2015-09-30

Seething under stress?

Seething under stress? Here’s help


Here is an article wrote for Times of India recently

Q. What's the first thing one should do in the morning to kickstart the day?
A. Contemplation is the best form of meditation. An active cup of contemplation creates the right inspiration to energize the day.

Q. Handy tips to banish the 'lonely' feeling?
A. Loneliness is the by-product of a past bitterness in relationship. The fear of not wanting to enter into a relationship is constantly conflicted with a need to fulfill a relationship. Put yourself out there!
Relationships break because of not understanding that people are not difficult, but people are different. Rather than wanting to resist any attempt for making new relationship, one should to value their current relationships.


चम्मच होता तो मिला लेता

मिठास              〰〰〰〰

        चाय का कप लेकर आप
        खिड़की के पास बैठे हों
    और बाहर के सुंदर नज़ारे का
आनंद लेते हुए चाय की चुस्की लेते हैं
.....अरे चीनी डालना तो भूल ही गये..;
  और तभी फिर से किचन मेँ जाकर
   चीनी डालने का आलस आ गया....
    आज फीकी चाय को जैसे तैसे
      पी गए,कप खाली कर दिया
     तभी आपकी नज़र कप के तल
      में पड़ी बिना घुली चीनी पर
                पडती है..!!
 

श्राद्ध करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

श्राद्ध करते समय ध्यान रखने योग्य बातें


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धर्म ग्रंथों के अनुसार श्राद्ध के सोलह दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितरों का ऋण श्राद्ध द्वारा चुकाया जाता है। वर्ष के किसी भी मास तथा तिथि में स्वर्गवासी हुए पितरों के लिए पितृपक्ष की उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है।

पूर्णिमा पर देहांत होने से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा को श्राद्ध करने का विधान है। इसी दिन से महालय (श्राद्ध) का प्रारंभ भी माना जाता है। श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा से जो कुछ दिया जाए। पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितृगण वर्षभर तक प्रसन्न रहते हैं। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि पितरों का पिण्ड दान करने वाला गृहस्थ दीर्घायु, पुत्र-पौत्रादि, यश, स्वर्ग, पुष्टि, बल, लक्ष्मी, पशु, सुख-साधन तथा धन-धान्य आदि की प्राप्ति करता है।

पुराना इतवार - गुलजार की एक कविता

"आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर 
पुराना इतवार मिला है.........

जाने क्या ढूँढने खोला था
उन बंद दरवाजों को,
अरसा बीत गया सुने,
उन धुंधली आवाजों को,
यादों के सूखे बागों में,
जैसे एक गुलाब खिला है।
आज मुझे उस बूढ़ी अलमारी के अन्दर,
पुराना इतवार मिला है........

कांच के एक डिब्बे में कैद,
खरोचों वाले कुछ कंचे,
कुछ आज़ाद इमली के दाने,
इधर उधर बिखरे हुए,
मटके का इक चौकोर,

Happy married life workshop

कॉलेज में Happy married life पर
एक  workshop हो रही थी,
जिसमे कुछ शादीशुदा
जोडे हिस्सा ले रहे थे।
जिस समय प्रोफेसर  मंच पर आए 
उन्होने नोट किया कि सभी
पति- पत्नी शादी पर
जोक कर  हँस रहे थे...
ये देख कर प्रोफेसर ने कहा
कि चलो पहले  एक Game खेलते है...
उसके बाद  अपने विषय पर बातें करेंगे।
सभी  खुश हो गए
और कहा कोनसा Game ?
प्रोफ़ेसर ने एक married
लड़की को खड़ा किया

2015-09-29

इंसान जाने कहां खो गये

जाने क्यूं - अब शर्म से, चेहरे गुलाब नही होते।
जाने क्यूं
अब मस्त मौला मिजाज नही होते।
पहले बता दिया करते थे, दिल की बातें।
जाने क्यूं
अब चेहरे, खुली किताब नही होते।
सुना है
बिन कहे
दिल की बात समझ लेते थे।

गलती

गलती ????


