2016-03-31

सिंहस्थ 2016, प्रमुख अखाड़ों की प्रवेशाई की तिथि एवं संभावित मार्ग घोषित

 "सिंहस्थ 2016" हेतू अखाड़ा परिषद एवं प्रशासन की बैठक में अखाड़ा परिषद की ओर से 10 प्रमुख अखाड़ों की प्रवेशाई (पेशवाई) की तिथि एवं संभावित मार्ग घोषित किये गये है। 

  
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा की प्रवेशाई 27 मार्च 2016 को, श्री पंचायती आव्हान अखाड़ा की 10 अप्रैल को, श्री तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा की प्रवेशाई 11 अप्रैल को, श्री पंचायती अग्नि अखाड़ा की 14 अप्रैल को, श्री पंचायती आनन्द अखाड़ा की 15 अप्रैल को, श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा की 17 अप्रैल को, श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा की 18 अप्रैल को, श्री पंच अटल अखाड़ा की 19 अप्रैल को, श्री निर्मल अखाड़ा की 19 अप्रैल को तथा श्री पंचायत बड़ा उदासीन अखाड़ा की 20 अप्रैल को प्रवेशाई निकलेगी। 

दिनांक 27-03-2016 को श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा की प्रवेशाई नीलगंगा से फ्रीगंज, चामुण्डा माता चौराहा, देवासगेट, मालीपुरा, दौलतगंज, कंठाल, सतीगेट, गोपाल मंदिर, ढाबा रोड़, दानीगेट, छोटा पुल, दत्त अखाड़ा से छावनी प्रवेश करने का मार्ग प्रस्तावित है। 

दिनांक 10-04-2016 को श्री पंचायती आव्हान  अखाड़ा की प्रवेशाई नीलगंगा से फ्रीगंज, चामुण्डा माता चौराहा, देवासगेट, मालीपुरा, दौलतगंज, कंठाल, सतीगेट, गोपाल मंदिर, ढाबा रोड़, दानीगेट, छोटा पुल, होते हुए दत्तअखाड़ा से छावनी प्रवेश करने का मार्ग प्रस्तावित है ।

2016-03-29

जीवन में पर्याप्त हो यह जरूरी नहीं

जीवन में पर्याप्त हो यह जरूरी नहीं पर जीवन में कुछ हो, इतना तो किया ही जा सकता है। जीवन मात्र ‘जीवन को अर्थ’ देने में एवं ‘जीवन के अर्थ’ को समझने में भी गुजार दिया जाए तो कम नहीं। सारा प्रयास मनुष्य बनने में भी लगा मान लिया जाए, तो भी यह कार्य हीरे तराशने से कम नहीं आंका जाना चाहिए। प्रकृति और मानव के पारस्परिक संबंध में केवल एक ही विमुखता है- प्रकृति में पर्याप्त है और मानव उससे असंतुष्ट। यह असंतोष विकराल रूप लेता हुआ कई और नए असंतोषों को कड़ी-दर-कड़ी में बांधता जाता है। जीवन इसी रोचक द्वंद्व पर टिका है- कि मनुष्य इस असंतोष से असमर्थता को समझते हुए विनम्रता ग्रहण करें या खुद में विनम्रता का संचार करते हुए अपना सामर्थ्य पहचानें।


श्री अक्रूरेश्वर महादेव

श्री अक्रूरेश्वर महादेव

कहाँ स्थित है?

उज्जयिनी स्थित चौरासी महादेव में से एक श्री अक्रूरेश्वर महादेव का मंदिर अंकपात क्षेत्र में राम जनार्दन मंदिर के पास स्थित है। अंकपात क्षेत्र के पीछे भी बड़ी रोचक कथा है। उज्जयिनी स्थित संदीपनी आश्रम भगवान कृष्ण की शिक्षास्थली है। आश्रम परिसर में ही एक कुंड है और माना जाता है कि इस कुंड के ज़रिये श्री कृष्ण अपने गुरु के लिए गोमती नदी को यहां तक लेकर आये इसलिए इसे गोमती कुंड कहा जाता है। इसी गोमती कुंड के जल से श्री कृष्ण अपनी पाटी (भोजपत्र) साफ किया करते थे। इस दौरान उनके लिखे अंक कुंड में गिरे थे और फलस्वरूप इस क्षेत्र को विद्वानो का क्षेत्र कहा जाने लगा। इसी कारण इस क्षेत्र को अंकपात कहा जाता है।


अंकपादाग्रतो लिंगम सप्त कल्पानुगं महत।
यस्य दर्शनमात्रेण शुभाम् बुद्धिः प्रजायते। ।


श्री अक्रूरेश्वर महादेव की कहानी शिव पार्वती की एकरूपता को वर्णित करती है। प्रस्तुत कहानी में क्रूर बुद्धि के दोषों को दर्शाया गया है और सौम्य बुद्धि की महत्ता दर्शाई गई है।

पौराणिक आधार एवं महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार माता पार्वती ने शक्ति रूप धारण किया था और वे अत्याधिक क्रोधित हो गईं थी। उस समय चर, अचर, देवता, किन्नर, समस्त गणों, इत्यादि ने उनकी प्रदक्षिणा एवं स्तुति की थी। केवल एक भृंगिरीट गण ने उन्हें नमस्कार नहीं किया था, ना ही स्तुति की थी। भृंगिरीट का कथन था कि वे शिवजी के पुत्र हैं और उनकी ही शरण में हैं, माँ पार्वती की नहीं। इस पर माता पार्वती ने क्रोधित हो भृंगिरीट को पृथ्वी लोक में दंड भुगतने का शाप दे दिया। माता के शाप से तुरंत ही भृंगिरीट पृथ्वी लोक पर गिर पड़ा। शाप से व्यथित हो भृंगिरीट पुष्कर द्वीप में जा तपस्या करने लगा। उसके कठिन तप से ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र, आदि उसके पास गए और उसके शाप के बारे में जानकर भगवान शंकर के पास पहुंचे और उन्हें सारा वृतांत कह सुनाया। तब भगवान शंकर ने भृंगिरीट से कहा कि तुम प्रजा को दुःख देने वाले तप को बंद करो। शापमुक्त होने के लिए तुम पार्वती जी की प्रार्थना करो, उनकी प्रसन्नता से ही तुम शाप मुक्त हो सकते हो।

शिवजी की बात सुन उसने श्रद्धापूर्वक माँ पार्वती की स्तुति की जिसके फलस्वरूप माता ने प्रसन्न हो कहा कि तुम महाकाल वन जाओ। वहाँ अंकपात क्षेत्र के आगे एक दिव्य लिंग है, उसके पूजन अर्चन करो। उस लिंग के दर्शन से तुम्हारी क्रूरता दूर होगी एवं बुद्धि निर्मल होगी। इससे तुम्हें पृथ्वी लोक से मुक्ति मिलेगी और पुनः कैलाश वास प्राप्त होगा। बलराम और कृष्ण ने भी क्रूर होकर कंस और केशी राक्षस का वध किया था। उसके पश्चात वे भी मथुरा से महाकाल वन आये थे और दिव्य लिंग का पूजन कर अक्रूर (सौम्य स्वभाव) हुए। तब माता की बात सुन भृंगिरीट महाकाल वन पहुंचा और बताये हुए दिव्य लिंग की आराधना की। उसके पूजन के फलस्वरूप लिंग में से अर्धनारीश्वर के रूप में शिव पार्वती प्रकट हुए। तब भृंगिरीट को ज्ञात हुआ कि शिव और पार्वती का सनातन देह एक ही है। इस तरह भृंगिरीट की बुद्धि निर्मल हुई और तभी से यह दिव्य लिंग अक्रूरेश्वर (अक्रूरेश्वर यानी बुद्धि को सौम्य करने वाले) कहलाया।

