कैसा है शमशान देख ले।
चल मेरा खलिहान देख ले।
अगर देखना है मुर्दा तो,
चलकर एक किसान देख ले।
सर्वनाश का सर्वे कर-कर,
पटवारी धनवान देख ले।
सिर्फ अंगूठा लिया सेठ ने,
कितना मेहरबान देख ले।
मरहम में रख नमक लगाते
सरकारी अहसान देख ले।
देहरी पर मेसी फर्गूसन,
भीतर बीयाबान देख ले।
मानसून तक मनमाना है
बस बेबस मुस्कान देख ले।
कुर्की की डिक्री पर अंकित,चल मेरा खलिहान देख ले।
अगर देखना है मुर्दा तो,
चलकर एक किसान देख ले।
सर्वनाश का सर्वे कर-कर,
पटवारी धनवान देख ले।
सिर्फ अंगूठा लिया सेठ ने,
कितना मेहरबान देख ले।
मरहम में रख नमक लगाते
सरकारी अहसान देख ले।
देहरी पर मेसी फर्गूसन,
भीतर बीयाबान देख ले।
मानसून तक मनमाना है
बस बेबस मुस्कान देख ले।
गिरता हुआ मकान देख ले।
कल पेशी है तहसीली में,
कोदो कुटकी धान देख ले।
सम्मन मिला कचेहरी से है,
अधिग्रहण फरमान देख ले।
तस्वीरों के पार झाँक कर.
गांवों का उत्थान देख ले।
आ इंडिया से बाहर आ,
आकर हिन्दुस्तान देख ले।
सारे किसानों को समर्पित।
-शुभारम्भ (परिवार भारत)
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