आचार्य चाणक्य कहते हैं, अगर आप गलती करके स्वयं को सही सिद्ध करने का प्रयास करते हैं तो समय आपकी मूर्खता पर हंसेगा। गलती हो जाना तो मानव देह का स्वभाव है मगर गलती होने के बावजूद उसे स्वीकार न करना यह अवश्य एक कुभाव और दुर्भाव है।



गलती पर गलती करने के बावजूद यदि दुर्योधन और रावण आदि ने स्वयं को सही सिद्ध करने का प्रयास न किया होता तो निश्चित ही वे जग हंसाई के पात्र बनने से बच जाते।

नर पर भारी नारी - व्यंग

जरूर पढ़े:एक व्यंग्य


अक्ल बांटने लगे विधाता, लंबी लगी कतारें,
सभी आदमी खड़े हुए थे कहीं नहीं थी नारें।
सभी नारियाँ कहाँ रह गई, था ये अचरज भारी,
पता चला ब्यूटी पार्लर में, पहुँच गई थी सारी।
मेकअप की थी गहन प्रक्रिया, एक एक पर भारी,
बैठी थीं कुछ इंतजार में, कब आएगी बारी।
उधर विधाता ने पुरूषों में,अक्ल बाँट दी सारी,
ब्यूटी पार्लर से फुर्सत पाकर, जब पहुँची सब नारी।
बोर्ड लगा था स्टॉक ख़त्म है, नहीं अक्ल अब बाकी
रोने लगी सभी महिलाएं,नींद खुली ब्रह्मा की।

छोटा सा गाँव मेरा

छोटा सा गाँव मेरा पुरा बिग् बाजार था,,

एक नाई, एक मोची,
एक काला लुहार था....
छोटे छोटे घर थे,
हर आदमी बङा दिलदार था,
छोटा सा गाँव मेरा
पुरा बिग् बाजार था..।।
.

गजेडी

गाँजा चढ गया इसको


It climbed marijuana

एक गाँव के बाहर बने शिवमंदिर मे चार पाँच गजेडी रोज गाँजा पीते थे ,  पिछले कइ साल से जब भी वो गाँजा पीते थे तब "बम भोले" का जयकारा करते थे चिल्लम की हर फुँक के साथ, एक दिन खुद शिव जी उनके इस भग्ति माध्यम से प्रसन्न हो गये, वो एक साधारण मनुष्य के रूप मे उन गजेडीयो के पास आ कर बैठ गये, गजेडीयो ने चिल्लम बनाना शुरू किया तो एक गजेडी ने शिव जी को गाजा आफर किया, प्रायः गजेडीयो मे मेहमानवाजी बडे उच्च स्तर की होती है इसलिए गजेडीयो ने पहला चिल्लम भोलेनाथ को ही दिया, एक फुँक मे ही शिव ने पुरा चिल्लम खाली कर दिया .

मेरी मेहबूबा


परी हो तुम गुजरात की, रूप तेरा मद्रासी ! 
सुन्दरता कश्मिर की तुममे ,सिक्किम जैसा शर्माती !!
:
खान-पान पंजाबी जैसा, बंगाली जैसी बोली !
केरल जैसा आंख तुम्हारा ,है दिल तो तुम्हारा दिल्ली !!
:
महाराष्ट्र तुम्हारा फ़ैशन है, तो गोवा नया जमाना !
खुशबू हो तुम कर्नाटक कि,बल तो तेरा हरियाना !!
:

2015-09-24

स्वामी विवेकानंद - संवाद

स्वामी विवेकानंद के इस संवाद को ध्यान से पढ़ें 

मानव धर्म एक है, मानव जाति एक है।"...




मुशीं फैज अली ने स्वामी विवेकानन्द से पूछा :
"स्वामी जी हमें बताया गया है कि अल्लहा एक ही है। 
यदि वह एक ही है, तो फिर संसार उसी ने बनाया होगा ?
"स्वामी जी बोले, "सत्य है।".
मुशी जी बोले ,"तो फिर इतने प्रकार के मनुष्य क्यों बनाये। 
जैसे कि हिन्दु, मुसलमान, सिख्ख, ईसाइ और सभी को अलग-अलग धार्मिक ग्रंथ भी दिये। एक ही जैसे इंसान बनाने में उसे यानि की अल्लाह को क्या एतराज था। सब एक होते तो न कोई लङाई और न कोई झगङा होता।
".स्वामी हँसते हुए बोले, "मुंशी जी वो सृष्टी कैसी होती जिसमें एक ही प्रकार के फूल होते। केवल गुलाब होता, कमल या रंजनिगंधा या गेंदा जैसे फूल न होते!".