दर्शन लाभ
मान्यतानुसार श्री अक्रूरेश्वर महादेव के दर्शन करने से बुद्धि सौम्य होती है एवं क्रूरता कम होती है।

उज्जयिनी , अवंतिपुर आज, का उज्जैन

उज्जयिनी शब्द का अर्थ विजयिनी होता है, जिसका पाली समानांतर उज्जैनी है। वैसे उज्जयिनी संस्कृत शब्द है, इसका अर्थ इस प्रकार किया जा सकता है - उज् जयिनी, अर्थात उत्कर्ष के साथ विजय करने वाली। शिल लेखों में प्राकृत शब्द भी उजैनी ही देखा गया है। 



वहीं प्राचीन लेखकों द्वारा यूनानी शब्द ओझेन से इसका नाम उज्जैन रख दिया। स्कंद पुराण के अवंतिखंड के 25वें अध्याय में इसका वर्णन देखा जा सकता है। उसके अनुसार अवंती की राजधानी अवंतिपुर थी,जो उज्जयिनी कहलाती थी। अवंती के देव अध्यक्ष ने महादेव की त्रिपुरा या त्रिपुरी के शक्तिशाली राक्षक अध्यक्ष पर विजय प्राप्त करने के स्वरूप में अवंतिपुर का नाम उज्जयिनी कर दिया था। 

पुराणों के अनुसार उज्जैन के पूर्व में छह कल्पों में छह नाम थे। प्रथम कल्प में यह स्वर्णशृंगा कहलाती थी, द्वितीय में कुशस्थली, तृतीय में अवंतिका, चतुर्थ में अमरावती, पंचम में चूड़ामणि और छठे कल्प में इसका नाम पद्मावती रहा।

2016-03-28

श्री महाकालेश्वर मंदिर

भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से स्वयंभू दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर का स्थान प्रमुख है। तांत्रिक परम्परा में मात्र महाकाल को ही दक्षिण मूर्ति पूजा का महत्व प्राप्त है। इसका वर्णन महाभारत, स्कन्दपुराण, वराहपुराण, नृसिंह पुराण, शिवपुराण, भागवत, शिवलीलामृत आदि ग्रंथों में आता है। वर्तमान मंदिर तीन भाग में सबसे नीचे श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग’ उसके ऊपर ’श्री ओकारेश्वर’ एवं सबसे ऊपर श्री नागचंद्रेश्वर है। 

श्री महाकालेश्वर मंदिर के दक्षिण दिशा में श्री वृद्धमहाकालेश्वर एवं श्री सप्तऋषि के मंदिर हैं। इस मंदिर का वर्णन महाभारत, स्कन्द पुराण, वराहपुराण, नृसिंह पुराण, शिव पुराण, भागवत्, शिवलीलामृत आदि ग्रन्थां में तथा कथासरित्सागर, राजतरंगिणी, कादम्बरी, मेघदूत, रघुवंश आदि काव्यां में इस देवालय का अत्यन्त सुन्दर वर्णन दिया गया है। 

सिंहस्थ कुम्भ महापर्व उज्जैन 2016

सिंहस्थ 2016

22 अप्रैल 2016 से आरंभ होगा सिंहस्थ मेला,



इस बार सिंहस्थ का आयोजन 22 अप्रैल से 21 मई 2016 तक किया जाएगा। सिंहस्थ संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी

शाही स्नान : सिंहस्थ का प्रथम स्नान 22 अप्रैल को होगा। 

शाही स्नान 21 मई, अन्य स्नान 9, 11, 17, 19 मई को होगा। 

खेलैं मसाने में होरी



खेलैं मसाने में होरी दिगंबर खेले मसाने में होरी ।
भूत पिसाच बटोरी, दिगंबर खेले मसाने में होरी ।। 

लखि सुंदर फागुनी छटा के, मन से रंग-गुलाल हटा के
चिता-भस्‍म भर झोरी, दिगंबर खेले मसाने में होरी ।। 

2016-03-27

श्रेष्ठता का अहंकार

श्रेष्ठता का अहंकार



ऋषि ने अनुज से सागर का पानी पीने के लिए कहा। अनुज ने जैसे ही पानी मुंह में डाला, वैसे ही उसने बुरा सा मुंह बनाकर पानी बाहर निकाल दिया और बोला-गुरुजी, यह पानी तो खारा है। ऋषि उसे अपने साथ लेकर आगे बढ़ते रहे। आगे एक छोटी सी नदी आई।

ऋषि ने अनुज से नदी का जल पीने के लिए कहा। अनुज ने जैसे ही जल मुंह में डाला, वैसे ही उसके मन को अत्यंत तृप्ति मिली। वह बोला-गुरुजी, नदी के जल ने मुंह का स्वाद बढ़ा दिया है। ऋषि बोले-पुत्र, छोटे-बड़े से कुछ नहीं होता। तुमने सागर के अहं को देखा। वह सब कुछ अपने में ही भरे रहता है।


2016-03-26

संस्कार बिना सुविधायें पतन का कारण हैं

श्रीकृष्ण ने एक रात को स्वप्न में देखा की एक गाय अपने नवजात बछड़े को प्रेम से चाट रही है।
चाटते चाटते वह गाय उस बछड़े की कोमल खाल को छील देती है। उसके शरीर से रक्त निकलने लगता है और वह बेहोश होकर नीचे गिर जाता है।

                   श्रीकृष्ण प्रातः यह स्वप्न भगवान श्री नेमिनाथ को बताते है। भगवान कहते हैं की यह स्वप्न पंचमकाल (कलियुग) का लक्षण है। कलियुग में माता पिता अपनी संतान को इतना प्रेम करेंगे,

2016-03-24

जय बाबा श्री रामदेव जी की आरती

जय बाबा री जय बाबा रामदेवजी की
श्री रामदेव जी की आरती

पिछम धरां सूं म्हारा पीर जी पधारिया।
घर अजमल अवतार लियो
लाछां सुगणा करे थारी आरती।
हरजी भाटी चंवर ढोले।
पिछम धरां सूं म्हारा पीर जी पधारिया।

गंगा जमुना बहे सरस्वती।
रामदेव बाबो स्नान करे।
लाछां सुगणा करे थारी आरती।
हरजी भाटी चंवर ढोले।
पिछम धरां सूं म्हारा पीर जी पधारिया।


