2016-02-18

छत्रपती शिवाजी महाराज

छत्रपती शिवाजी महाराज / Shivaji Maharaj

शिवाजी जयंती, शिवाजी महाराज , मराठा के महान शासक , मराठा राष्ट्र के निर्माता के रूप में जाना जाता है । 19 फ़रवरी को, अपने जन्मदिन महाराष्ट्र में भव्य पैमाने पर मनाया जाता है। शिवाजी माता-पिता शाहजी भोंसले और जीजाबाई देवी शिवाय की याद के रूप में शिवाजी रूप में उसे नाम दिया है। शिवाजी कोंकण, मयाल और देश क्षेत्रों के मराठा प्रमुखों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । उनका नागरिक प्रशासन और सेना के महान महत्व के थे । शिवाजी विदेशी शक्तियों को हराने के माध्यम से एक राज्य के बाहर नक्काशी में बहुत सफल रहा था । महाराज का सम्मान करने के लिए, इस त्योहार हर साल बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। शिवाजी जयंती का मुख्य आकर्षण नर्तकियों जो लेज़िम्स के रूप में जाना एक पारंपरिक संगीत यंत्र की भूमिका के साथ रंगीन जुलूस है । लोगों की भारी संख्या महान जुनून के साथ इस त्योहार में भाग लेने और शिवाजी और उसके साथियों को इसी तरह के कपड़े पहनते हैं। कई कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया जाएगा जो शिवाजी की उपलब्धियों को याद करते हैं। उन्होंने न केवल महाराष्ट्र के लोगों के लिए बल्कि भारत के लिए एक हीरो है। वह एक अच्छे नेता थे और मुगल के खिलाफ लड़ द्वारा डेक्कन में हिन्दू राज्य की स्थापना की । शिवाजी उन में राष्ट्रीयता के माध्यम से पैदा मुगल शासक औरंगजेब के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया और संयुक्त आम आदमी । शिवाजी प्रशिक्षकों और ऐसे बाजी पासलकर और गोमजी नाइक के रूप में कमांडरों की मदद से एक सैन्य नेता के रूप में वृद्धि हुई। युवा शिवाजी , उत्साही प्रेरित और ऊर्जावान था।


शिवाजी उर्फ़ छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय शासक और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे. शिवाजी महाराज एक बहादुर, बुद्धिमान और निडर शासक थे. धार्मिक अभ्यासों में उनकी काफी रूचि थी. रामायण और महाभारत का अभ्यास वे बड़े ध्यान से करते थे.

शाहजी भोंसले की प्रथम पत्नी जीजाबाई (राजमाता जिजाऊ) की कोख से शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था | शिवनेरी का दुर्ग पूना (पुणे) से उत्तर की तरफ़ जुन्नार नगर के पास था | उनका बचपन राजा राम, गोपाल, संतों तथा रामायण , महाभारत की कहानियों और सत्संग में बीता | वह सभी कलाओ में माहिर थे, उन्होंने बचपन में राजनीति एवं युद्ध की शिक्षा ली थी | ये भोंसले उपजाति के थे जो कि मूलतः कुर्मी जाति से संबध्दित हे | कुर्मी जाति कृषि संबध्दित कार्य करती हे | उनके पिता अप्रतिम शूरवीर थे | और उनकी दूसरी पत्नी तुकाबाई मोहिते थीं | उनकी माता जी जीजाबाई जाधव कुल में उत्पन्न असाधारण प्रतिभाशाली थी और उनके पिता एक शक्तिशाली सामन्त थे | शिवाजी महाराज के चरित्र पर माता-पिता का बहुत प्रभाव पड़ा | बचपन से ही वे उस युग के वातावरण और घटनाओं को बहली प्रकार समझने लगे थे | शासन वर्ग की करतूतों पर वे झल्लाते थे और बेचैन हो जाते थे | उनके बाल-ह्रदय में स्वाधीनता की लौ प्रज्ज्वलित हो गयी थी | उन्होंने कुछ स्वामिभक्त साथियों का संगठन किया | अवस्था बढ़ने के साथ विदेशी शासन की बेड़ियाँ तोड़ फेंकने का उनका संकल्प प्रबलतर होता गया | छत्रपति शिवाजी महाराज का विवाह सन 14 मई 1640 में सइबाई निम्बालकर के साथ लाल महल, पुना में हुआ था |

