60-70वे दशक मे पश्चिमी राजस्थान के रॉबिन हुड
बलवँत सिँह बाखासर राजस्थान के लिए , भारतीय सेना के लिए,एक जाना पहचाना नाम है . भारत की आजादी के बाद 60-70वे दशक मे पश्चिमी राजस्थान में ये काफी सक्रिय रहे थे.
जीवन के प्रारम्भ में गुजरात व राजस्थान के सरकारी महकमे एवं पुलिस विभाग के लिए डकैत लेकिन बाडमेर साँचोर ओर उत्तरी गुजरात के वाव थराद सीमावर्ती गाँवो के लिए वे आधुनिक रॉबिन हुड कहलाये .
बलवंत सिंह का जन्म राजस्थान के बाड़मेर जिला के गांव बाखासर में चौहानो की नाडोला उप शाखा में हुआ बलवंत सिंह शादी कच्छ गुजरात के विजेपासर गाव में जाडेजा राजपूतो के यहाँ हुयी आपका बचपन राजस्थान गुजरात और पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रो में गुजरा ये पूरी तरह यहाँ के सीमावर्ती क्षेत्रो को लेकर वाकिफ थे वक़्त के साथ बलवंत सिंह ने हथियार उठा दिए.
बलवँत सिँह बाखासर देश में पहली बार चर्चा मे तब आए जब मीठी पाकिस्थान के सिन्धी मुसलमाँन एक साथ 100 गायो लेकर पाकिस्तान जा रहे थे जैसे ही इसकी खबर बलवंत सिंह जी को मिली फिर क्या था उसी क्षण अपने घोड़े पर सवार होकर बलँवत सिँह डाकुओ का पीछा करने निकले अकेले मुकाबला करते हुए 8 सिँधीयो को ढेर कर दिया ओर सभी गाय छुडवा लाए. मोहम्मद हयात खान नाम के लूटेरे को बाड़मेर में लंबी नींद सुलाया।
महत्वपूर्ण घटना क्रम..
1971 भारत पाक के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण थे 71 युद्ध मे ईनकी अहम भूमिका रही, हमारे सैनिको में ज्यादातर बाहरी और रेगिस्तान के खतरों से अनजान थे बलवंत सिंह पाक सीमा से अच्छी तरह वाकिफ थे और काफी लोकप्रिय हो गए थे उस वक़्त लेफ्टीनेंट भवानी सिंह जी ने सूझ भुझ से काम लिया आखिर में देश हित में लेफ्टिनेँट महाराजा भवानी सिँह जयपुर ने इनको सेना की एक बटालियन और 4 जोन्गा जीपे तक सौँप दी थी पूरी बटालियन की अगुवाई इन्ही बलवंत सिंह बाखासर ने की और अपने धैर्य और सूझबुझ से भारतीय सेना को पाक के भीतर तक ले गए और नतिजा रहा की सुबह के 3 बजे पाकिस्तान के सिंध सूबे के छाछरो कस्बे पर कब्जा करने मे सफलता मिली और पाकिस्थान के 100 गावो पर कब्ज़ा हुआ सारे ठाणे भारतीय सेना के कब्जे में आ गए . भारतीय सैनिको को तब बड़ा ताज्जुब हुआ जब पाकिस्तान ग्रामीण अंचल के लोग सिर्फ बलवंत सिंह बाखासर को देखने के लिए कई किलोमीटर दूर से पैदल आये।
इनकी देशभक्ति ओर वीरता से प्रभावित प्रसन्न होकर भारत सरकार ने इन पर लगाए सारे डकेती के केस वापस ले लिए थे.
अभी इनके पोत्र रतन सिंह जी बाखासर अहमदाबाद में रह रहे है. राजस्थान ,गुजरात,कच्छ और रण क्षेत्र इनकी वीरता के वीर रस भजन आज तक गाए जाते है
अन्य स्रोत्र
Jai Hind !
ReplyDeleteVande Matram !
बलवंत सिहँ जी की पोस्ट अधूरी ही कापी पोस्ट हो रही है कृपया पूरी पोस्ट वाटसप पर आप भेजे तो बड़ी कृपा होगी
ReplyDeleteनमस्कार महोदय आप select All कर कॉपी पेस्ट करे या अपना email भेजे जिस पर मै यह पोस्ट मेल कर दूंगा ..
Deleteपोस्ट एवं ब्लॉग मे आपके अनुभव (कमेंट्स के रूप में )का आकांछी हूँ
धन्यबाद
सर जी आपके ब्लाग की जितनी तारीफ करू उतनी ही कम है मै अकिंचन भला आप को क्या सुझाव दे सकता हूँ | भला दीपक की क्या औकात जो सूर्य का मुकाबला करे | बस हिन्दी टाईपिंग का सुझाव की धृष्टता कर रहा हूँ क्षमा करे || आकांछी शुद्द लिखने के लिये पहले क लिखे फिर हलंत लगाये फिर ष पर क्लिक करे देखिये -----> क ् ष फिर होजायेगा क्ष अब पूरा देखे आकांक्षी मेल आई डी है ---> jangidbhikm@gmail.com वाटसप नम्बर है 07742407659 वाटसप पर भेजो तो अधिक लोगो तक सैयर कर सकूंगा
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