The human mind is limitless energy fund
एक बार देवताओं में चर्चा हो रहो थी, चर्चा का विषय था मनुष्य की हर मनोकामनाओं को पूरा करने वाली गुप्त चमत्कारी शक्तियों को कहाँ छुपाया जाये। सभी देवताओं में इस पर बहुत वाद- विवाद हुआ। एक देवता ने अपना मत रखा और कहा कि इसे हम एक जंगल की गुफा में रख देते हैं। दूसरे देवता ने उसे टोकते हुए कहा नहीं- नहीं हम इसे पर्वत की चोटी पर छिपा देंगे। उस देवता की बात ठीक पूरी भी नहीं हुई थी कि कोई कहने लगा , “न तो हम इसे कहीं गुफा में छिपाएंगे और न ही इसे पर्वत की चोटी पर हम इसे समुद्र की गहराइयों में छिपा देते हैं यही स्थान इसके लिए सबसे उपयुक्त रहेगा।”
दोस्तों इस कहानी का सार यह है कि मानव मन असीम ऊर्जा का कोष है। इंसान जो भी चाहे वो हासिल कर सकता है। मनुष्य के लिए कुछ भी असाध्य नहीं है। लेकिन बड़े दुःख की बात है उसे स्वयं ही विश्वास नहीं होता कि उसके भीतर इतनी शक्तियां विद्यमान हैं। अपने अंदर की शक्तियों को पहचानिये, उन्हें पर्वत, गुफा या समुद्र में मत ढूंढिए बल्कि अपने अंदर खोजिए और अपनी शक्तियों को निखारिए। हथेलियों से अपनी आँखों को ढंककर अंधकार होने का शिकायत मत कीजिये। आँखें खोलिए , अपने भीतर झांकिए और अपनी अपार शक्तियों का प्रयोग कर अपना हर एक सपना पूरा कर डालिये।
आत्मज्ञान ही सभी ज्ञान कि शुरुआत है
No comments:
Post a Comment