शिवाजी महाराज शिवराज्याभिषेक  :-

सन 1674 तक शिवाजी राजे ने उन सारे प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था जो पुरन्दर की संधि के अंतर्गत उन्हें मुगलों को देने पड़े थे | पश्चिमी महाराष्ट्र में स्वतंत्र हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के बाद शिवाजीराजे ने अपना राज्याभिषेक करना चाहा, परन्तु ब्राह्मणों ने उनका घोर विरोध किया क्योकि वर्ण व्यवस्था के हिसाब से कुर्मी जाति उस समय शुद्र समझी जाती थी | शिवाजी राजे के निजी सचीव बालाजी आव जी ने इसे एक चुनौती के रुपमे लिया और उन्होंने ने काशी में गंगाभ नमक ब्राह्मण के पास तीन दूतो को भेजा, किन्तु गंगा ने प्रस्ताव ठुकरा दिया क्योकि शिवाजी महाराज क्षत्रियता का प्रमाण लाओ तभी वह राज्याभिषेक करेगा | बालाजी आव जी ने शिवाजीराजे का सम्बन्ध मेवार के सिसोदिया वंश से समबंध्द के प्रमाण भेजे जिससे संतुष्ट होकर वह रायगढ़ आया | किन्तु यहाँ आने के बाद जब उसने पुन जाँच पड़ताल की तो उसने प्रमाणों को गलत पाया और राज्याभिषेक से मना कर दिया | अंततः मजबूर होकर उसे एक लाख रुपये के प्रलोभन दिया गया तब उसने राज्याभिषेक किया | राज्याभिषेक के बाद भी पूना के ब्राह्मणों ने शिवाजी राजे को राजा मानने से मन कर दिया विवश होकर शिवाजी राजे को अष्टप्रधान मंडल की स्थापना करनी पड़ी | विभिन्न राज्यों के दूतों, प्रतिनिधियों के अलावा विदेशी व्यापारियों को भी इस समारोह में आमंत्रित किया गया | शिवाजी राजे ने छत्रपति की उपाधि ग्रहण की | काशी के पंडित विश्वेक्ष्वर जी भट्ट को इसमें विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था | पर उनके राज्याभिषेक के 12 दिन बाद ही उनकी माता का देहांत हो गया | इस कारण से 4 अक्टूबर 1674 को दूसरी बार उनका राज्याभिषेक हुआ | दो बार हुए इस समारोह में लघभग 50 लाख रुपये खर्च हुए | इस समारोह में हिन्द स्वराजकी स्थापना का उद्घोष किया गया था | विजयनगर के पतन के बाद दक्षिण में यह पहला हिन्दू साम्राज्य था | एक स्वतंत्र शासक की तरह उन्होंने अपने नामका सिक्का चलवाया | इसके बाद बीजापुर के सुल्तान ने कोंकण विजय के लिए अपने दो सेनाधीशों को शिवाजी के विरुध्द भेजा पर वे असफल रहे |

 इतिहास

1) उनका जन्म पुणे के किले में 7 अप्रैल 1627 को हुआ था.
2) शिवाजी महाराज ने अपना पहला आक्रमण तोरण किले पर किया, 16-17 वर्ष की आयु में ही मावल जाती के लोगों को संगठित करके अपने आस-पास के किलों पर हमले प्रारंभ किए और इस प्रकार एक-एक करके अनेक किले जीत लिये, जिनमें सिंहगढ़, जावली कोकण, राजगढ़, औरंगाबाद और सुरत के किले प्रसिध्द है.
3)शिवाजी की ताकत को बढ़ता हुआ देख बीजापुर के सुल्तान ने उनके पिता को हिरासत में ले लिए. बीजापुर के सुल्तान से अपने पिता को छुड़ाने के बाद शिवाजी ने पुरंदर और जावेली के किलो पर भी जीत हासिल की. इस प्रकार अपने प्रयत्न से काफी बड़े प्रदेश पर कब्जा कर लिया.
4) शिवाजी की बढती ताकत को देखते हुए मुघल सम्राट औरंगजेब ने जय सिंह और दिलीप खान को शिवाजी को रोकने के लिये भेजा. और उन्होंने शिवाजी को समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा. समझौते के अनुसार उन्हें मुघल शासक को 24 किले देने थे. इसी इरादे से औरंगजेब ने शिवाजी को आगरा आमंत्रित भी किया. आगरा में शिवाजी को औरंगजेब ने अपनी हिरासत में ले लिया था, लेकिन शिवाजी आगरा से भाग निकाले और अपने साम्राज्य में चले गये. कैद से आज़ाद होने के बाद, छत्रपति ने जो किले पुरंदर समझौते में खोये थे उन्हें पुनः हासिल कर लिया. और उसी समय उन्हें “छत्रपति” का शीर्षक भी दिया गया.
5) उन्होंने मराठाओ की एक विशाल सेना तैयार की थी. उन्होंने गुरिल्ला के युद्ध प्रयोग का भी प्रचलन शुरू किया. उन्होंने सशक्त नौसेना भी तैयार कर रखी थी. भारतीय नौसेना का उन्हें जनक कहा जाता है.
6) जून, 1674 में उन्हें मराठा राज्य का संस्थापक घोषीत करके सिंहासन पर बैठाया गया.
7) शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 12 दिन बाद उनकी माता का देहांत हो गया.
8) उनको ‘छत्रपती’ की उपाधि दी गयी. उन्होंने अपना शासन हिन्दू-पध्दती के अनुसार चलाया.
शिवाजी महाराज के साहसी चरित्र और नैतिक बल के लिये उस समय के महान संत तुकाराम, समर्थ गुरुरामदास तथा उनकी माता जिजाबाई का अत्याधिक प्रभाव था.

9) एक स्वतंत्र शासक की तरह उन्होंने अपने नाम का सिक्का चलवाया.
10) मृत्यु – अप्रैल, 1680 में शिवाजी महाराज का देहांत हुवा. शिवाजी महाराज की गनिमी कावा नामक कुट नीती जिसमे शत्रुपर अचानक आक्रमन करके उसे हटाया जाता है. विलोभनियतासे और आदरसहित याद किया जाता है.

शिवाजी महाराज राजमुद्रा   :-
6 जून “इ.स. 1674” को शिवाजी महाराज का रायगड पर राज्याभिषेक हुवा. और तभी से “शिवराज्याभिषेक शक शुरू किया और “शिवराई” ये मुद्रा आयी.

छत्रपती शिवाजीराजे पुणे का काम देखने लगे, तभी उन्होंने खुदकी राजमुद्रा तयार की. और ये राजमुद्रा संस्कृत भाषा में थी.

पूरा नाम   –    शिवाजी शहाजी भोसले.
जन्म        –    अप्रैल, 1627/19 फरवरी, 1630.
जन्मस्थान –  शिवनेरी दुर्ग (पुणे).
पिता        –  शहाजी.
माता        –  जिजाबाई.
विवाह      –  सइबाई के साथ.

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