चाटते चाटते वह गाय उस बछड़े की कोमल खाल को छील देती है। उसके शरीर से रक्त निकलने लगता है और वह बेहोश होकर नीचे गिर जाता है।
श्रीकृष्ण प्रातः यह स्वप्न भगवान श्री नेमिनाथ को बताते है। भगवान कहते हैं की यह स्वप्न पंचमकाल (कलियुग) का लक्षण है। कलियुग में माता पिता अपनी संतान को इतना प्रेम करेंगे,
उन्हें सुविधाओं का इतना व्यसनी बना देंगे की वे उनमे डूबकर अपनी ही हानि कर बैठेंगे, सुविधाभोगी और कुमार्गगामी बनकर विभिन्न अज्ञानताओं में फंसकर अपने होश गँवा देंगे।
आजकल ये हो भी यही रहा है। मातापिता बच्चों को मोबाइल, बाइक-कार, कपडे, फैशन की सामग्री और पैसे उपलब्ध करा देते हैं। बच्चों का चिंतन इतना विषाक्त हो जाता है की वो माता पिता से झूठ बोलना, बातें छिपाना, बड़ों अपमान करना आदि , सीख जाते है....
याद रखियेगा....
"संस्कार बिना सुविधायें पतन का कारण हैं"
यह माँ-बाप और शिक्षकों का ग़ैर-ज़िम्मेदाराना रवैया है जो बच्चों को अपराधियों में तब्दील कर रहा है। यदि आप अभिभावक हैं या शिक्षक हैं -तो यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि जैसे भी हो अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें। यदि आप अभिभावक हैं या शिक्षक हैं -और आप यह जानते हैं कि आपका बच्चा या विद्यार्थी गाली देता है -या ग़लत मार्ग पर चल रहा है -और आप इसकी अनदेखी करते हैं -तो मेरे विचार में सबसे बड़े आप दोसी हैं - क्योंकि आप समाज को प्रदूषित करने में सहायक बन रहे हैं।
आलस और लापरवाही को त्यागिए और आज से ही सुनिश्चित कीजिए कि आपके बच्चे और विद्यार्थी सुसंस्कृत बने। बच्चों की भाषा और उनके व्यवहार पर कड़ी निगाह रखिए। उनकी एक भी ग़लती को हल्के में न लें क्योंकि ऊँचे पहाड़ से खाई में गिरने के लिए पांव का एक बार फिसलना भी काफ़ी होता है। बच्चों से प्रेमपूर्ण व्यवहार कीजिए लेकिन उन्हें यह अहसास ज़रूर बना रहे कि वे स्वछंद होने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं।
बाल मन बहुत आसानी से भटक सकता है… अपने बच्चों और विद्यार्थियों के लिए मार्गदर्शक तारा बनना आपकी ज़िम्मेदारी है।
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