
वही उस सिंहासन का अधिकारी माना जायेगा, और राज करेगा.
जैसा कि निश्चित हुआ था, दौड शुरू हुई.
कुत्ते को पूरा विश्वास था कि मैं ही जीतूंगा.
क्योंकि ज़ाहिर है इस गधे से तो मैं तेज ही दौडूंगा.
पर अागे किस्मत में क्या लिखा है ... ये कुत्ते को मालूम ही नही था.
शर्त शुरू हुई .
पर थोडा ही आगे गया न गया था कि अगली गली के कुत्तों ने उसे लपकना ,नोंचना ,भौंकना शुरू किया.
और ऐसा हर गली, हर चौराहे पर होता रहा..
जैसे तैसे कुत्ता हांफते हांफते सिंहासन के पास पहुंचा..
तो देखता क्या है कि गधा पहले ही से सिंहासन पर विराजमान है.
तो क्या...!
गधा उसके पहले ही वहां पंहुच चुका था... ?
और शर्त जीत कर वह राजा बन चुका था.. !
और ये देखकर
निराश हो चुका कुत्ता बोल पडा..
अगर मेरे ही लोगों ने मुझे आज पीछे न खींचा होता तो आज ये गधा इस सिंहासन पर न बैठा होता ...
तात्पर्य ...
१. अपने लोगों को काॅन्फिडेंस में लो.
२. अपनों को आगे बढने का मौका दो, उन्हें मदद करो.
३. नही तो कल बाहरी गधे हम पर राज करने लगेंगे.
मित्र आगे रहकर होटल के बिल का पेमेंट करतें हैं, वो उनके पास खूब पैसा है इसलिये नही ...
इसलिये.. कि उन्हें मित्र पैसों से अधिक प्रिय हैं ⭐
बना रहता है इसलिये की परवाह होती है इसलिये.⭐
तुम्हे मदद करने के लिये आगे आतें हैं वो तुम्हारा उनपर कोई कर्ज बाकी है इसलिये नही... बल्कि वे तुम्हें अपना मानतें हैं इसलिये⭐
खूब वाट्स एप पोस्ट भेजते रहतें हैं वो इसलिये नही कि वे निरे फुरसती होतें हैं ...
बल्कि उनमें सतत आपके संपर्क में बनें रहने की इच्छा रहती है ... इसलिये
( आत्मचिंतन करें )
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