होली खेलन आओ कान्हा 


होली खेलन आओ कान्हा
बरसाने की कुंवरि राधिका , तुम्हें बुलाने आई हूँ
होली खेलन आओ कान्हा , रंग गुलाल मंगाई हूँ
बरसाने की
बड़े बड़े कलसों में जल भर ,राहों में रखवाई हूँ
नील पीले लाल गुलाबी , रंग उनमे मिलवाई हूँ
बरसाने की
स्वागत में है खड़ी गोपियाँ ,थाल गुलाल भराई हूँ
पिचकारी में भरने को जल में केशर मिलवाई हूँ
बरसाने की

2016-03-23

अपनी काबिलियत, अपनी ताकत को जिंदा रखिये


गिद्धों का एक झुण्ड खाने की तलाश में भटक रहा था। उड़ते – उड़ते वे एक टापू पे पहुँच गए। वो जगह उनके लिए स्वर्ग के समान थी। हर तरफ खाने के लिए मेंढक, मछलियाँ और समुद्री जीव मौजूद थे और इससे भी बड़ी बात ये थी कि वहां इन गिद्धों का शिकार करने वाला कोई जंगली जानवर नहीं था और वे बिना किसी भय के वहां रह सकते थे।

युवा गिद्ध  कुछ ज्यादा ही उत्साहित थे, उनमे से एक बोला, ” वाह ! मजा आ गया, अब तो मैं यहाँ से कहीं नहीं जाने वाला, यहाँ तो बिना किसी मेहनत के ही हमें बैठे -बैठे खाने को मिल रहा है!”

होली के रंग में भीगा हास्य-व्यंग्य


मोहब्बत के रंग

होली के रंग आज लगेंगे
कल उतर जाएंगे
मेरी मोहब्बत के रंग मगर
जिन्दगी भर साथ निभाएंगे।

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दुश्मनी भुलाना 

कितना आसान है
दुश्मनी को भुलाना
बस दुश्मन को घेरना
और उसे रंग है लगाना।

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होली की गेर

होली के गेर में
सब हैं एक रंग
क्या अमीर क्या गरीब
सब हैं संग संग।

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होली पर हास्य कविता - जनरल बोगी, कवि प्रदीप चौबे

होली का मौसम आते ही उन हास्य कविताओं की याद आ जाती है जिनका हम कवि सम्मेलनों या पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से सुनने या देखने का बेसब्री से इंतज़ार किया करते हैं ।


तो आइए मित्रो मेरे साथ पढ़िए जबलपुर के इस प्रसिद्ध हास्य कवि प्रदीप चौबे की ये कविता जिसमें उन्होंने हँसी ही हँसी में जनरल बोगी में सफ़र करने वाले आम यात्रियों की व्यथा का बखूबी चित्रण किया है। रेल की जनरल बोगी पर अस्सी के दशक में लिखी ये कविता आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। 

भारतीय रेल की जनरल बोगी
पता नहीं आपने भोगी कि नहीं भोगी
एक बार हम भी कर रहे थे यात्रा
प्लेटफार्म पर देखकर सवारियों की मात्रा
हमारे पसीने छूटने लगे
हम झोला उठाकर घर की ओर फूटने लगे
तभी एक कुली आया
मुस्कुरा कर बोला - 'अन्दर जाओगे ?'
हमने कहा - 'तुम पहुँचाओगे !'

2016-03-22

जानिये - महाराजा अग्रसेन

अग्रसेन-अग्रोहा-अग्रवाल 
महाराजा अग्रसेन --(अग्रवाल समाज के पितामह, पितृभूमि व समाज पर आधारित महत्वपूर्ण जानकारी ) --

महाराजा अग्रसेन – अग्रवाल समाज के संस्था्पक व समाजवाद के प्रवर्तक। प्रताप नगर के सूर्यवंशी महाराजा वल्ल‍भ के पुत्र।

महारानी माधवी – महाराजा अग्रसेन की महारानी व नागलोक के राजा कुमुद की पुत्री ।
अग्रसेन जयंती – प्रत्येक वर्ष आसोद सुदी एकम (पहला नवरात्रा) को मनाई जाती है ।
महाराजा अग्रसेन के सिद्धांत – सर्वेभवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामया
महाराजा अग्रसेन का आदर्श - जीओ और जीने दो ।
महाराजा अग्रसेन ने 18 यज्ञ किए व यज्ञ में पशु बलि को बंद किया । महाराजा अग्रसेन ने बडे पुत्र विभु को राजगद्दी सौंपी ।

धन्य धन्य जिनशासन

आपको कोई कहे कि ऐसा व्यक्ति ढूंढकर लाओ जो ज़िन्दगी भर बिजली का उपयोग न करता हो , वाहन में न बैठता हो ,  बैंक में जिसका खाता न हो , जिसके पास रहने के लिए घर न हो , गांव में खेत न हो , जो पैसा न कमाता हो , जो विवाह न करता हो , जिसका परिवार न हो , पैर में जुते न पहनता हो , जिसके पास राशन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर कार्ड, पैन कार्ड, ड्राईविंग लाईसेंस आदि न हो , जिसे पासपोर्ट की जरुरत न हो ,

2016-03-21

थायराइड की वजह क्या है ।

क्या है थायराइड की वजह ....?


थायराइड मानव शरीर मे पाए जाने वाले एंडोक्राइन ग्लैंड में से एक है। थायरायड ग्रंथि गर्दन में श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। इसका आकार तितली जैसा होता है। यह थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है जिससे शरीर के ऊर्जा क्षय, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है।

यह ग्रंथि शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रण करती है यानि जो भोजन हम खाते हैं यह उसे उर्जा में बदलने का काम करती है।

धर्म के चार सोपान

धर्म के चार सोपान हैं, सत, तप, दया और दान, प्रत्येक मनुष्य को धर्म के इन चारों गुणों को अपने हृदय में धारण करना चाहिए।

राजा भरत ने इन चारों गुणों को न केवल अपने हृदय में धारण किया, बल्कि उसे अपने जीवन में भी अपनाया, इसीलिए उन्हें धर्म की धूरी को धारण करने वाले की संज्ञा दी गई है।

सत्य को अपना कर हम हरिशचंद्र भले ही न बन पाएँ, लेकिन युधीष्ठिर तो बन सकते हैं, मन से किए गए जप या तप से हमारे अंतःकरण के दुख, दोष और द्वेष समाप्त हो जाते हैं।

हमें अपने से छोटों पर दया करनी चाहिए, हमारे अंदर ऐसा गुण होना चाहिए कि हम दूसरों पर दया कर सकें, इसी तरह धर्म का चौथा गुण दान हैं।

नैन खुले तो मन मन्दिर में


नैन खुले तो मन मन्दिर में
तेरे दर्शन पाऊँ
वर दे मुझको ओ रे कान्हा
नित तेरी महिमा गाऊँ

