Latest WhatsApp Jokes. Funny WhatsApp Message Jokes in Hindi and English for WhatsApp groups. बहुमूल्य उपयोगी सन्देश, स्वास्थ्य सुझाव, हास्य व्यंग,
2016-10-24
2016-10-23
गुड़ खाने के फायदे
गुड़ खाने से फायदे
गुड़ खाने के फायदे :-
1. गुड़ शरीर को विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद करता है। सर्दियों में, यह शरीर के तापमान को विनियमित करने में मदद करता है।
2.गुड़ गले और फेफड़ों के संक्रमण के इलाज में फायदेमंद होता है।
3. गुड़ खाने से याद्दाश्त कमजोर नहीं होती, इसलिए अगर आप अपनी याद्दाश्त दुरुस्त रखना चाहते हैं,तो इसका नियमित सेवन करें।
4. थकान मिटाने के लिए गुड़ का शर्बत पीएं।
5. अगर आपके कान में दर्द रहता है, तो घी में गुड़ मिलाकर खाएं।
6. जुकाम को भगाने में भी ये लाभदायक साबित होता है।
7. अगर आपको कम भूख लगती है, तो इसका सेवन करें.इसका सेवन करने से भूख ज्यादा लगती है।
8. अस्थमा से परेशान लोगों के लिए गुड़ और काले तिल से बने लड्डू खाना फायदेमंद होता हैं।
9. दिल की बीमारी से परेशान लोगों के लिए लाभदायक साबित होता है।
10. गुड़ खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
2016-10-22
भाग्योदय हेतु श्री लक्ष्मी सूक्तम् का पाठ करें
सूक्त या मन्त्र में कुछ गूढ़ युक्तियाँ छिपी होती है जिनसे अथाह यश व लक्ष्मी प्राप्ति संभव है एवं यह मेरा अनुभूत है स्वयं सिद्ध है जरूरत है श्री सूक्त में जो गूढ़ युक्तिया या सीढ़िया है उन पर अपने पावो को साध कर हम चलते रहे तो हर मंजिल को आप आसानी से पार कर सकते है यह निसंदेह है ।
श्री सूक्त में सोलह मंत्र है हर मन्त्र में कोई गूढ़ युक्ति है उसे जीवन में उतारना होगा तभी लक्ष्मी व यश प्राप्ति संभव है ।
।।श्री श्री लक्ष्मी सूक्तम् ।।
ॐ हिरण्य-वर्णां हरिणीं, सुवर्ण-रजत-स्त्रजाम्।
चन्द्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आवह।।
तां म आवह जात-वेदो, लक्ष्मीमनप-गामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम्।।
दीपावली पर मां लक्ष्मी के आठ रूपों की पूजा दिलाएगी धन-सम्पन्नता
दीपावली पर मां लक्ष्मी के आठ रूपों की पूजा दिलाएगी धन-सम्पन्नता
मां लक्ष्मी के आठ अलग-अलग रूप हैं, जिन्हें अष्टलक्ष्मी कहा गया है। अष्टलक्ष्मी की आराधना से मनुष्य की सभी समस्याओं का नाश होता है और वह समृद्धि, धन, यश, ऐश्वर्य व संपन्नता प्राप्त करता है।
दीपावली का त्यौहार पांच दिनों तक चलने वाला महापर्व है। कार्तिक कृष्णपक्ष की अमावस्या को लक्ष्मीजी के पूजन का विशेष विधान है। ब्रह्म पुराण के अनुसार इस दिन अर्धरात्रि के समय महालक्ष्मीजी सद्ग्रहस्थों के मकानों में यत्र-तत्र विचरण करती हैं। इसलिए इस दिन घर-बाहर को साफ-सुथरा कर सजाया-सँवारा जाता है। मां लक्ष्मी की कृपा से मनुष्य को धन-वैभव और सुख- संपदा की प्राप्ति होती है।
अष्टविद लक्ष्मी अर्थात - आद्य लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, धन लक्ष्मी आदि । यानी कि आठ स्वरूपों में लक्ष्मी के अलग-अलग स्वरूपों के साथ अलग-अलग गुणों का प्रभाव एवं इनसे जुड़ी साधना-आराधना है।... जानिए लक्ष्मी जी के इन आठ रूपों अर्थात अष्टलक्ष्मी के रहस्य को –
