2014-09-24

कुल्हाड़ी वाली कहानी नया रूप

गुरूजी विद्यालय से घर लौट रहे थे । रास्ते में एक नदी पड़ती थी । नदी पार करने लगे तो ना जाने क्या सूझा , एक पत्थर पर बैठ अपने झोले में से पेन और कागज निकाल अपने वेतन का हिसाब निकालने लगे ।



अचानक....., हाथ से पेन फिसला और डुबुक ....पानी में डूब गया । गुरूजी परेशान । आज ही सुबह पूरे पांच रूपये खर्च कर खरीदा था । कातर दृष्टि से कभी इधर कभी उधर देखते , पानी में उतरने का प्रयास करते , फिर डर कर कदम खींच लेते । एकदम नया पेन था , छोड़ कर जाना भी मुनासिब न था ।
अचानक.......

पानी में एक तेज लहर उठी , और साक्षात् वरुण देव सामने थे । गुरूजी हक्के -बक्के । कुल्हाड़ी वाली कहानी याद आ गई । वरुण देव ने कहा , " गुरूजी । क्यूँ इतने परेशान हैं ।

प्रमोशन , तबादला , वेतनवृद्धि ,क्या चाहिए ? गुरूजी अचकचाकर बोले , " प्रभु ! आज ही सुबह एक पेन खरीदा था । पूरे पांच रूपये का ।

देखो ढक्कन भी मेरे हाथ में है । यहाँ पत्थर पर बैठा लिख रहा था कि पानी में गिर गया ।
प्रभु बोले , " बस इतनी सी बात !
अभी निकाल लाता हूँ ।"
प्रभु ने डुबकी लगाई , और चाँदी का एक चमचमाता पेन लेकर बाहर आ गए । बोले - ये है आपका पेन ?
गुरूजी बोले - ना प्रभु । मुझ गरीब को कहाँ ये चांदी का पेन नसीब । ये मेरानाहीं ।
प्रभु बोले - कोई नहीं , एक डुबकी और लगाता हूँ ।
डुबुक ..... इस बार प्रभु सोने का रत्न जडित पेन लेकर आये ।बोले - "लीजिये गुरूजी , अपना पेन ।"
गुरूजी बोले - " क्यूँ मजाक करते हो प्रभु ।
इतना कीमती पेन और वो भी मेरा । मैं टीचर हूँ सर , CRC नहीं ।
थके हारे प्रभु ने कहा , " चिंता ना करो गुरुदेव ।
अबके फाइनल डुबकी होगी ।
डुबुक .... बड़ी देर बाद प्रभु उपर आये । हाथ में गुरूजी का जेल पेन लेकर । बोले - ये है क्या ?
गुरूजी चिल्लाए - हाँ यही है , यही है । प्रभु ने कहा - आपकी इमानदारी ने मेरा दिल जीत लिया गुरूजी । आप सच्चे गुरु हैं । आप ये तीनों पेन ले लो ।
गुरूजी ख़ुशी - ख़ुशी घर को चले ।
कहानी अभी बाकी है दोस्तों ---
गुरूजी ने घर आते
ही सारी कहानी पत्नी जी को सुनाई ।
चमचमाते हुवे कीमती पेन भी दिखाए ।
पत्नी को विश्वास ना हुवा , बोली तुम किसी CRC का चुरा कर लाये हो ।
बहुत समझाने पर भी जब पत्नी जी ना मानी तो गुरूजी उसे घटना स्थल की ओर ले चले ।

दोनों उ पत्थर पर बैठे , गुरूजी ने बताना शुरू किया कि कैसे - कैसे सब हुवा । पत्नी जी एक एक कड़ी को किसी शातिर पुलिसिये की तरह जोड़ रही थी कि अचानक .......

डुबुक !!! पत्नी जी का पैर फिसला , और वो गहरे पानी में समा गई ।
गुरूजी की आँखों के आगे तारे नाचने लगे । ये क्या हुवा ! जोर -जोर से रोने लगे ।
तभी अचानक ......
पानी में ऊँची ऊँची लहरें उठने लगी ।
नदी का सीना चीरकर साक्षात वरुण देव प्रकट हुवे । बोले - क्या हुआ गुरूजी ? अब क्यूँ रो रहे हो ?

गुरूजी ने रोते हुए साड़ी story प्रभु को सुनाई । प्रभु बोले - रोओ मत ।धीरज रखो । मैं अभी आपकी पत्नी को निकाल कर लाता हूँ।
प्रभु ने डुबकी लगाईं , और .....
..
........
............
.................थोड़ी देर में
वो सनी लियोनी को लेकर प्रकट हुवे । बोले - गुरूजी । क्या यही आपकी पत्नी जी है ??
गुरूजी ने एक क्षण सोचा , और चिल्लाए - हाँ यही है , यही है ।
अब चिल्लाने की बारी प्रभु की थी । बोले - दुष्ट मास्टर । टंच माल देखा तो नीयत बदल दी । ठहर तुझे श्राप देता हूँ ।

गुरूजी बोले - माफ़ करें प्रभु । मेरी कोई गलती नहीं । अगर मैं इसे मना करता तो आप अगली डुबकी में प्रियंका चोपड़ा को लातते ।

मैं फिर भी मना करता तो आप मेरो पत्नी को लाते । फिर आप खुश होकर
तीनों मुझे दे देते ।
अब आप ही बताओ भगवन , इस महंगाई के जमाने में मैं तीन - तीन बीबीयाँ कैसे पालता ।
सो सोचा , सनी से ही काम चला लूँगा । और इस ठंड में आप भी डुबकियां लगा लगा कर थक गये होंगे । जाइये विश्राम करिए । bye bye

छपाक ... एक आवाज आई । प्रभु बेहोश होकर पानी में गिर गए थे ।
गुरूजी सनी का हाथ थामे सावधानी पूर्वक धीरे - धीरे नदी पार कर रहे थे ।



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