पापी हूं अज्ञानी हूं मैं
राह दिखा दे ओ ब्रजवाले
पाप मुक्त हो जाऊँ

मोहमाया के बन्धन टूटे
कर दे कृपा ओ रे भगवान
शरण तुम्हारी आऊँ

2016-03-20

22 मार्च, विश्व जल दिवस

22 मार्च याने विश्व जल दिवस। पानी बचाने के संकल्प का दिन।


जल ही जीवन है, जल के बिना जीवन की कल्पना अधूरी है। हम सब जानते हैं हमारे लिए जल कितना महत्त्वपूर्ण है। लेकिन यह सब बातें हम तब भूल जाते हैं जब अपनी टंकी के सामने मुंह धोते हुए पानी को बर्बाद करते रहते हैं और तब जब हम कई लीटर मूल्यवान पानी अपनी कीमती कार को नहलाने में बर्बाद कर देते हैं। किताबी दुनिया और किताबी ज्ञान को हममें से बहुत कम ही असल जिंदगी में उतार पाते हैं और इसी का नतीजा है कि आज भारत और विश्व के सामने पीने के पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है।

धरातल पर तीन चौथाई पानी होने के बाद भी पीने योग्य पानी एक सीमित मात्रा में ही है। उस सीमित मात्रा के पानी का इंसान ने अंधाधुध दोहन किया है। नदी, तालाबों और झरनों को पहले ही हम कैमिकल की भेंट चढ़ा चुके हैं, जो बचा खुचा है उसे अब हम अपनी अमानत समझ कर अंधाधुंध खर्च कर रहे हैं। और लोगों को पानी खर्च करने में कोई हर्ज भी नहीं क्यूंकि अगर घर के नल में पानी नहीं आता तो वह पानी का टैंकर मंगवा लेते हैं। सीधी सी बात है पानी की कीमत को आज भी आदमी नहीं समझ पाया है क्यूंकि सबको लगता है आज अगर यह नहीं है तो कल तो मिल ही जाएगा।

2016-03-17

सच्चा सन्यास

(((((((((( सच्चा सन्यास ))))))))))
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एक व्यक्ति प्यास से बेचैन भटक रहा था. उसे गंगाजी दिखाई पड़ी. पानी पीने के लिए नदी की ओर तेजी से भागा लेकिन नदी तट पर पहुंचने से पहले ही बेहोश होकर गिर गया.
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थोड़ी देर बाद वहां एक संन्यासी पहुंचे. उन्होंने उसके मुंह पर पानी का छींटा मारा तो वह होश में आया. व्यक्ति ने उनके चरण छू लिए और अपने प्राण बचाने के लिए धन्यवाद करने लगा.
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संन्यासी ने कहा- बचाने वाला तो भगवान है. मुझमें इतना सामर्थ्य कहां है ? शक्ति होती तो मेरे सामने बहुत से लोग मरे मैं उन्हें बचा न लेता. मैं तो सिर्फ बचाने का माध्यम बन गया.
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इसके बाद संन्यासी चलने को हुए तो व्यक्ति ने कहा कि मैं भी आपके साथ चलूंगा. संन्यासी ने पूछा- तुम कहां तक चलोगे. व्यक्ति बोला- जहां तक आप जाएंगे. 
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संन्यासी ने कहा मुझे तो खुद पता ही नहीं कि कहां जा रहा हूं और अगला ठिकाना कहां होगा. संन्यासी ने समझाया कि उसकी कोई मंजिल नहीं है लेकिन वह अड़ा रहा. दोनों चल पड़े. 
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कुछ समय बाद व्यक्ति ने कहा- मन तो कहता है कि आपके साथ ही चलता रहूं लेकिन कुछ टंटा गले में अटका है. वह जान नहीं छोड़ता. आपकी ही तरह भक्तिभाव और तप की इच्छा है पर विवश हूं.
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संन्यासी के पूछने पर उसने अपने गले का टंटा बताना शुरू किया. घर में कोई स्त्री और बच्चा नहीं है. एक पैतृक मकान है उसमें पानी का कूप लगा है. 
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छोटा बागीचा भी है. घर से जाता हूं तो वह सूखने लगता है. पौधों का जीवन कैसे नष्ट करूं. नहीं रहने पर लोग कूप को गंदा करते हैं. नौकर रखवाली नहीं करते, बैल भूखे रहते हैं. बेजुबान जानवर है उसे कष्ट दूं. 
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बहुत से संगी-साथी हैं जो मेरे नहीं होने से उदास होते हैं, उनके चेहरे की उदासी देखकर उनका मोह भी नहीं छोड़ पाता.
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दादा-परदादा ने कुछ लेन-देन कर रखा था. उसकी वसूली भी देखनी है. नहीं तो लोग गबन कर जाएंगे. अपने नगर से भी प्रेम है. 
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औषधीय वनस्पति की प्रार्थना

औषधीय वनस्पति



यजुर्वेद में औषधीय वनस्पति की प्रार्थना – ‘दीर्घायुस्ते औषधे खनिता …’

प्राचीन वैदिक ग्रंथ यजुर्वेद में औषधीय वनस्पतियों की प्रार्थना संबंधी मंत्र दिये गये हैं । इनमें से दो, मंत्र संख्या 100 एवं 101, इस प्रकार हैं:


दीर्घायुस्त औषधे खनिता यस्मै च त्वा खनाम्यहम् । अथो त्वं दीर्घायुर्भूत्वा शतवल्शा विरोहतात् ।।
(शुक्लयजुर्वेदसंहिता, अध्याय १२, मंत्र १०० )

(दीर्घायुः त औषधे खनिता यस्मै च त्वा खनामि अहम्, अथो त्वं दीर्घायुः भूत्वा शत-वल्शा विरोहतात् । खनिता, खनन करने वाला; शत-वल्शा, सौ अंकुरों वाला; विरोहतात्, ऊपर उठो, आरोहण पाओ)

हे ओषधि, हे वनस्पति, तुम्हारा खनन (खोदने का कार्य) करने वाला मैं दीर्घायु रहूं; जिस आतुर रोगी के लिए मैं खनन कर रहा हूं वह भी दीर्घायु होवे । तुम स्वयं दीर्घायु एवं सौ अंकुरों वाला होते हुए ऊपर उठो, वृद्धि प्राप्त करो ।
त्वमुत्तमास्योषधे तव वृक्षा उपस्तयः । उपस्तिरस्तु सोऽस्माकं यो अस्मॉं२ऽभिदासति ।।
(शुक्लयजुर्वेदसंहिता, अध्याय १२, मंत्र १०१)

(त्वम् उत्तम असि ओषधे, तव वृक्षा उपस्तयः, उपस्तिः अस्तु साः अस्माकं यो अस्मान् अभिदासति । उपस्तयः, उपकार हेतु स्थित (बहुवचन); उपस्तिः उपकार हेतु स्थित (एकवचन); अभिदासति, हानि पहुंचाता है)

हे औषधि, तुम उत्तम हो, उपकारी हो; तुम्हारे सन्निकट लता, गुल्म, झाड़ी, वृक्ष आदि (अन्य वनस्पतियां) तुम्हारा उपकार करने वाले होवें, अर्थात् तुम्हारी वृद्धि में सहायक होवें । हमारी यह भी प्रार्थना है कि जो हमारा अपकार करने का विचार करता हो, जो हमें हानि पहुंचा रहा हो, वह भी हमारी उपकारी बने, हमारे लाभ में सहायक होवे ।