मां लक्ष्मी के आठ अलग-अलग रूप हैं, जिन्हें अष्टलक्ष्मी कहा गया है। अष्टलक्ष्मी की आराधना से मनुष्य की सभी समस्याओं का नाश होता है और वह समृद्धि, धन, यश, ऐश्वर्य व संपन्नता प्राप्त करता है।
दीपावली का त्यौहार पांच दिनों तक चलने वाला महापर्व है। कार्तिक कृष्णपक्ष की अमावस्या को लक्ष्मीजी के पूजन का विशेष विधान है। ब्रह्म पुराण के अनुसार इस दिन अर्धरात्रि के समय महालक्ष्मीजी सद्ग्रहस्थों के मकानों में यत्र-तत्र विचरण करती हैं। इसलिए इस दिन घर-बाहर को साफ-सुथरा कर सजाया-सँवारा जाता है। मां लक्ष्मी की कृपा से मनुष्य को धन-वैभव और सुख- संपदा की प्राप्ति होती है।
अष्टविद लक्ष्मी अर्थात - आद्य लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, धन लक्ष्मी आदि । यानी कि आठ स्वरूपों में लक्ष्मी के अलग-अलग स्वरूपों के साथ अलग-अलग गुणों का प्रभाव एवं इनसे जुड़ी साधना-आराधना है।... जानिए लक्ष्मी जी के इन आठ रूपों अर्थात अष्टलक्ष्मी के रहस्य को –
Location:
Haridwar, Uttarakhand, India
2016-10-21
विश्व की सबसे बड़ी लंगर
क्या आप जानते हैं -?? ਸੰਸਾਰ ਦੀ ਸਭ ਲੰਗਰ
विश्व की सबसे बड़ी लंगर सेवा - हरमंदर साहिब ( गोल्डन टेम्पल ) अम्रतसर में होती है।
अनुमान के मुताबिक़ 1 लाख श्रद्धालु रोजाना देश विदेश से यहां दर्शनार्थ आते हैं - और लंगर प्रसादी ग्रहण ( छकते ) करते हैं।
साल दर साल जब से हरमंदर साहिब ( गोल्डन टेम्पल ) गुरुद्वारे का निर्माण हुवा है - ( लगभग 450 साल ) तब से ही ये सेवा - अनवरत जारी है। ये अपने आप में विश्व रिकार्ड है - और गिनीज बुक में दर्ज है।
ਸਾਲ ਬਾਅਦ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ (ਦਰਬਾਰ ਸਾਹਿਬ) ਨੂੰ ਮੰਦਰ ਦੀ ਇਮਾਰਤ ਨੂੰ ਜਿੰਦਰਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ਦੇ ਬਾਅਦ ਸਾਲ - (ਬਾਰੇ 450 ਸਾਲ) ਨੂੰ ਇਹ ਸੇਵਾ ਬਾਅਦ - ਲਗਾਤਾਰ ਜਾਰੀ ਹੈ. ਆਪਣੇ ਆਪ ਵਿਚ ਵਿਸ਼ਵ ਰਿਕਾਰਡ ਹੈ - ਅਤੇ ਵਿੱਚ ਗਿੰਨੀਜ਼ ਬੁੱਕ ਵਿਚ ਦਰਜ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ.
2016-10-20
2016-10-04
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
*तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ*
सिंह की सवार बनकर
रंगों की फुहार बनकर
पुष्पों की बहार बनकर
सुहागन का श्रंगार बनकर
*तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ*
खुशियाँ अपार बनकर
रिश्तों में प्यार बनकर
बच्चों का दुलार बनकर
समाज में संस्कार बनकर
*तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ*
रसोई में प्रसाद बनकर
व्यापार में लाभ बनकर
घर में आशीर्वाद बनकर
माँ दुर्गा स्तुति
**माँ दुर्गा स्तुति**
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः ।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम् ॥१॥
रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नमः ।
ज्योत्स्ना यै चेन्दुरुपिण्यै सुखायै सततं नमः ॥२॥
कल्याण्यै प्रणतां वृध्दै सिध्दयै कुर्मो नमो नमः ।
नैऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नमः ॥३॥
दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै ।
ख्यातै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः ॥४॥
2016-10-02
ॐभवती भिक्षांदेहि
एक ब्राह्मण दुपारी भिक्षा मागण्याकरीता एका दारात उभा राहीला , ''ॐभवती भिक्षांदेहि " अशी गर्जना केली.
