2015-07-05

मैं भी पढने जाता

मैं भी पढने जाता तो कितना अच्छा होता,
कुछ बनकर में भी दिखाता तो कितना अच्छा होता,
अगर गरीबी ना होती इतनी हमारे देश में,
मुझ जैसा हर बच्चा भर पेट खाना खाता तो कितना अच्छा होता,

अपने उम्र के बच्चों को जब बेफिक्र खेलते देखता हूँ,
काश मैं भी मजदूरी ना करके ऐसे ही खेलता तो कितना अच्छा होता ,
माँ पिताजी जब मेरी एक ख्वाहिश के लिए एक दूजे का मुंह देखते हैं,
तो सोचता हूँ गरीबी ना होती तो कितना अच्छा होता,
जब मां को भूखे पेट सोना पङता है हमें रूखी सुकी रोटी खिलाकर,
तब सोचता हूं देश में गरीबी ना होती तो कितना अच्छा होता ।

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