचे तो इसे छानकर आधा किलो दूध में डालकर पकायें। इसमें 6 ग्राम ईसबगोल की भूसी और 6 ग्राम चीनी मिलाकर सिर्फ 7 दिन तक पीने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है। बरगद के दूध की 5-7 बूंदे बताशे में भरकर खाने से वीर्य के शुक्राणु बढ़ते है।

15 - उपदंश (सिफलिस) - बरगद की जटा के साथ अर्जुन की छाल, हरड़, लोध्र व हल्दी को समान मात्रा में लेकर पानी में पीसकर लेप लगाने से उपदंश के घाव भर जाते हैं। बरगद का दूध उपदंश के फोड़े पर लगा देने से वह बैठ जाती है। बड़ के पत्तों की भस्म (राख) को पान में डालकर खाने से उपदंश रोग में लाभ होता है।

16 - पेशाब की जलन - बरगद के पत्तों से बना काढ़ा 50 मिलीलीटर की मात्रा में 2-3 बार सेवन करने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है। यह काढ़ा सिर के भारीपन, नजला, जुकाम आदि में भी फायदा करता है।

17 - स्तनों का ढीलापन - बरगद की जटाओं के बारीक रेशों को पीसकर बने लेप को रोजाना सोते समय स्तनों पर मालिश करके लगाते रहने से कुछ हफ्तों में स्तनों का ढीलापन दूर हो जाता है। बरगद की जटा के बारीक अग्रभाग के पीले व लाल तन्तुओं को पीसकर लेप करने से स्तनों के ढीलेपन में फायदा होता है।

18 - गर्भपात होने पर - 4 ग्राम बरगद की छाया में सुखाई हुई छाल के चूर्ण को दूध की लस्सी के साथ खाने से गर्भपात नहीं होता है। बरगद की छाल के काढ़े में 3 से 5 ग्राम लोध्र की लुगदी और थोड़ा सा शहद मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से गर्भपात में जल्द ही लाभ होता है। योनि से रक्त का स्राव यदि अधिक हो तो बरगद की छाल के काढ़ा में छोटे कपड़े को भिगोकर योनि में रखें। इन दोनों प्रयोग से श्वेत प्रदर में भी फायदा होता है।

19 - योनि का ढीलापन - बरगद की कोपलों के रस में फोया भिगोकर योनि में रोज 1 से 15 दिन तक रखने से योनि का ढीलापन दूर होकर योनि टाईट हो जाती है।

20 - गर्भधारण करने हेतु - पुष्य नक्षत्र और शुक्ल पक्ष में लाये हुए बरगद की कोपलों का चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में मासिक-स्राव काल में प्रात: पानी के साथ 4-6 दिन खाने से स्त्री अवश्य गर्भधारण करती है, या बरगद की कोंपलों को पीसकर बेर के जितनी 21 गोलियां बनाकर 3 गोली रोज घी के साथ खाने से भी गर्भधारण करने में आसानी होती है।

21 - गर्भकाल की उल्टी - बड़ की जटा के अंकुर को घोटकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से सभी प्रकार की उल्टी बंद हो जाती है।

22 - रक्तप्रदर - 20 ग्राम बरगद के कोमल पत्तों को 100 से 200 मिलीलीटर पानी में घोटकर रक्तप्रदर वाली स्त्री को सुबह-शाम पिलाने से लाभ होता है। स्त्री या पुरुष के पेशाब में खून आता हो तो वह भी बंद हो जाता है।

10 ग्राम बरगद की जटा के अंकुर को 100 मिलीलीटर गाय के दूध में पीसकर और छानकर दिन में 3 बार स्त्री को पिलाने से रक्तप्रदर में लाभ होता है। बरगद के दूध की 5-7 बूंदे बताशे में भरकर खाने से रक्तप्रदर मिट जाता है।

23 - भगन्दर - बरगद के पत्ते, सौंठ, पुरानी ईंट के पाउडर, गिलोय तथा पुनर्नवा की जड़ का चूर्ण समान मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर लेप करने से भगन्दर के रोग में फायदा होता है।

