2014-09-24

बाज़ की उड़ान...Eagles fly

बाज़ की उड़ान....
बाज़ की उड़ान
बाज़ की उड़ान


बाज़ लगभग 70 वर्ष जीता है, पर अपने जीवन के  40 वें वर्ष में आते आते उसे एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ता है। उस अवस्था में उसके शरीर के तीन प्रमुख अंग निष्प्रभावी होने लगते हैं। पंजे लम्बे और लचीले हो जाते हैं और शिकार पर पकड़ बनाने में अक्षम होने लगते हैं। चोंच आगे की ओर मुड़ जाती है और भोजन निकालने में व्यवधान उत्पन्न करने लगती है। पंख भारी हो जाते हैं और सीने से चिपकने के कारण पूरे खुल नहीं पाते हैं। उड़ान सीमित कर देते हैं। भोजन  ढुन्ढना भोजन पकड़ना और भोजन खाना, तीनों प्रक्रियायें अपनी धार खोने लगती हैं।

उसके पास तीन ही विकल्प बचते हैं, या तो देह त्याग दे, या अपनी प्रवृत्ति छोड़ गिद्ध की तरह त्यक्त भोजन पर निर्वाह करे, या स्वयं को पुनर्स्थापित करे, आकाश के निर्द्वन्द्व एकाधिपति के रूप में। मन अनन्त, जीवन पर्यन्त जहाँ पहले दो विकल्प सरल और त्वरित हैं, तीसरा अत्यन्त पीड़ादायी और लम्बा।

बाज़ पीड़ा चुनता है और स्वयं को पुनर्स्थापित करता है। वह किसी ऊँचे पहाड़ पर जाता है, अपना घोंसला बनाता है, एकान्त में और तब प्रारम्भ करता है, पूरी प्रक्रिया। सबसे पहले वह अपनी चोंच चट्टान पर मार मार कर तोड़ देता है। अपनी चोंच तोड़ने से अधिक पीड़ादायक कुछ भी नहीं पक्षीराज के लिये। तब वह प्रतीक्षा करता है, चोंच के पुनः उग आने की। उसके बाद वह अपने पंजे उसी प्रकार तोड़ देता है और प्रतीक्षा करता है, पंजों के पुनः उग आने की। नये चोंच और पंजे आने के बाद वह अपने भारी पंखों को एक एक कर नोंच कर निकालता है और प्रतीक्षा करता पंखों के पुनः उग आने की।

150 दिन की पीड़ा और प्रतीक्षा और तब कहीं जाकर उसे मिलती है, वही भव्य और ऊँची उड़ान, पहले जैसी नयी। इस पुनर्स्थापना के बाद वह 30 साल और जीता है, ऊर्जा, सम्मान और गरिमा के साथ।

प्रकृति हमें सिखाने बैठी है, बूढ़े बाज की युवा उड़ान में। जिजीविषा के समर्थ स्वप्न दिखायी दे जाते हैं। अपनी भी उन्मुक्त उड़ानें पंजे, पकड़ के प्रतीक हैं। चोंच सक्रियता की द्योतक है और पंख कल्पना को स्थापित करते हैं। इच्छा परिस्थितियों पर नियन्त्रण बनाये रखने की, सक्रियता स्वयं के अस्तित्व की, गरिमा स्वयं को बनाये रखने की, कल्पना जीवन में कुछ नयापन बनाये रखने की।

इच्छा, सक्रियता, गरिमा और कल्पना, सभी निर्बल पड़ने लगते हैं, हममें भी, चालीस तक आते आते। हमारा व्यक्तित्व ही ढीला पड़ने लगता है। अर्धजीवन में ही जीवन समाप्तप्राय लगने लगता है। उत्साह, आकांक्षा, ऊर्जा अधोगामी हो जाते हैं। हमारे पास भी कई विकल्प होते हैं, कुछ सरल और त्वरित, कुछ पीड़ादायी। हमें भी अपने जीवन के विवशता भरे अतिलचीलेपन को त्याग कर नियन्त्रण दिखाना होगा। बाज के पंजों की तरह। हमें भी आलस्य उत्पन्न करने वाली वक्र मानसिकता को त्याग कर ऊर्जस्वित सक्रियता दिखानी होगी, बाज की चोंच की तरह। हमें भी भूतकाल में जकड़े अस्तित्व के भारीपन को त्याग कर कल्पना की उन्मुक्त उड़ाने भरनी होंगी, बाज के पंखों की तरह। 150 दिन न सही, तो एक माह ही बिताया जाये, स्वयं को पुनर्स्थापित करने में। जो शरीर और मन से चिपका हुआ है, उसे तोड़ने और नोंचने में पीड़ा तो होगी ही, बाज की तरह। बाज तब उड़ानें भरने को तैयार होंगे, इस बार उड़ानें और ऊँची होंगी, अनुभवी होंगी, अनन्तगामी होंगी।


Baz won nearly 70 years, the 40th year of his life to come, it is an important decision. At that stage the three major parts of the body seem to be ineffective. The claws are long and flexible, and seem to be unable to catch prey. Beak is turned on and the food seems to get interrupted. Wings are heavy and can not open the chest full of adhesives, flights are limited. Find out some food, catch and eat food, the three processes seem to lose their edge. That leaves only three options, either to give up the body, or let your instincts at times abdicated to subsist on food, or to restore itself, as Akadipti Nirdwndw sky.


Eternal Mind, lifelong

Where the first two options are simple and quick, the third most painful and long. Baz chooses pain and restores itself. He is on a high mountain, makes its nest, and then start the whole process in solitary. The first shot hit his beak to break the rock, breaking his beak to pakshiraj nothing more painful. He is waiting to be overrun beak again. Then he waits his toes and claw breaks similarly come grow again. New beak and claws when he removes his enormous wings, waiting to make a one pluck feathers come grow again.

The agony and wait 150 days and then go elsewhere to get him the grand and high-flying, the same new. 30 years after he won the restoration, energy, with respect and dignity.

Nature is sitting teach us, old eagle in flight endurance of youth are able to see the dream.


Your are free flights

Claws holding symbol, is emblematic of beak and feather fantasy install activism. The desire to retain control of the circumstances, actively maintain the dignity of self-existence, the fantasy life to maintain some newness. Desire, dynamism and vision, all three seem weak when, us too, come, come to forty. Our personality starts getting loose, in Ardhjivn Smaptpray life seems, enthusiasm, ambition, energy downward turn.

We also have several options, some simple and quick, somewhat painful. By giving us Atilchilepan full control of your life will show helplessness, like the eagle's claw. We also sacrificed laziness resilient mindset activity generated to show the curve, like the beak of an eagle. The heaviness of being plagued us in the past to imagine the sacrifice will fill free blowing, like the wings of an eagle.

150 days is not true, then spent a month if, to restore itself. Which is affixed to the body and mind, he would be breaking and nipping off to the pain, like a hawk.

The old eagle will prepare the flights, the flight time will be higher, will be experienced, will Anantgami. 

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