2016-02-27

चंद्रशेखर आज़ाद

श्री चंद्रशेखर आज़ाद
देश की शान
★★★★★★★★★

17 वर्ष में ही चंद्रशेखर आजाद क्रांतिकारी दल ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ में सम्मिलित हो गए थे। उनकी फुर्ती और चंचल स्वभाव के कारण बिस्मिल जी ने उनका नाम ‘क्विक सिल्वर’ रखा था। देश को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले मां भारती के इस वीर सपूत को इनकी पुण्यतिथि के अवसर पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करें...!


दुश्मन की गोलियों का, हम सामना करेंगे।
आज़ाद ही रहे हैं, आज़ाद ही मरेंगे॥



चंद्रशेखर आज़ाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को एक आदिवासी ग्राम भाबरा में हुआ था। चंद्रशेखर के पिता पंडित सीताराम तिवारी उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के बदर गांव के रहने वाले थे। भीषण अकाल के चलते आप ग्राम भाबरा में जा बसे। चंद्रशेखर आज़ाद का प्रारंभिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र भाबरा में व्यतीत हुआ जहाँ आपने अपने भील सखाओं के साथ धनुष-बाण चलाना सीख लिया था।

आज़ाद बचपन में महात्मा गांधी से प्रभावित थे।  मां जगरानी से काशी में संस्कृत पढ़ने की आज्ञा लेकर घर से निकले। दिसंबर 1921 गांधी जी के असहयोग आंदोलन का आरम्भिक दौर था, उस समय मात्र चौदह वर्ष की आयु में बालक चंद्रशेखर ने इस आंदोलन में भाग लिया।  चंद्रशेखर गिरफ्तार कर लिए गए और उन्हें मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित किया गया।  चंद्रशेखर से उनका नाम पूछा गया तो उन्होंने अपना नाम आज़ाद, पिता का नाम स्वतंत्रता और घर 'जेलखाना' बताया। उन्हें अल्पायु के कारण कारागार का दंड न देकर 15 कोड़ों की सजा हुई। हर कोड़े की मार पर, ‘वन्दे मातरम्‌' और ‘महात्मा गाँधी की जय' का उच्च उद्घोष करने वाले बालक चन्द्रशेखर सीताराम तिवारी को इस घटना के पश्चात् सार्वजनिक रूप से चंद्रशेखर 'आज़ाद' कहा जाने लगा।


जिस राष्ट्र ने चरित्र खोया उसने सब कुछ खोया।"
चंद्रशेखर आज़ाद
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"मैं जीवन की अंतिम सांस तक देश के लिए शत्रु से लड़ता रहूंगा।"
चंद्रशेखर आज़ाद
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"गिरफ़्तार होकर अदालत में हाथ बांध बंदरिया का नाच मुझे नहीं नाचना है। आठ गोली पिस्तौल में हैं और आठ का दूसरा मैगजीन है। पन्द्रह दुश्मन पर चलाऊंगा और सोलहवीं यहाँ!" और आज़ाद अपनी पिस्तौल की नली अपनी कनपटी पर छुआ देते।
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"आज़ाद की कलाई में हथकड़ी लगाना बिल्कुल असंभव है। एक बार सरकार लगा चुकी, अब तो शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे, लेकिन जीवित रहते पुलिस बन्दी नहीं बना सकती।"
- चंद्रशेखर आज़ाद
[आज़ाद केवल एक बार बचपन में पुलिस के हाथों पकड़े गए थे तभी उन्होंने प्रण किया था कि वे कभी पुलिस के हाथ नहीं आएंगे।]
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"जब तक यह बमतुल बुख़ारा (आज़ाद अपने माउजर पिस्तौल को इसी नाम से पुकारते थे) मेरे पास है किसने माँ का दूध पिया है जो मुझे जीवित पकड़ ले जाए।"
- चन्द्रशेखर आज़ाद



आजादी पाने के लिए हद तक जाना और बेखौफ अंदाज दिखाना, इन दोनों ही बातों से चंद्रशेखर आजाद आज अमर हैं. 

1. आजाद का प्रारम्भिक जीवन आदिवासी इलाके में बीता इसलिए बचपन में आजाद ने भील बालकों के साथ खूब धनुष बाण चलाए. इस प्रकार उन्होंने निशानेबाजी बचपन में ही सीख ली थी.
2. चंद्रशेखर सिर्फ 14 साल की उम्र में 1921 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए थे और तभी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और जब जज ने उनसे उनके पिता नाम पूछा तो जवाब में चंद्रशेखर ने अपना नाम आजाद और पिता का नाम स्वतंत्रता और पता जेल बताया. यहीं से चंद्रशेखर सीताराम तिवारी का नाम चंद्रशेखर आजाद पड़ा. 
3. गांधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन को अचानक बंद कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गए.
4. 27 Feb 1931 इलाहाबाद में पुलिस ने उन्हें घेर लिया और गोलियां दागनी शुरू कर दी. दोनों ओर से गोलीबारी हुई. चंद्रशेखर आजाद ने अपने जीवन में ये कसम खा रखी था कि वो कभी भी जिंदा पुलिस के हाथ नहीं आएंगे. इसलिए उन्होंने खुद को गोली मार ली.
5. जिस पार्क में उनका निधन हुआ था आजादी के बाद इलाहाबाद के उस पार्क का नाम बदलकर चंद्रशेखर आजाद पार्क और मध्य प्रदेश के जिस गांव में वह रहे थे उसका धिमारपुरा नाम बदलकर आजादपुरा रखा गया.


2 comments:



  1. Narendra Modi will be the first Prime Minister to visit the birth place of revolutionary leader Chandrashekhar Azad at Bhabhra in Madhya Pradesh's Alirajpur district, where he is to launch a programme to commemorate the sacrifices of freedom fighters on the Quit India day today.

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  2. Narendra Modi is set to become the first Prime Minister to visit the birth place of freedom fighter Chandra Shekhar Azad at Bhabhra in Madhya Pradesh’s Alirajpur district, where he is scheduled to launch a programme to commemorate the sacrifices of freedom fighters on Quit India day on Tuesday even as a threat of heavy rainfall looms.
    Bhabhara is now called Chandra Shekhar Azad Nagar in honour of the freedom fighter and Modi’s visit on International Day of the World’s Indigenous Peoples is seen as an obvious attempt to consolidate BJP votes in the tribal belt with a dash of patriotism thrown in.

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