2016-06-01

प्राणप्रिये Funny Poem

प्राणप्रिये

Vacation Special Funny Poem


घर में रहीं तो,
" ये करो और वो करो "
पेपर भी नीचे गिरा तो,
" कितना घर फैलाते हो "
इसीलिए सोचा चार दिन को,
जाती हो तुम मायके
आराम और सुख से,
अकेला रहूँगा चैन से।।
ख़ुशी ख़ुशी छोड़ा उसे,
ट्रेन में दिया बिठाल।
क्या सुनाऊँ मित्रों,
तुमको अपना हाल।।
सुबह जागने पर सोचा,

सारा कचरा निकालूँ।
कोना कोना ढूँढ लिया पर,
मिला ना मुझको झाडू।।
सोचा कचरा पड़ा रहन दो,
दाँत घिसता हूँ बेस्ट।
ब्रश तुरंत मिल गया, पता नहीं,
कहाँ रख गई पेस्ट।।
नहाने को गरम पानी,
बढ़िया किया तैयार।
टॉवल बाहर रह गया,
किसे पुकारूँ यार।।
मिलता नहीं पतीला,
दूधवाला आया।
यहाँ वहाँ सब ढूँढ लिया,
ढक्कन ना मिल पाया।।
गया बनाने चाय तो,
नहीं मिल रही शक्कर।
गैस जलाऊँ कैसे,
बिगड़ गया है, लाइटर।।
दोपहर के भोजन में,
तेज हो गई भाजी।
कड़क कड़क रोटी बनी,
मन कैसे हो राजी।।
चावल गीला हो गया,
दाल बन गई पतली।
हर कौर के साथ आँख से,
आँसू की धारा निकली।।
किटकिट किटकिट करती रानी,
जब तुम घर में होतीं।
लेकिन जीवन सूना लगता,
पास नहीं जब तुम होतीं।।
मैं अगर शिव हूँ, तो,
तुम हो मेरी शक्ति।
पूजा मेरी संग तुम्हारे,
साथ साथ है भक्ति।।
सहचारिणी हे प्राणसखी,
विनती है ये मेरा गाना।
जब भी तुम जाओ कहीं,
संग मुझे भी ले जाना।।

Dedicated to all beautiful ladies....

No comments:

Post a Comment