2015-09-19

कीर्तन की महिमा

संकीर्तन महिमा 




कलियुग में नाम संकीर्तन के अलावा जीव के उद्धार का अन्य कोई भी उपाय नहीं है| 

बृहन्नार्दीय पुराण में आता है–

हरेर्नाम हरेर्नाम हरेर्नामैव केवलं|

कलौ नास्त्यैव नास्त्यैव नास्त्यैव गतिरन्यथा||


कलियुग में केवल हरिनाम, हरिनाम और हरिनाम से ही उद्धार हो सकता है| हरिनाम के अलावा कलियुग में उद्धार का अन्य कोई भी उपाय नहीं है! नहीं है! नहीं है!  

 कृष्ण तथा कृष्ण नाम अभिन्न हैं: कलियुग में तो स्वयं कृष्ण ही हरिनाम के रूप में अवतार लेते हैं| केवल हरिनाम से ही सारे जगत का उद्धार संभव है–

कलि काले नाम रूपे कृष्ण अवतार | 
नाम हइते सर्व जगत निस्तार||    – चै॰ च॰ १.१७.२२


पद्मपुराण में कहा गया है–

नाम: चिंतामणि कृष्णश्चैतन्य रस विग्रह:|
पूर्ण शुद्धो नित्यमुक्तोSभिन्नत्वं नाम नामिनो:||


गर्व था भारत-भूमि को

गर्व था भारत-भूमि को
कि महावीर की माता हूँ।।
राम-कृष्ण और नानक जैसे
वीरो की यशगाथा हूँ॥
कंद-मूल खाने वालों से
मांसाहारी डरते थे।।
पोरस जैसे शूर-वीर को
नमन 'सिकंदर' करते थे॥
चौदह वर्षों तक खूंखारी
वन में जिसका धाम था।।

2015-09-18

पानी के ज़रिये इलाज

पानी के ज़रिये इलाज 

प्राकृतिक पैथी के डॉक्टरों ने पानी के ज़रिये इन बीमारियों का इलाज किया है।

1⃣ लकवा(Paralysis)
2⃣ बेहोशी
3⃣ ब्लड कोलेस्ट्रोल
4⃣ सर का दर्द(headache)
5⃣ ब्लड प्रेशर
6⃣  बलग़म (phlegm)
7⃣ खांसी(cough)
8⃣ दमा (asthama)
9⃣टीबी (Tuberculosis)

Seventh Pay Commission Submit Report in December 15

The Cabinet extended by four months the term of the Seventh Pay Commission, The Commission will now have time until December 31 to submit its report.

The Cabinet approves extension of the term of the 7th Central Pay Commission by four months, that is up to December 31, 2015, an official order is.......


7th Pay Commission 4 month Extension Gazetted Notification

2015-09-17

पापा ये लो.. ये वाला ज्यादा मीठा है

नजर का आपरेशन तो सम्भव है, पर नजरिये का नही..!!!


एक छोटा सा बच्चा अपने दोनों हाथों में एक एक एप्पल लेकर खड़ा था

उसके पापा ने मुस्कराते हुए कहा कि
"बेटा एक एप्पल मुझे दे दो"

इतना सुनते ही उस बच्चे ने एक एप्पल को दांतो से कुतर लिया.

उसके पापा कुछ बोल पाते उसके पहले ही उसने अपने दूसरे एप्पल को भी दांतों से कुतर लिया

अपने छोटे से बेटे की इस हरकत को देखकर बाप ठगा सा रह गया और उसके चेहरे पर मुस्कान गायब हो गई थी...

Walk Away

 "Walking" is the best exercise..                                                     
                                     
                                 
                            
                       
                   
              
         
     

'Walk Away' from arguments that lead you to nowhere but anger.
'Walk Away' from people who deliberately put you down.
'Walk Away' from any thought that reduces your worth.

2015-09-16

पति की कलम से....मेरी पत्नी

एक पति की कलम से....

