2016-03-22

जानिये - महाराजा अग्रसेन

अग्रसेन-अग्रोहा-अग्रवाल 
महाराजा अग्रसेन --(अग्रवाल समाज के पितामह, पितृभूमि व समाज पर आधारित महत्वपूर्ण जानकारी ) --

महाराजा अग्रसेन – अग्रवाल समाज के संस्था्पक व समाजवाद के प्रवर्तक। प्रताप नगर के सूर्यवंशी महाराजा वल्ल‍भ के पुत्र।

महारानी माधवी – महाराजा अग्रसेन की महारानी व नागलोक के राजा कुमुद की पुत्री ।
अग्रसेन जयंती – प्रत्येक वर्ष आसोद सुदी एकम (पहला नवरात्रा) को मनाई जाती है ।
महाराजा अग्रसेन के सिद्धांत – सर्वेभवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामया
महाराजा अग्रसेन का आदर्श - जीओ और जीने दो ।
महाराजा अग्रसेन ने 18 यज्ञ किए व यज्ञ में पशु बलि को बंद किया । महाराजा अग्रसेन ने बडे पुत्र विभु को राजगद्दी सौंपी ।
महाराजा अग्रसेन जलपोत – का अनावरण 14 मार्च 1995 को हुआ ।
महाराजा अग्रसेन सुपर नेशनल हाइवे – दिल्ली से कनयाकुमारी तक ।
महाराजा अग्रसेन – पर डाक टिकट 24 सितंबर 1976 को भारत सरकार ने जारी किया ।
अग्रोहा –
अग्रोहा – अग्रवालों की पितृभूमि, हिसार(हरियाणा) जिले में है, अग्रोहा को पांचवा धाम माना गया है ।
अग्रोहा की रीति – एक ईंट और एक मुद्रा( रूपया )
लाला हरभजन शाह (महम निवासी ) – अग्रोहा को दोबारा बसाया । इनको श्रीचंद नामक व्यायपरी के पत्र से यह प्रेरणा मिली ।
शीला माता – सेठ हरभजन शाह की पुत्र
महालक्ष्मी - अग्रवालों की कुलदेवी ।
अग्रोहा में प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा को महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।
अग्रोहा के दर्शनीय स्थल – शक्ति सरोवर, मंदिर जैसे – महाराजा अग्रसेन,कुलदेवी महालक्ष्मी, माता सरस्वती, शक्ति माता शीला, माता
वैष्णोदेवी , हनूमान जी की 90 फीट ऊंची प्रतिमा , अप्पू घर, महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज व अस्‍पताल, पुराने किले के अवशेष आदि ।
स्व . श्री तिलक राज अग्रवाल – शीला माता के भव्य मंदिर का निर्माण करवाया
अग्रोहा में मेडिकल कॉलेज व अस्पताल का उद्घाटन 7 अगस्त 1994 को हुआ
अग्रोहा धाम – राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 10 के हिसार जिले में है ।
लाला हरभजन शाह – इन्होंने परलोक के भुगतान पर कर्ज दिया ।

महाराजा अग्रसेन जी का जन्म अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को हुआ, जिसे अग्रसेन जयंती के रूप में मनाया जाता है। महाराजा अग्रसेन का जन्म लगभग पाँच हज़ार वर्ष पूर्व प्रताप नगर के राजा वल्लभ के यहाँ सूर्यवंशी क्षत्रिय कुल में हुआ था। वर्तमान में राजस्थान व हरियाणा राज्य के बीच सरस्वती नदी के किनारे प्रतापनगर स्थित था। राजा वल्लभ के अग्रसेन और शूरसेन नामक दो पुत्र हुये। अग्रसेन महाराज वल्लभ के ज्येष्ठ पुत्र थे। महाराजा अग्रसेन के जन्म के समय गर्ग ॠषि ने महाराज वल्लभ से कहा था, कि यह बहुत बड़ा राजा बनेगा। इस के राज्य में एक नई शासन व्यवस्था उदय होगी और हज़ारों वर्ष बाद भी इनका नाम अमर होगा।

अग्रवाल -
महाराजा अग्रसेन के वंशज अग्रवाल कहलाते हैं यह राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण घटक है और इसकी परम्पराएं महान हैं। इसने कभी भी जाति की संकीर्ण भावनाओं को प्रश्रय नहीं दिया। अग्रवाल समाज की राष्ट्रीरय व सामाजिक सेवाओं का प्रसार मानव मात्र से लेकर पशु-पक्षी सभी की सेवा करना है।


अग्रसेन समाज समाजवाद के प्रेरक -- एक बार अग्रोहा में अकाल पड़ा। तब चारों ओर त्राहि-त्राहि हो गई अव्यवस्था होने लगी। ऐसे में समस्या का समाधान ढूंढने के लिए महाराज वेश बदल कर अपनी नगरी में जहाँ सहायता शिविर लगे हुए थे गए, वहाँ देखा एक परिवार में मात्र चार सदस्यों का ही खाना बना था। किन्तु खाना प्रारम्भ करते समय एक अतिरिक्त मेहमान आ गया जिसके कारण भोजन की समस्या हो गई। ऐसे में परिवार के सदस्यों ने चारों थालियों में से थोड़ा-थोड़ा भोजन निकालकर एक पाँचवी थाली परोस दी । सभी के भोजन की समस्या का समाधान हो गया । महाराज ने यह वृतांत सभासदों को बताया और एक ईंट और एक रूपया सिद्धान्त की घोषणा की और कहा की आने वाले प्रत्येक नवीन परिवार को रह रहे प्रत्येक परिवार की ओर से एक रूपया और एक ईंट दी जाए। ईंटों से वो अपने घर का निर्माण करें और रूपये से व्यापार करें। इससे समस्या समाधान हो गया। एक ईंट और एक रूपये का यह चलन अग्रवालों की पहचान बन गया जो महाराजा अग्रसेन के सच्चे समाजवाद का प्रतीक है एवं आज भी यह सिद्धान्त प्रासंगित है ऐसे महाराज अग्रसेन ने 108 वर्षों तक राज्य किया । उन्हें 18 पुत्र हुए जिनके नाम से 18 गौत्रों का प्रचलन हुआ । जो इस प्रकार है-गर्ग, गोयल, गोयन, बंसल, कंसल, सिंहल, मंगल, जिन्दल, तिंगल, ऐरण, धारण, मधुकुल, बिन्दल, मित्तल, तायल, भंदल, नागल, कुच्छल ।

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