भगवान कृष्ण के मुकुट में हमेशा
मोर का ही पंख क्यों लगाया जाता है?
मोर ही अकेला एक ऐसा प्राणी है,
जो ब्रह्मचर्य को धारण करता है,
जब मोर प्रसन्न होता है तो वह
अपने पंखो को फैला कर नाचता है.
और जब नाचते-नाचते मस्तहो जाता है, मोर का ही पंख क्यों लगाया जाता है?
मोर ही अकेला एक ऐसा प्राणी है,
जो ब्रह्मचर्य को धारण करता है,
जब मोर प्रसन्न होता है तो वह
अपने पंखो को फैला कर नाचता है.
तो उसकी आँखों से आँसू गिरते है
और मोरनी इन आँसू को पीती है
और इससे ही गर्भ धारण करती है,
मोर में कही भी वासना का लेश भी नही है,
और जिसके जीवन में वासना नहीं,
भगवान उसे अपने शीश पर धारण कर लेते है..
जय हो मोरमुकुट बंशीवाले की
HARE KRISHNA.!
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