2016-03-16

मानव मन असीम ऊर्जा का कोष है

The human mind is limitless energy fund

मानव मन असीम ऊर्जा का कोष है। इंसान जो भी चाहे वो हासिल कर सकता है।

एक बार देवताओं में चर्चा हो रहो थी, चर्चा का विषय था मनुष्य की हर मनोकामनाओं को पूरा करने वाली गुप्त चमत्कारी शक्तियों को कहाँ छुपाया जाये। सभी देवताओं में इस पर बहुत वाद- विवाद हुआ। एक देवता ने अपना मत रखा और कहा कि इसे हम एक जंगल की गुफा में रख देते हैं। दूसरे देवता ने उसे टोकते हुए कहा नहीं- नहीं हम इसे पर्वत की चोटी पर छिपा देंगे। उस देवता की बात ठीक पूरी भी नहीं हुई थी कि कोई कहने लगा , “न तो हम इसे कहीं गुफा में छिपाएंगे और न ही इसे पर्वत की चोटी पर हम इसे समुद्र की गहराइयों में छिपा देते हैं यही स्थान इसके लिए सबसे उपयुक्त रहेगा।”

महापुरुष,महायोद्धा भी मांसाहारी नहीं थे

महाराणा प्रताप को घास की रोटी अपने बच्चों के लिए सेंकनी पड़ी ...और उसे भी एक जंगली बिलाव झपट्टा मारकर ले भागा, उसके बाद पूरा परिवार भूखा सो गया.. . महाराणा की आँखों में आँसू आ गए....पर उन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की..!! . अब आप सभी बताइए.... . क्या जंगल में महाराणा प्रताप को चार खरगोश नहीं मिल रहे थे . पकाने को ?? या उनका भाला एक भैंसा नहीं मार सकता था..?? . यह कथा भी सिद्ध करती है....महापुरुष,महायोद्धा भी मांसाहारी नहीं थे .।।" .

Kand Mool


कंद-मूल खाने वालों से मांसाहारी डरते थे।।
पोरस जैसे शूर-वीर को नमन 'सिकंदर' करते थे॥

चौदह वर्षों तक खूंखारी वन में जिसका धाम था।।

भगवान् राम और चँद्रमा

आज एक सुन्दर कविता पढ़ने को मिली, चाहूँगा कि आप भी इसका आनन्द लें !

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चँद्रमा को भगवान् राम से यह शिकायत है की दीपवली का त्यौहार अमावस की रात में मनाया जाता है और क्योंकि अमावस की रात में चँद्रमा निकलता ही नहीं है इसलिए वह कभी भी दीपावली मना नहीं सकता। यह एक मधुर कल्पना है की चाँद किस प्रकार खुद को राम के हर कार्य से जोड़ लेता है और फिर राम से शिकायत करता है और राम भी उस की बात से सहमत हो कर उसे वरदान दे बैठते हैं आइये देखते हैं ।

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जब चँद्रमा का धीरज छूट गया ।
वह रघुनन्दन से रूठ गया ।

2016-03-15

List of courses which can be done after 10th?


You can do lots of courses after your 10th std like you can do your diploma courses,your 11th and 12th std

So go for either diploma or 11th and +2 as most of them prefer that.

For diploma there are few entrance test or you can even get into on the basis of merit of 10th std.
And for 11th admission you will get on the basis of you 10th percentage

So choose anyone both are equally good and they are engineering courses however after your 11th 12th courses you can choose tons of other courses available।

2016-03-14

भगवान् देगा, भगवान् देगा

एक बार एक राजा था, वह जब भी मंदिर जाता, तो 2 फ़क़ीर उसके दाएं और बाएं बैठा करते! दाईं तरफ़ वाला कहता: "हे भगवान, तूने राजा को बहुत कुछ दिया है, मुझे भी दे दे!"

बाईं तरफ़ वाला कहता: "ऐ राजा! भगवान ने तुझे बहुत कुछ दिया है, मुझे भी कुछ दे दे!"

दाईं तरफ़ वाला फ़क़ीर बाईं तरफ़ वाले से कहता: "भगवान से माँग! बेशक वह सबसे बैहतर सुनने वाला है!"
बाईं तरफ़ वाला जवाब देता: "चुप कर बेवक़ूफ़
एक बार राजा ने अपने वज़ीर को बुलाया और कहा कि मंदिर में दाईं तरफ जो फ़क़ीर बैठता है वह हमेशा भगवान से मांगता है तो बेशक भगवान् उसकी ज़रूर सुनेगा, लेकिन जो बाईं तरफ बैठता है वह हमेशा मुझसे फ़रियाद करता रहता है, तो तुम ऐसा करो कि एक बड़े से बर्तन में खीर भर के उसमें अशर्फियाँ डाल दो और वह उसको दे आओ!

2016-03-13

इंदौर - कल आज और कल

इंदौर जनसंख्या की दृष्टि से भारत के मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा शहर है। यह इन्दौर जिला और इंदौर संभाग दोनों के मुख्यालय के रूप में कार्य करता है। इंदौर मध्य प्रदेश राज्य की वाणिज्यिक राजधानी भी है। यह राज्य के शिक्षा हब के रूप में माना जाता है।


Proud to Indorian
 इंदौर 
महान क्रिकेट खिलाड़ी सुनील गावस्कर ने अपने वनडे करियर की एकमात्र सेंचुरी इंदौर के नेहरू स्टेडियम में लगाई l
  इन्दौर 
इंदौर स्थित सैन्य छावनी MHOW (Military Headquarters Of War) देश की मुख्य सैन्य छावनियों में शामिल है ।

2016-03-11

आओ बच्चों तुम्हे दिखायें शैतानी शैतान की....

इस राष्ट्रीय गीत को भ्रष्ट नेताओं और अफसरों तक पहुंचना ही चाहिए



आओ बच्चों तुम्हे दिखायें शैतानी शैतान की।
नेताओं से बहुत दुखी है जनता हिन्दुस्तान की।।
बड़े-बड़े नेता शामिल हैं घोटालों की थाली में।
सूटकेश भर के चलते हैं अपने यहाँ दलाली में।।
देश-धर्म की नहीं है चिंता चिन्ता निज सन्तान की।
नेताओं से बहुत दुखी है जनता हिन्दुस्तान की।।

2016-03-10

जीवेम शरदः शतम्

जीवेम शरदः शतम्  


स्वस्थ रहना मनुष्य का अधिकार है, एक स्वाभाविक प्रक्रिया है । इसी आधार पर हमारे ऋषिगणों ने मनुष्य के लिए जीवेम शरदः शतम् व्यक्ति सौ वर्ष तक जिए, निरोग जीवन जीकर सौ वर्षों की आयुष्य का आनन्द ले, सूत्र दिया था । सौ वर्ष से भी अधिक जीने वाले, स्वास्थ्य के मौलिक सिद्धान्तों को जीवन में उतारने वाले अनेकानेक व्यक्ति कभी वसुधा पर थे एवं इसे एक सामान्य सी बात माना जाता था । स्वस्थ वृत्त को जीवन में उतारने वाला सौ वर्ष तक जीकर ही-अपना सारा जीवन व्यापार पूरा कर ही मोक्ष को प्राप्त होगा, यह हमारी संस्कृति का कभी जीवन दर्शन था । किन्तु आज यह सब एक विलक्षणता मानी जाती है जब सुनने में आता है कि किसी ने सौ वर्ष पार कर लिए व अभी भी नीरोग है ।

