2016-10-21

विश्व की सबसे बड़ी लंगर

क्या आप जानते हैं -??   ਸੰਸਾਰ ਦੀ ਸਭ ਲੰਗਰ
विश्व की सबसे बड़ी लंगर सेवा - हरमंदर साहिब ( गोल्डन टेम्पल ) अम्रतसर में होती है।



अनुमान के मुताबिक़ 1 लाख श्रद्धालु रोजाना देश विदेश से यहां दर्शनार्थ आते हैं - और लंगर प्रसादी ग्रहण ( छकते ) करते हैं।


साल दर साल जब से हरमंदर साहिब ( गोल्डन टेम्पल ) गुरुद्वारे का निर्माण हुवा है - ( लगभग 450 साल ) तब से ही ये सेवा - अनवरत जारी है। ये अपने आप में विश्व रिकार्ड है - और गिनीज बुक में दर्ज है।

ਸਾਲ ਬਾਅਦ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ (ਦਰਬਾਰ ਸਾਹਿਬ) ਨੂੰ ਮੰਦਰ ਦੀ ਇਮਾਰਤ ਨੂੰ ਜਿੰਦਰਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ਦੇ ਬਾਅਦ ਸਾਲ - (ਬਾਰੇ 450 ਸਾਲ) ਨੂੰ ਇਹ ਸੇਵਾ ਬਾਅਦ - ਲਗਾਤਾਰ ਜਾਰੀ ਹੈ. ਆਪਣੇ ਆਪ ਵਿਚ ਵਿਸ਼ਵ ਰਿਕਾਰਡ ਹੈ - ਅਤੇ ਵਿੱਚ ਗਿੰਨੀਜ਼ ਬੁੱਕ ਵਿਚ ਦਰਜ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ.

आओ आपको सम्पूर्ण जानकारी देते हैं - अमृतसर के रामदास जी लंगर हाल की।





  • दरबार साहिब (जो स्वर्ण मंदिर के नाम से प्रचलित है) की लंगर सेवा। यह सिखों के पवित्र स्थल का वह निशुल्क - रसोई घर है 
  • जहाँ एक लाख (1,00,000) लोग प्रति दिन लंगर छकते है। 
  • भारत का पहला ऐसा मुफ्त रसोई घर जहाँ 2 लाख (2,00,000) रोटियाँ और 1.5 टन दाल रोज़ाना बनती है।
  • 2 लाख रोटियाँ और 1.5 टन दाल का लंगर तकरीबन 1 लाख संगत एवं श्रद्धालुओं द्वारा छका जाता है।
  • हर रोज़ इतना लंगर उत्पादन और छकने वाला यह आंकड़ा - पश्चिमी भारत के - अमृतसर शहर के पवित्र गुरुद्वारा दरबार साहिब के इस निशुल्क रसोई घर को सब श्रेणियों से महान एवं श्रेष्ठ रखता है।
  • यह आंकड़ा विशेष मौकों एवं छुट्टियों के दिनों में दोगुना भी हो जाता है।
  • परन्तु लंगर में कभी - कमी नहीं आती। सामान्य तौर पर लंगर में लगने वाली सामग्री 7000 किलो आटा - 1200 किलो चावल - 1300 किलो दाल - 500 किलो शुद्ध देसी घी - रोज़ाना इस्तेमाल होता है।
  • इस रसोई घर में लंगर बनाने के लिए तरह - तरह की - तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है -??  जैसे लकड़ी का - LPG गैस का - और इलेक्ट्रॉनिक रोटी बनाने की मशीन का। अनुमानतः 100 सिलिंडर एवं 500 किलो लकड़ी प्रति दिन इस्तेमाल होती है।
  • एवं तकरीबन 450 सेवादार इस निशुल्क रसोई घर में सेवा करते है। जिसमे अन्य बाहर से आयी संगत भी सेवा में लग जाती है - जिसकी संख्या सैंकड़ों में होती है।
  • इस सेवा के अंतर्गत सब्जियें साफ़ करना - उन्हें छिलना - काटना व धोना - इसके साथ ही हजारो श्रद्धालुओं द्वारा - जुठे बर्तनों के सफाई की सेवा - बड़े चाव व श्रद्धा से की जाती है।
  • इस रसोई घर का सालाना बजट हजारों करोड़ो में है। सिक्ख गुरुओं का ये पहला सन्देश है की - प्रथ्वी पे कोई भी जिव आत्मा भूखी ना रहे - पहले भूखे जीव को भोजन - पश्चात भजन।
  • इस महान प्रेरणादायी लंगर सेवा और सन्देश को - देश भर में सब को बताये - जो वास्तव में तारीफ़ के काबिल है।


वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फ़तेह    

  
ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕਾ ਖਾਲਸਾ, ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਫਤਿਹ 

dosto eh jankari nu 10 loka nu bhejo.

ਦੋਸਤ 10 ਲੋਕ ਨੂ ਨੂ ਇਸ ਜਾਣਕਾਰੀ ਭੇਜੋ.

No comments:

Post a Comment