"मेरी पत्नी  शिक्षक नही,
पर बच्चों की सबसे बड़ी गुरु वही है ।

वो चिकित्सक भी नही,
पर हमारे हर मर्ज का इलाज है उसके पास।

वो एम.बी.ए. भी नही,
पर घर/बाहर का मेनेजमेन्ट जानती है बखूबी ।

2015-09-14

हिन्दी के सम्बन्ध में विद्वानॊ के विचार


हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में १४ सितम्बर सन् १९४९ को स्वीकार किया गया। इसके बाद संविधान में राजभाषा के सम्बन्ध में धारा ३४३ से ३५२ तक की व्यवस्था की गयी। इसकी स्मृति को ताजा रखने के लिये १४ सितम्बर का दिन प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है।



"हिन्दी जनमन की अभिलाषा, यह राष्ट्रप्रेम की परिभाषा
भारत जिसमें प्रतिबिम्बित हो, यह ऐसी प्राणमयी भाषा।


Hindi's motto

जिस भाषा में तुलसीदास जैसे कवि ने कविता की हो, वह अवश्य ही पवित्र है और उसके सामने कोई भाषा नहीं ठहर सकती। 
- महात्मा गाँधी 


अगर  हिंदुस्तान को सचमुच आगे बढ़ना है, तो चाहे कोई माने या न माने, राष्ट्रभाषा तो हिंदी ही बन सकती है, क्योंकि जो स्थान हिंदी को प्राप्त है, वह किसी और भाषा को नहीं मिल सकता है। 
- महात्मा गाँधी 


राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है। मेरा यह मत है कि हिंदी ही हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा हो सकती है और होनी चाहिए। 
- महात्मा गाँधी 


2015-09-10

मोदीजी ने चाय बेचते-बेचते सीखी हिंदी

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने भारत में 32 साल बाद हो रहे 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि उन्हें चाय बेचते-बेचते हिंदी सीखने का मौका मिला। उन्होंने बताया कि गुजरात में उत्तर प्रदेश से लोग दूध लेकर ट्रेन से आते थे। मैं उनके लिए चाय लेकर जाता था। उन्हें गुजराती नहीं आती थी। मेरे पास हिंदी सीखने के अलावा कोई चारा नहीं था। इसी क्रम में मैंने हिंदी सीखी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरी मातृभाषा गुजराती है. मैं कभी सोचता हूं कि यदि मुझे हिंदी भाषा बोलना या समझना नहीं आता तो मेरा क्या हुआ होता. मैं लोगों तक कैसे अपनी बात पहुंचाता. मुझे तो व्यक्तिगत रुप से भाषा की ताकत क्या होती है. उसका भली भांति अंदाज है.


विश्व हिंदी सम्मेलन

विश्व हिन्दी सम्मेलन हिन्दी का सबसे भव्य अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन है, जिसमें विश्व भर से हिन्दी भाषा के विद्वान, साहित्यविद्, प्रखर पत्रकार, भाषा शास्त्री, विषय विशेषज्ञ तथा हिन्दी को चाहने वाले जुटते हैं। यह सम्मेलन अब प्रत्येक चौथे वर्ष आयोजित किया जाता है।

विश्व हिंदी सम्मेलन की संकल्पना राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा द्वारा 1973 में की गई थी। संकल्पना के फलस्वरूप, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के तत्वावधान में प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन 10–12 जनवरी 1975 को नागपुर, भारत में आयोजित किया गया था।

सम्मेलन का उद्देश्य इस विषय पर विचार विमर्श करना था कि तत्कालीन वैश्विक परिस्थिति में हिंदी किस प्रकार सेवा का साधन बन सकती है, 'महात्मा गाँधी जी की सेवा भावना से अनुप्राणित हिंदी संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रवेश पाकर विश्व भाषा के रूप में समस्त मानव जाति की सेवा की ओर अग्रसर हो। साथ ही यह किस प्रकार भारतीय संस्कृति का मूलमंत्र 'वसुधैव कुटुंबकम' विश्व के समक्ष प्रस्तुत करके 'एक विश्व एक मानव परिवार' की भावना का संचार करे।'

2015-09-09

राष्ट्रीय भाषा

अँग्रेजी भाषा की गुलामी: अंग्रेजी के कुछ वितर्क-

1) English अंतराष्ट्रीय भाषा है ??
2) English विज्ञान और तकनीकी की भाषा है ??
3) English जाने बिना देश का विकास नहीं हो सकता ??
4) English बहुत समृद्ध भाषा है !

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मित्रो पहले आप एक खास बात जाने ! कुल 70 देश है पूरी दुनिया मे जो भारत से पहले और भारत से बाद आजाद हुए हैं भारत को छोड़ कर उन सब मे एक बात सामान्य हैं कि आजाद होते ही उन्होने अपनी मातृ भाषा को अपनी राष्ट्रीय भाषा घोषित कर दिया !