रोग क्यों होते हैं, उनका कारण क्या है व कौन-कौन से घटक इसके लिए जिम्मेदार होते हैं, यहाँ से यह खण्ड आरंभ होता है । रोगों की उत्पत्ति की जड़ हमारी जीवन शैली का त्रुटिपूर्ण होना है तथा कब्ज से लेकर आहार के असंयम रहन-सहन से लेकर मानसिक तनाव तथा दैवी प्रतिकूलताओं से लेकर बैक्टीरिया-वायरस के कारण हमारी जीवनी शक्ति-प्राणशक्ति यदि अक्षुण्ण रहे व जीवन शैली सही रहे तो हमें कभी रोग-शोक सता नहीं सकते । पंचभूतों से बनी इस काया को जिसे अंत में मिट्टी में ही मिल जाना है क्या हम पंचतत्त्वों आकाश, वायु, जल, मिट्टी, अग्नि के माध्यम से स्वस्थ बना सकते हैं, इसका समग्र विवेचन इस खण्ड में विस्तार से हुआ हैं प्राकातिक चिकित्सा का यही सिद्धान्त है कि पंचतत्त्वों से ही रोगों को दूरकर अक्षुण स्वास्थ्य प्रदान किया जाय । पंचमहाभूतों को आकाश को ध्वनि से, वायु को स्पर्श से, अग्नि को रंग-रूप-ऊर्जा से, जल को रस-स्वाद से तथा पृथ्वी को गंध से जाना जाता है । यही गुण स्वास्थ्य संवर्धन में भी काम आते हैं ।


क्या कायाकल्प बिना किसी ओषधि के भी हो सकता है ? उत्तम स्वास्थ्य बिना ओषधि के बनाए रखने के लिए  चारसूत्र  हैं- 

  1. खाद्य पदार्थों का सही चुनाव, 
  2. सही खाने का तरीका, 
  3. समुचित परिश्रम, 
  4. अव्यवस्था से बचकर व्यवस्थित जीवनचर्या । 


उपवास, शरीर शुद्धि व कायाकल्प के सिद्धान्त को अपनाना होगा । यदि इन सभी बातों का ध्यान रखकर नैसर्गिक जीवनचर्या को अंगीकार कर ले, वैसा ही आहार ले व चिंतन स्वस्थ, मन प्रफुल्लित रखे तो किसी तरह की कोई व्याधि होने का प्रश्न ही खड़ा नहीं होता ।

चूंकि आज का मनुष्य निर्भर तो कात्रिम साधनों पर ही है । हवा, पानी भी विषाक्त हो चुके हैं । ऐसे में यदि ओषधियों की आवश्यकता भी पड़े तो इसके लिए कौन सी ली जायँ ।  जड़ी-बूटी स्वस्थ नीरोग जीवन प्रदान करती हैं । उनके कोई दुष्परिणाम नहीं होते व सही अनुपान के साथ सही वीर्य कालावधि में पकी ओषधि लेने पर लाभ ही लाभ पहुँचाती है ।

आर्युवेद का गौरव है वनौषधियाँ जिनमें समग्रता होती है । यदि यह विज्ञान घर-घर फैल सके तो हमारी ऐलोपैथी पर-तेज असर कारक औषधियों पर निर्भरता समाप्त हो जायगी ।  घर में ही पायी जाने वाली, आँगन में उगायी जा सकने वाली औषधियों से जिन्हें हम मसालों में प्रयोग करते हैं अनेकानेक रोगों का उपचार किया जा सकता है । राई, हल्दी, अदरक, सौंफ, मेथी, जीरा, मिर्च, पुदीना, गिलोय, तुलसी, अजवाइन, धनिया, टमाटर, लहसुन, ग्वारपाठा, प्याज, आँवला ऐसी औषधियाँ हैं जो घर-घर हो सकती हैं, सूखी स्थिति में कुछ रखी भी जा सकती हैं । सुहागा, हींग, काला नमक, लौंग, तेज पत्रक, दालचीनी, ऐसे हैं जिन्हें सुरक्षित अपने पास रखकर विभन्न रोगों में प्रयोग किया जा सकता है । अंत में कल्पचिकित्सा के विभन्न पक्षों पर पूज्यवर ने कलम-चलाई है । आर्युवेदोक्त पंचकर्म से लेकर कुटी प्रवेश तथा विभन्न कल्प प्रयोगों को पढ़कर हर किसी को लगेगा कि आज के युग में भी सौ वर्ष जीवित रहना कोई असंभव कार्य नहीं है॥

कैंसररोधी योहाना बुडविज आहार विहार

कैंसररोधी योहाना बुडविज आहार विहार

जानिये डॉ योहाना बुडविज के बारे में

डॉ योहाना बुडविज (जन्म 30 सितम्बर, 1908 – मृत्यु 19 मई 2003) विश्व विख्यात जर्मन जीवरसायन विशेषज्ञ व चिकित्सक थीं। उन्होंने भौतिक विज्ञान, जीवरसायन विज्ञान, भेषज विज्ञान में मास्टर की डिग्री हासिल की व प्राकृतिक विज्ञान में पी.एच.ड़ी. की। वे जर्मन व सरकार के खाद्य और भेषज विभाग में सर्वोच्च पद पर कार्यरत थी और सरकार की विशेष सलाहकार थी। वे जर्मनी व यूरोप की विख्यात वसा और तेल विशेषज्ञ थी। उन्होंने वसा, तेल तथा कैंसर के उपचार के लिए बहुत शोध की। उनका नाम नोबल पुरस्कार के लिए 7 बार चयनित हुआ। वे आजीवन शाकाहारी रहीं। जीवन के अंतिम दिनों में भी वे सुंदर, स्वस्थ व अपनी आयु से काफी युवा दिखती थी। उन्होंने पहली बार संतृप्त और असंतृप्त वसा पर बहुत शोध किया। उन्होंने पहली बार आवश्यक वसा अम्ल ओमेगा-3 व ओमेगा–6 को पहचाना और उन्हें पहचानने की पेपर क्रोमेटोग्राफी तकनीक विकसित की। इनके हमारे शरीर पर होने वाले प्रभावों का अध्ययन किया। उन्होंने यह भी पता लगाया कि ओमेगा – 3 किस प्रकार हमारे शरीर को विभिन्न बीमारियों से बचाते हैं तथा स्वस्थ शरीर को ओमेगा–3 व ओमेगा–6 बराबर मात्रा में मिलना चाहिये। इसीलिये उन्हे “ओमेगा-3 लेडी” के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने पूर्ण या आंशिक हाइड्रोजिनेटेड वसा मार्जरीन (वनस्पति घी), ट्रांस फैट व रिफाइण्ड तेलों के हमारे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का पता लगाया था। वे मार्जरीन, हाइड्रोजिनेटेड और रिफाइंड तेलों को प्रतिबंधित करना चाहती थी जिसके कारण खाद्य तेल और मार्जरीन बनाने वाले संस्थान परेशानी में थे।