24 - बादी बवासीर - 20 ग्राम बरगद की छाल को 400 मिलीलीटर पानी में पकायें, पकने पर आधा पानी रहने पर छानकर उसमें 10-10 ग्राम गाय का घी और चीनी मिलाकर गर्म ही खाने से कुछ ही दिनों में बादी बवासीर में लाभ होता है।

25 - खूनी बवासीर - बरगद के 25 ग्राम कोमल पत्तों को 200 मिलीलीटर पानी में घोटकर खूनी बवासीर के रोगी को पिलाने से 2-3 दिन में ही खून का बहना बंद होता है। बवासीर के मस्सों पर बरगद के पीले पत्तों की राख को बराबर मात्रा में सरसों के तेल में मिलाकर लेप करते रहने से कुछ ही समय में बवासीर ठीक हो जाती है।
बरगद की सूखी लकड़ी को जलाकर इसके कोयलों को बारीक पीसकर सुबह-शाम 3 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ रोगी को देते रहने से खूनी बवासीर में फायदा होता है। कोयलों के पाउडर को 21 बार धोये हुए मक्खन में मिलाकर मरहम बनाकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से बिना किसी दर्द के दूर हो जाते हैं।

26 - खूनी दस्त - दस्त के साथ या पहले खून निकलता है। उसे खूनी दस्त कहते हैं। इसे रोकने के लिए 20 ग्राम बरगद की कोपलें लेकर पीस लें और रात को पानी में भिगोंकर सुबह छान लें फिर इसमें 100 ग्राम घी मिलाकर पकायें, पकने पर घी बचने पर 20-25 ग्राम तक घी में शहद व शक्कर मिलाकर खाने से खूनी दस्त में लाभ होता है।

27 - दस्त - बरगद के दूध को नाभि के छेद में भरने और उसके आसपास लगाने से अतिसार (दस्त) में लाभ होता है। 6 ग्राम बरगद की कोंपलों को 100 मिलीलीटर पानी में घोटकर और छानकर उसमें थोड़ी मिश्री मिलाकर रोगी को पिलाने से और ऊपर से मट्ठा पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं।
बरगद की छाया मे सुखाई गई 3 ग्राम छाल को लेकर पाउड़र बना लें और दिन मे 3 बार चावलों के पानी के साथ या ताजे पानी के साथ लेने से दस्तों में फायदा मिलता है। बरगद की 8-10 कोंपलों को दही के साथ खाने से दस्त बंद हो जाते हैं।

28 - आंव - लगभग 5 ग्राम की मात्रा में बड़ के दूध को सुबह-सुबह पीने से आंव का दस्त समाप्त हो जाता है।

29 - मधुमेह - 20 ग्राम बरगद की छाल और इसकी जटा को बारीक पीसकर बनाये गये चूर्ण को आधा किलो पानी में पकायें, पकने पर अष्टमांश से भी कम बचे रहने पर इसे उतारकर ठंडा होने पर छानकर खाने से मधुमेह के रोग में लाभ होता है। लगभग 24 ग्राम बरगद के पेड़ की छाल लेकर जौकूट करें और उसे आधा लीटर पानी के साथ काढ़ा बना लें। जब चौथाई पानी शेष रह जाए तब उसे आग से उतारकर छाने और ठंडा होने पर पीयें। रोजाना 4-5 दिन तक सेवन से मधुमेह रोग कम हो जाता है। इसका प्रयोग सुबह-शाम करें।

30 - उल्टी - लगभग 3 ग्राम से 6 ग्राम बरगद की जटा का सेवन करने से उल्टी आने का रोग दूर हो जाता है।

31 - मुंह के छाले - 30 ग्राम वट की छाल को 1 लीटर पानी में उबालकर गरारे करने से मुंह के छाले खत्म हो जाते हैं।