लेकिन शर्म की बात है भारत आजादी के 65 साल बाद भी नहीं कर पाया । आज भी भारत मे सरकारी स्तर की भाषा अँग्रेजी है !

2015-09-08

दवाई इतनी भी महंगी न थी के मैं ला ना सका ।

पहली बार किसी गज़ल को पढ़कर आंसू आ गए ।
,
शख्सियत, ए 'लख्ते-जिगर, कहला न सका ।
जन्नत,, के धनी "पैर,, कभी सहला न सका । .
दुध, पिलाया उसने छाती से निचोड़कर,
मैं 'निकम्मा, कभी 1 ग्लास पानी पिला न सका ।
.
बुढापे का "सहारा,, हूँ 'अहसास' दिला न सका
पेट पर सुलाने वाली को 'मखमल, पर सुला न सका ।
.

अलौकिक शक्तियां

मनुष्य के अन्दर छुपी है अलौकिक शक्तियां


 वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर यह प्रमाणित हो चुका है कि मनुष्य का शरीर जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी तथा आकाश इन पांच तत्वों से निर्मित होता है। और इसमे कोई संदेह नही कि जो चीज जिस तत्व से बनी हो उसमे उस तत्व के सारे गुण समाहित होते हैं। इस लिए पंचतत्वों से निर्मित मनुष्यों के शरीर में जल की शीतलता, वायु का तीब्र वेग, अग्नि का तेज, पृथ्वी की गुरूत्वाकर्षण, ओर आकाश की विशालता समाहित होता है। इस तरह मनुष्य अनंत शक्तियों का स्वामी है तथा इस स्थुल शरीर के अंदर अलौकिक शक्तियाँ छुपी हुई है। 

परंतु हमारे अज्ञानता के कारण हमारे अंदर की शक्तियाँ सुप्तावस्था में पड़ी हुई है। जिसे कोई भी व्यक्ति कुछ प्रयासों के द्वारा अपने अन्दर सोई हुई शक्तियों को जगाकर अनंत शक्तियों का स्वामी बन सकता है। मनुष्य के अन्दर की सोई हुई इसी शक्ति को ही कुण्डलिनी कहा गया है। 

2015-09-06

एक युवती एक बुजुर्ग

एक युवती बगीचे में बहुत गुस्से में बैठी थी पास ही एक बुजुर्ग
बैठे थे
उन्होने उस परेशान युवती से पूछा :- क्या हुआ बेटी क्यूं इतना
परेशान हो
युवती ने गुस्से में अपने पति की गल्तीयों के बारे में बताया
बुजुर्ग ने मंद मंद मुस्कराते हुए युवती से पूछा बेटी क्या तुम
बता सकती हो तुम्हारे घर का नौकर कौन है ?
युवती ने हैरानी से पूछा :- क्या मतलब ?
बुजुर्ग ने कहा :- तुम्हारे घर की सारी जरूरतों का ध्यान रख
कर उनको पूरा कौन करता है?
युवती :- मेरे पति

ArthaKranti proposal

Arthakranti Proposal

What is Arthakranti Proposal and who has given the proposal?

“Arthakranti Proposal” has been given by a Pune (Maharashtra) based “Arthakranti Sansthan” which is an Economic Advisory body constituted by a group of Chartered Accountants and Engineers. This funda has been patented by the Sansthan.

Arthakranti Proposal is an effective and guaranteed solution of Black Money Generation, Price rise and Inflation, Corruption, Fiscal Deficit, Unemployment, Ransom, GDP and industrial growth, terrorism and good governance.

What is in the Proposal ?

“Arthakranti Proposal has FIVE point of actions simultaneously.

2015-09-04

FATHER, I WANTED A CAR

FATHER, I WANTED A CAR, NOT A
BhagvatGeeta

A young man was getting ready to graduate from college. For many months he had admired a beautiful sports car in a dealers showroom,

and knowing his father could well afford it, he told him that was all he wanted.
As Graduation Day approached, the young man awaited signs that his father had purchased the car. Finally, on the morning of his graduation, his father called him into his private study, told him how proud he was to have such a fine son, and how much he loved him. He handed him a beautifully wrapped gift box.

Curious, but somewhat disappointed, the young man opened the box and found a lovely, leather-bound Geeta with his name embossed in gold.