1931 में डॉ. ओटो वारबर्ग को कैंसर पर उनकी शोध के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था। उन्होंने पता लगाया था कि कैंसर का मुख्य कारण कोशिकाओं में होने वाली श्वसन क्रिया का बाधित होना है। यदि कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहे तो कैंसर का अस्तित्व ही संभव नहीं है। परन्तु तब वारबर्ग यह पता नहीं कर पाये कि कैंसर कोशिकाओं की बाधित श्वसन क्रिया को कैसे ठीक किया जाये।

तत्कालीन परिस्थिति पर कबीर का प्रभाव

तत्कालीन परिस्थिति पर कबीर का प्रभाव


कबीर ने अपने जीवन के निजी अनुभवों से जो कुछ सीखा था, उसके आलोक में तत्कालीन सामाजिक, राजनैतिक, सांप्रदायिक तथा राष्ट्रीय व्यवस्था को देखकर हतप्रभ थे। वे इन स्थितियों में अमूल परिवर्तन लाना चाहते थे, लेकिन उनकी बातों को सुनने और मानने को कोई उत्सुक नहीं था। उनको सारा संसार बौराया हुआ लग रहा था।
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान,
मोल करो तलवार का, पड़ा रहने दो म्याना।


वे फरमाते हैं कि साधू जाति से नहीं, ज्ञान से पुज्यनीय बनता है।

कबीर बराबर प्रयत्नशील रहे कि दुखी, असहाय और पीड़ित जनता के बीच सुख- शांति का प्रसार हो एवं उनका जीवन सुरक्षित और आनंदमय हो। तत्कालीन परिस्थितियों को देखकर उन्होंने अनुभव किया कि भक्ति के मार्ग पर मोड़कर ही जनता को खुशी प्रदान की जा सकती है। उन्होंने इस अस्र का ही सहारा लिया :-

लोगों की अपेक्षाओं का कोई अंत नहीं है

रात के समय एक दुकानदार अपनी दुकान बंद ही कर रहा था कि एक कुत्ता दुकान में आया । उसके मूहं में एक थैली थी। जिसमें सामान की लिस्ट और पैसे थे।
दुकानदार ने पैसे लेकर सामान उस थैली में भर दिया।
कुत्ते ने थैली मुँह मे उठा ली और चला गया।
दुकानदार आश्चर्यचकित हो के कुत्ते के पीछे पीछे गया ये देखने की इतने समझदार कुत्ते का मालिक कौन है।
कुत्ता बस स्टॉप पर खडा रहा।
थोडी देर बाद एक बस आई जिसमें चढ गया।
कंडक्टर के पास आते ही अपनी गर्दन आगे कर दी।

2016-03-09

अलसी खाने वाले विद्यार्थी परीक्षाओं में अच्छे नंबर प्राप्त करते हैं

अलसी - एक चमत्कारी आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक दैविक भोजन 

अलसी शरीर को स्वस्थ रखती है व आयु बढ़ाती है। अलसी में 23प्रतिशत ओमेगा-3 फेटी एसिड, 20 प्रतिशत प्रोटीन, 27 प्रतिशत फाइबर, लिगनेन, विटामिन बी ग्रुप, सेलेनियम, पोटेशियम, मेगनीशियम, जिंक आदि होते हैं। सम्पूर्ण विश्व ने अलसी को सुपर स्टार फूड के रूप में स्वीकार कर लिया है और इसे आहार का अंग बना लिया है, लेकिन हमारे देश की स्थिति बिलकुल विपरीत है, पुराने लोग अलसी का नाम भूल चुके है और युवाओं ने अलसी का नाम सुना ही नहीं है। मैंने इसी चमत्कारी भोजन की पूरे भारत में जागरूकता लाने के  काम  का बीड़ा उठाया है। अलसी को अतसी, उमा, क्षुमा, पार्वती, नीलपुष्पी, तीसी आदि नामों से भी पुकारा जाता है। अलसी दुर्गा का पांचवा स्वरूप है। प्राचीनकाल में नवरात्री के पांचवे दिन स्कंदमाता यानी अलसी की पूजा की जाती थी और इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता था। जिससे वात, पित्त और कफ तीनों रोग दूर होते थे और जीते जी मोक्ष की प्राप्ति हो जाती थी। 

o   ओमेगा-थ्री हमे रोगों से करता है फ्री। शुद्ध, शाकाहारी, सात्विक, निरापद और आवश्यक ओमेगा-थ्री का खजाना है अलसी। ओमेगा-3 हमारे शरीर की सारी कोशिकाओं, उनके न्युक्लियस, माइटोकोन्ड्रिया  आदि संरचनाओं के बाहरी खोल या झिल्लियों का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यही इन झिल्लियों को वांछित तरलता, कोमलता और पारगम्यता प्रदान करता है। ओमेगा-3 का अभाव होने पर शरीर में जब हमारे शरीर में ओमेगा-3 की कमी हो जाती है तो ये भित्तियां मुलायम व लचीले ओमेगा-3 के स्थान पर कठोर व कुरुप ओमेगा-6 फैट या ट्रांस फैट से बनती है, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 का संतुलन बिगड़ जाता है, प्रदाहकारी प्रोस्टाग्लेंडिन्स बनने लगते हैं, हमारी कोशिकाएं इन्फ्लेम हो जाती हैं, सुलगने लगती हैं और यहीं से ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, डिप्रेशन, आर्थ्राइटिस और कैंसर आदि रोगों की शुरूवात हो जाती है।

o   कब्जासुर का वध करती है अलसी। आयुर्वेद के अनुसार हर रोग की जड़ पेट है और पेट साफ रखने में यह इसबगोल से भी ज्यादा प्रभावशाली है। आई.बी.एस., अल्सरेटिव कोलाइटिस, अपच, बवासीर, मस्से आदि का भी उपचार करती है अलसी।

2016-03-08

सूर्य ग्रहण क्या करे क्या ना करे

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर 9 मार्च 2016 दिन बुधवार को 320 वर्ष बाद कुम्भ राशि पर पंचग्रही योग में सूर्य ग्रहण होगा। 


 ग्रहण का सूतक 8 ता. मंगलवार की शाम को 5.24 बजे आरम्भ हो जायेगा। 
ग्रहण स्पर्श - प्रातः 5.24 को (9 ता.)
ग्रहण मध्य - प्रातः 6.4 को 
ग्रहण मोक्ष - प्रातः 6.48 को

ज्योतिष के अनुसार सिंहस्थ से पहले पंचग्रही योग में सूर्य ग्रहण शुभ फलदायी नहीं है। पश्चिमोत्तर भाग को छोड़ कर यह ग्रहण अंचल सहित पूरे देश में खण्डग्रास के रूप में दिखाई देगा।

यह ग्रहण पूर्वा भाद्र पक्ष नक्षत्र में साध्य योग, कुंभ राशि में स्थित चंद्र के साथ घटित होगा। इस समय आकाश में  5 ग्रह केतु, बुध, सूर्य, शुक्र और चंद्र कुम्भ राशि पर साथ रहेंगे। इन ग्रहों पर शनि-युत मंगल की दृष्टि भी है।