32 - घाव - घाव में कीड़े हो गये हो, बदबू आती हो तो बरगद की छाल के काढ़े से घाव को रोज धोने से इसके दूध की कुछ बूंदे दिन में 3-4 बार डालने से कीड़े खत्म होकर घाव भर जाते हैं। साधारण घाव पर बरगद के दूध को लगाने से घाव जल्दी अच्छे हो जाते हैं। अगर घाव ऐसा हो जिसमें कि टांके लगाने की जरूरत पड़ जाती है। तो ऐसे में घाव के मुंह को पिचकाकर बरगद के पत्ते गर्म करके घाव पर रखकर ऊपर से कसकर पट्टी बांधे, इससे 3 दिन में घाव भर जायेगा, ध्यान रहे इस पट्टी को 3 दिन तक न खोलें। फोड़े-फुन्सियों पर इसके पत्तों को गर्मकर बांधने से वे शीघ्र ही पककर फूट जाते हैं।

33 - नासूर बरगद के दूध में सांप की केंचुली की राख मिलाकर और उसमें रूई भिगोकर नासूर पर रखें। दस दिन तक इसी प्रकार करने से नासूर में लाभ मिलता है।

34 फोड़े-फुंसियों के लिए    बरगद के पेड़ के दूध को फोड़े पर लगाने से फोड़ा पककर फूट जाता है। बरगद के नये पत्तों को आग के ऊपर से ही हल्का-सा गर्म करके उसके ऊपर थोड़ा-सा तेल लगाकर बांधने से फोड़े फुंसियां ठीक हो जाती हैं।

35 - कुष्ठ (कोढ़) - रात के समय बरगद के दूध का लेप करने तथा कोढ़ पर बरगद की छाल का चूर्ण बांधने से 7 दिन में ही कोढ़ और रोमक शांत हो जाता है।

36 - रसौली - कूठ व सेंधानमक को बरगद के दूध में मिलाकर लेप करें, तथा ऊपर से छाल का पतला टुकड़ा बांध दें, इसे 7 दिन तक 2 बार उपचार करने से बढ़ी हुआ गांठ दूर हो जाती है। गठिया, चोट व मोच पर बरगद का दूध लगाने से दर्द जल्दी कम होता है।

37 - खुजली - बरगद के आधा किलो पत्तों को पीसकर, 4 किलो पानी में रात के समय भिगोकर सुबह ही पका लें। एक किलो पानी बचने पर इसमें आधा किलो सरसों का तेल डालकर दोबारा पकायें, तेल बचने पर छानकर रख लें, इस तेल की मालिश करने से गीली और खुश्क दोनों प्रकार की खुजली दूर होती है।

38 - दांत मजबूत करना - बरगद की पेड़ की टहनी या इसकी शाखाओं से निकलने वाली जड़ की दातुन करने से दांत मजबूत होते हैं।

39 - दांत के कीड़े - कीड़े लगे या सड़े हुए दांतों में बरगद का दूध लगाने से कीड़े तथा पीड़ा दूर हो जाती है।

40 - दांत दर्द - 10 ग्राम बरगद की छाल, कत्था और 2 ग्राम कालीमिर्च इन तीनों को खूब बारीक पाउडर बनाकर मंजन करने से दांतों का हिलना, मैल, बदबू आदि रोग दूर होकर दांत साफ हो जाते हैं। दांत के दर्द पर बरगद का दूध लगाने से दर्द दूर हो जाता है। इसके दूध में एक रूई की फुरेरी भिगोकर दांत के छेद में रख देने से दांत की बदबू दूर होकर दांत ठीक हो जाते हैं तथा दांत के कीड़े भी दूर हो जाते हैं। अगर किसी दांत को निकालना हो तो उस दांत पर बरगद का दूध लगाकर दांत को आसानी से निकाला जा सकता है। बरगद के पेड़ की जटा से मंजन करने से दांतों के कीड़े खत्म हो जाते हैं। बरगद की कोमल लकड़ी की दातुन से पायरिया खत्म हो जाता है। बरगद का दूध दांतों में लगाने, मसूढ़ों पर मलने से उनका दर्द दूर हो जाता है। बरगद की छाल के काढ़े से कुछ समय तक रोजाना गरारे करने से दांत मजबूत हो जाते हैं। बरगद के पेड़ का दूध निकालकर दांतों लगाने से दांतों का दर्द खत्म हो जाता है। बरगद की छाल को पीसकर दांतों के नीचे रखें। इससे दांतों का दर्द खत्म हो जाता है।

