नीरजा भनोट ने पैन एम की फ्लाइट 73 को कराची (पाकिस्तान) में हाईजैक कर लिए जाने के बाद 359 यात्रियों और क्रू की जान बचाई थी, लेकिन अपहरणकर्ताओं के हाथों खुद के प्राण नहीं बचा सकी... नीरजा ने फ्लाइट पर मौजूद अमेरिकी नागरिकों के पासपोर्ट छिपा दिए थे, ताकि अपहरणकर्ता उन्हें पहचानकर अलग न कर सकें... इसके बाद मौका मिलने पर नीरजा ने सभी यात्रियों को विमान से बाहर निकलने में मदद की, लेकिन अंत में कुछ बच्चों को विमान से सुरक्षित निकालने की कोशिश के दौरान अपहरणकर्ताओं ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी...
नीरजा के बारे में ज्यादातर लोग यही जानते हैं कि वह एक अपह्रत विमान में एयरहोस्टेस थी। और यात्रियों की जान बचाने में उसकी जान चली गई थी। ‘नीरजा’ की कहानी का यह उत्कर्ष उसके जीवन के दूसरे फैसलों का परिणाम है।
अबू निदाल ऑर्गेनाइजेशन के आतंकियों के सामने विकट स्थिति खड़ी हो जाती है क्योंकि विमान उड़ाने वाला कोई नहीं है। वे साइप्रस में कैद अपने साथियों को छुड़ाना चाहते थे, लेकिन पायलेट की मांग में उलझ जाते हैं। घंटों तक विमान कराची एअरपोर्ट पर खड़ा रहता है। बातचीत चलती रहती है और इसी बीच नीरजा अपने यात्रियों को ध्यान रखने का कर्तव्य बखूबी निभाती है।
नीरजा की बहादुरी और निर्णय लेने की क्षमता तब भी दिखाई देती है जब उसे भनक लगती है कि आतंकी सारे पासपोर्ट इकट्ठा कर अमेरिकी नागरिकों को मार सकते हैं। वह अपने साथियों के साथ अमेरिकियों के पासपोर्ट छिपा देती है और आतंकियों के प्लान में बाधा उत्पन्न करती है।
'असली नायिका' के रूप में याद की जाने वाली नीरजा हमारे देश की पहली असैन्य नागरिक है, जिसे शांतिकाल के दौरान असीम वीरता प्रदर्शित करने के लिए दिए जाने वाले सर्वोच्च पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया... इस सम्मान को नीरजा से कम उम्र में भी आज तक किसी ने हासिल नहीं किया...
नीरजा भनोट पर
राम माधवानी निर्मित फिल्म 'नीरजा' में
बॉलीवुड अभिनेत्री सोनम कपूर
शीर्षक किरदार निभाया है इसमें शबाना आज़मी ने
नीरजा की मां
रमा भनोट का
किरदार निभाया है.
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