आधुनिक विज्ञान अनुसार - 👇

भौतिक विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढ़क जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चाँद पृथ्वी की। कभी-कभी चाँद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर साया फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह घटना सदा सर्वदा अमावस्या को ही होती है।

वैज्ञानिक दृष्टा ऋषि मुनि - 


त्चचा पांच साल तक सुरक्षित रखी जा सकती है


झुलसे हुए लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। स्किन बैंक अब ऐसे लोगों को नई जिंदगी देगा। देश में चार स्थानों पर स्किन बैंक खोले जा चुके हैं। इनमें दान की गई स्किन को पीड़ितों को लगाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार इन बैंकों में 80 फीसदी जले हुए व्यक्ति की जिंदगी भी बचाई जा सकती है। भारत में सालाना 70 लाख लोग झुलसते हैं।जिनमें 80 फीसदी महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। स्किन बैंक में कोई भी व्यक्ति स्किन दान कर सकता है। इसमें त्चचा पांच साल तक सुरक्षित रखी जा सकती है।

मनुष्य की त्वचा की आठ परतें होती हैं जिसमें से सबसे ऊपरी यानि आठवीं परत को ही निकाला जाता है। इसके बाद इसकी जांच की जाती है और फिर इसे चार से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच ग्लिसरॉल के घोल में रखा जाता है। स्किन बैंक इस त्वचा को करीब पांच साल तक सुरक्षित रख सकता है। किसी भी उम्र के व्यक्ति को यह स्किन प्रत्यारोपित की जा सकती है।

छत्तीसगढ़ के भिलाई इस्पात संयंत्र के सेक्टर-9 अस्पताल में प्रदेश का पहला स्किन बैंक शुरू कर दिया गया है। स्किन बैंक में जले हुए लोगों को जल्द से जल्द स्वस्थ करने के लिए मृत लोगों का स्किन निकालकर रखा जाएगा। यहां लोग अपनी स्वेच्छा से अपना शरीर दान कर सकेंगे।

प्रदेश का सबसे बड़ा और एकमात्र स्किन बैंक तैयार करने में संयंत्र प्रबंधन ने डेढ़ करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस बैंक में स्किन देने और लेने की सारी प्रक्रिया नि:शुल्क होगी। स्किन बैंक से गंभीर रूप से जले लोगों को नवजीवन मिलेगा। बीएसपी के सीईओ एस चंद्रसेकरन का कहना है कि भिलाई इस्पात संयंत्र के सेक्टर-9 अस्पताल में स्किन बैंक बनने से हर वर्ग के लोगों को इसका लाभ मिलेगा।


Regular sex is good for the prostate

FULL TEXT OF PROSTATE HEALTH AWARENESS LECTURE PRESENTED AT MEETING OF FGBMFI (NORTH-GATE CHAPTER) ON SATURDAY 19th SEPTEMBER 2015

MEN - MY CHILDHOOD; MY MANHOOD; MY PROSTATE.. MUST READ!!


Ladies and Gentlemen
I am here to speak with you on Prostate. The topic is misleading. Is prostate strictly for men? Yes, ONLY men have prostate and ONLY men over 40 years but the healthcare enlightenment is for everyone. There is no woman who does not know a man 40 years and above – father, uncle, brother, son, friend, neighbor, colleague …

Essentially what I will be doing today is health promotion. Responsible health promotion must provide three things:

1. Information
2. Reassurance
3. A plan of action.

Let me start with a background on prostate health.

2016-03-04

सोच बदलो,देश बदलेगा - एक प्यारी कहानी

एक प्यारी कहानी

काफी समय पहले की बात है ।उस समय जापान विकसित देशो में शामिल नही था ।उस समय जापान मे ट्रेनो की हालात भी काफी खराब थी ।एक भारतीय भी उस ट्रेन में सफर कर रहा था ।ट्रेन की सीट टूटी हुई थी ।एक जापानी नागरिक भी उस ट्रेन में सफर कर रहा था । जापानी नागरिक ने अपनी बैग में से सूई धागा निकाला और सीट की सिलाई करने लगा । भारतीय नागरिक ने पूछा क्या आप रेल्वे के कर्मचारी है ।उसने कहा नहीं मैं एक शिक्षक हूं ।मैं इस ट्रेन से हर रोज अप डाउन करता हूं । इस सीट की खस्ता हालत देख बाजार से सुई धागा खरीद लाया हूँ।

2016-03-03

स्वामी दयानंद सरस्वती

स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने अपने जीवन-पर्यंत इस बात का प्रयास किया कि विश्वभर के सारे विद्वान एकमत होकर सर्वसम्मत धर्म को स्वीकार कर लें और विवादग्रस्त बातों को छोड़ दें। जिससे सर्वसाधारण उनका अनुकरण करके सुख-शांति और पारस्परिक प्रेम का जीवन व्यतीत कर सके। ‘उदार चरितानां तु वसुधैव कटुम्बकम्’ के अनुसार स्वामी जी के लिए सारा संसार ही अपना कुटुम्ब था कोई पराया न था। उनका विश्वास था कि वेदों को अब तक संजोए रखने वाली भारत की आर्य-जाति का सुधार हो जाने से संसार का कल्याण होगा। स्वामी जी प्राचीन काल के समान ही फिर संसार को वैदिक शिक्षा देकर संमार्ग पर लाने के आकांक्षी थे। इसीलिए उन्होंने सर्वप्रथम अपनी जन्मभूमि भारत को ही अपना कार्य-क्षेत्र बनाया।

2016-03-02

सुप्रभात विचार Best Good morning Quotes in Hindi

Good Morning Quotes in Hindi 

सुप्रभात आपका दिन शुभ हो।

Best Good morning Quotes in Hindi.


"समस्या" के बारे में सोचने से,
बहाने मिलते हैं,
"समाधान" के बारे में सोचने पर रास्ते मिलते हैं...
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दो प्रकार के लोगों से सदैव सचेत रहें, एक वो जो आपमें वो कमी बताएं जो आप में है ही नहीं और दूसरे वो जो आपमें वो खूबी बताएँ जो आपमें नहीं है।
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"जब हम दूसरों की गलतियों से सबक नहीं लेते तो परमात्मा को हमें समझाने के लिए हमारी जिंदगी में परेशानियां और तकलीफे डालनी पड़ती है।  अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम दूसरों की गलतियों से सीखना चाहते है या परेशानियों और तकलीफों का सामना कर के ।  
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"दूसरों पर भरोसा करके बैठे मत रहो। अपनी ही हिम्मत पर खड़ा रह सकना और आगे बढ़ सकना संभव हो सकता है। सलाह सबकी सुनो, पर करो वह जिसके लिए तुम्हारा साहस और विवेक समर्थन करे।"
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"इंसान अपनी बुद्धि का गुलाम है, वह जीवन को उतना ही समझ सकता है जितना उसकी बुद्धि उसे समझने देती है।"
सुप्रभात आपका दिन शुभ हो।