41 - दर्द व सूजन में - बरगद के पत्तों पर घी चुपड़कर बांधने से सूजन दूर हो जाती है।

42 - गठिया - गठिया के दर्द में बरगद के दूध में अलसी का तेल मिलाकर मालिश करने से लाभ मिलता है।

42 - दमा - दमा के रोगी को बड़ के पत्ते जलाकर उसकी राख 240 मिलीग्राम पान में रखकर खाने से लाभ मिलता है।


भारत में बरगद के वृक्ष को एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इस वृक्ष को 'वट' के नाम से भी जाना जाता है। यह एक सदाबहार पेड़ है, जो अपने प्ररोहों के लिए विश्वविख्यात है। इसकी जड़ें ज़मीन में क्षैतिज रूप में दूर-दूर तक फैलकर पसर जाती है। इसके पत्तों से दूध जैसा पदार्थ निकलता है। 


बरगद एक विशाल, ऊँचा और बहुत बड़े क्षेत्र में फैलने वाला वृक्ष है। इसकी ऊँचाई 20 मीटर से 30 मीटर तक हो सकती है। प्राय: यह देखा गया है कि जंगल में स्वत: विकसित बरगद के तने अधिक मोटे नहीं होते। इसके विपरीत खुले एवं सूखे स्थानों पर पाये जाने वाले बरगद के तने अधिक मोटे होते हैं। इसका तना ऊपर उठकर अनेक शाखाओं और उपशाखाओं में विभक्त हो जाता है। इसकी शाखाओं और उपशाखाओं की एक विशेषता यह है कि ये चारों ओर फैली होती हैं। तने और शाखाओं की मोटाई एवं स्वरूप पर इसकी आयु का प्रभाव पड़ता है। छोटे और नये बरगद के वृक्षों का तना गोल और शाखाएँ चिकनी होती हैं तथा पुराने वृक्षों के तने और शाखाएँ खुरदरे एवं पपड़ी वाले होते हैं। इस प्रकार के वृक्षों के तनों के लम्बे, चौड़े घेरे गोल न होकर अनेक तारों जैसी जटाओं का समूह सा लगते हैं।

जटाएँ

बरगद की शाखाओं से जटाएँ निकलती हैं। आरम्भ में ये पतली होती हैं और नीचे की ओर झूलती रहती हैं। कुछ समय के बाद ये जमीन तक पहुँच जाती हैं और जमीन के भीतर से खाद्य रस लेने लगती हैं। धीरे धीरे इनका विकास होता है और एक लम्बे समय के बाद ये तने के समान मोटी, कठोर और मजबूत हो जाती हैं तथा वृक्ष का बोझ उठाने के लायक हो जाती हैं। बहुत पुराने बरगद के वृक्ष जटाओं से अपनी काया का बहुत अधिक विस्तार कर लेते हैं और एक लम्बे चौड़े क्षेत्र में फैल जाते हैं। इनके तनों और जटाओं में गुफा सी बन जाती है, जिनमें व्यक्ति बैठ सकते हैं या फिर सो सकते हैं। बरगद को इसकी लम्बी लम्बी जटाओं के कारण ही जटाजूटधारी महात्मा कहा जाता है।

पत्तियाँ

बरगद की पतली डालियों पर सभी तरफ बड़े और गोलाई लिए हुए अंडाकार पत्तियाँ निकलती हैं। किंतु एक स्थान से केवल एक पत्ती ही निकलती है। पत्तों की लंबाई 10 सेंटीमीटर से 20 सेंटीमीटर तथा चौड़ाई 5 सेंटीमीटर से 13 सेंटीमीटर तक होती है। बरगद के पत्ते काफ़ी मोटे होते हैं एवं एक छोटे से मजबूत डंठल द्वारा डाल से जुड़े रहते हैं। पत्ते एक तरफ से चिकने होते हैं और इनका रंग गहरा हरा होता है। पत्तों के दूसरी ओर का भाग चिकना नहीं होता और रंग हल्का हरा होता है। नये पत्ते प्राय: फ़रवरी-मार्च में निकलते हैं। कभी कभी सितम्बर-अक्टूबर में भी नये पत्ते निकल आते हैं। नये पत्ते लाली लिये हुए और बहुत ही सुन्दर होते हैं।