घरात एकटीच म्हातारी होती, ती म्हणाली, "महाराज ! मी एकटीच आहे, घरात आमटी भात तयार आहे, चार घरात भिक्षा मागण्या पेक्षा आज इथेच जेवा."
ब्राह्मण "हो" म्हणाला
ब्राम्हणाचे पोटभर जेवण झाले ब्राम्हणाने ताक मागीतले.
*भोजनांते तक्रं पिबेत* अस म्हणतात.
नेमकं म्हातारीच्या घरात त्या दिवशी ताक नव्हते.
ती म्हणाली, "थांबा महाराज मी आत्ता शेजारणी कडून ताक घेवुन येते."
तिने शेजारणीला ताक मागीतले , शेजारणीने भांडभर ताक दिले,
आजीने ब्राम्हणाच्या भातावर ताक घातले , ब्राम्हणाने भुरका मारला तो शेवटचाच.
ब्राह्मण तडकाफडकी मेला.
श्री दुर्गा सप्तशति बीजमंत्रात्मक साधना
श्री दुर्गा सप्तशति बीजमंत्रात्मक साधना
ओम श्री गणेशाय नमः
ओम ह्रुं जुं सः सिद्ध गुरूवे नमः
ओम दुर्गे दुर्गे रक्षीणी ठः ठः स्वाहः
सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम
ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामण्डायै विच्चे | ओम ग्लौं हुं क्लीं जूं सः
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै
ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ||
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै
ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ||
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दीनि | नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दीनि ||
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भसुरघातिनि | जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे ||
ऐंकारी सृष्टीरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका | क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोस्तुते ||
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी | विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ||
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी | क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुंभ कुरू ||
हुं हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी | भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रै भवान्यै ते नमो नमः ||
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं | धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ||
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा | सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे ||
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भसुरघातिनि | जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे ||
ऐंकारी सृष्टीरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका | क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोस्तुते ||
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी | विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ||
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी | क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुंभ कुरू ||
हुं हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी | भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रै भवान्यै ते नमो नमः ||
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं | धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ||
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा | सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे ||
ओम नमश्चण्डिकायैः|ओम श्री दुर्गार्पणमस्तु||
Location:
Jammu
मैं चंदूलाल नहीं, नटवरलाल हूं
मुल्ला नसरुद्दीन अपने मित्र के साथ सिनेमा देखने गया हुआ था। सिनेमा में सभी बोर हो रहे थे। पिक्चर जो थी, वह उनकी समझ के बाहर थी। मुल्ला नसरुद्दीन से कुछ ही आगे एक गंजा व्यक्ति बैठा हुआ था। मुल्ला के मित्र ने मुल्ला से कहा, मुल्ला, पिक्चर तो बोर कर रही है; कुछ करो कि मनोरंजन हो। यदि तुम उस गंजे व्यक्ति के सिर पर एक चपत रसीद कर दो तो मैं तुम्हें दस रुपए दूंगा। लेकिन एक शर्त है कि वह व्यक्ति नाराज न हो, क्रोधित न हो। मुल्ला बोला, अरे, यह कौन सी बात है, अभी लो! फिल्म का इंटरवल हुआ, मुल्ला उठा और पीछे से जाकर उसने गंजे आदमी की चांद पर एक चपत रसीद की और बोला: अरे चंदूलाल, तुम यहां बैठे हो! हम तुम्हें देखने तुम्हारे घर गए थे। वह व्यक्ति बोला: माफ कीजिए, भाई साहब, मैं चंदूलाल नहीं। आपको शायद गलतफहमी हुई है, मेरा नाम नटवरलाल है। मुल्ला ने कहा, ओह, क्षमा करिए, भाई साहब, मुझे धोखा हो गया। और उसके बाद मुल्ला गर्व से छाती फुलाए मित्र के पास आया और बोला कि चलो, निकालो दस रुपए!
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