फल

वृक्ष पर गर्मियों के मौसम में फल आते हैं। सामान्यत: फ़रवरी से मई के मध्य में फल आते हैं और पकते हैं। कभी कभी सितम्बर तक ये फल देखे जा सकते हैं। कुछ स्थानों पर बरगद में विलम्ब से फल निकलते हैं और दिसम्बर तक बने रहते हैं। इसके फल छोटे, गोल और डंठल विहीन होते हैं। ये शाखाओं पर उन्हीं स्थानों पर निकलते हैं, जहाँ पत्ते निकलते हैं। इसके फल जोड़े में निकलते हैं एवं पास-पास और घने होते हैं। वास्तव में बरगद का फल एक विशेष प्रकार का पुष्प समूह होता है, जो गोल आकार लेकर फल बन जाता है। बरगद के फल के भीतर बहुत छोटे छोटे कीड़े होते हैं, इन्हें अंजीर कीट कहते हैं। इन कीड़ों के अभाव में बरगद का वृक्ष बीज उत्पन्न नहीं कर सकता। ये कीड़े एक फूल से दूसरे फूल में घुसते हैं, जिससे फूल के नर मादा क्षेत्र एक दूसरे के सम्पर्क में आते हैं और परागण की क्रिया पूरी होती है।

नित नित नूतन स्वांग करें


व्हाट्स एप्प पर प्राप्त एक पोस्ट :



आओ मिलकर आग लगाएं,नित नित नूतन स्वांग करें,
पौरुष की नीलामी कर दें,आरक्षण की मांग करें,
पहले से हम बंटे हुए हैं,और अधिक बंट जाएँ हम,
100 करोड़ हिंदुस्तानी है,मिलकर इक दूजे को खाएं हम,
देश मरे भूखा चाहे पर अपना पेट भराओ जी,
शर्माओ मत,भारत माँ के बाल नोचने आओ जी,
तेरा हिस्सा मेरा हिस्सा,किस्सा बहुत पुराना है,
हिस्से की रस्साकसियों में भूल नही ये जाना है,

New PAN rules - from January 1, 2016

New PAN rules -  from January 1, 2016 

Here are the key facts about the new PAN rules:  All you need to know
Pan rules



  • -The notification said PAN would be mandatory for payments of more than Rs 50,000 for cash cards or prepaid instruments as well as for acquiring shares of unlisted companies for Rs 1 lakh and above.
  • -Furnishing PAN card will be mandatory for cash transactions such as hotel or foreign travel bills exceeding Rs 50,000.
  • -PAN will also be mandatory on purchase of immovable property of over Rs 10 lakh. This will be a relief to small home buyers as previously the government had proposed to make PAN mandatory for property worth Rs 5 lakh.
  • -Quoting of Permanent Account Number (PAN) will also be mandatory for term deposits exceeding Rs 50,000 at one go or Rs 5 lakh in a year with banks, Post Offices and NBFCs. 

Balwant Singh Bakhasar ठाकुर बलवंत सिंह बाखासर

ठाकुर बलवंत सिंह बाखासर

60-70वे दशक मे पश्चिमी राजस्थान के रॉबिन हुड

बलवँत सिँह बाखासर  राजस्थान के लिए , भारतीय सेना के लिए,एक जाना पहचाना नाम है . भारत की आजादी के बाद 60-70वे दशक मे पश्चिमी राजस्थान में ये काफी सक्रिय रहे थे. 

जीवन के प्रारम्भ में गुजरात व राजस्थान के सरकारी महकमे एवं  पुलिस विभाग के लिए डकैत लेकिन बाडमेर साँचोर ओर उत्तरी गुजरात के वाव थराद सीमावर्ती गाँवो के लिए वे आधुनिक रॉबिन हुड कहलाये .