2015-06-21

सच्ची जीवन साथी - कहानी

एक बार पूरा जरूर पढे 20 years से अंतिम यात्रा तक (क्या यही जिंदगी है)   


शादी के पहले 2-3 साल नर्म , गुलाबी , रसीले और सपनीले गुज़रते हैं हाथों में हाथ डालकर बातें और रंग बिरंगे सपने पर ये दिन जल्दी ही उड़ जाते हैं. और इसी समय शायद बैंक में कुछ शून्य कम होते हैं. क्योंकि थोड़ी मौजमस्ती, घूमनाफिरना , खरीदी होती है।

और फिर धीरे से बच्चे के आने की आहट होती है और वर्ष भर में पालना झूलने लगता है दोस्तों फिर से एक ख़ुशी मिलती है।

सारा ध्यान अब बच्चे पर केंद्रित हो जाता है.  उसका खाना पीना , उठना बैठना , शु शु पाॅटी , उसके खिलौने, कपड़े और उसका लाड़ दुलार.  समय कैसे फटाफट निकल जाता है।

इन सब में कब इसका हाथ उसके हाथ से निकल गया, बातें करना  घूमना फिरना कब बंद हो गया पति पत्नी दोनों को ही पता नहीं चला।

इसी तरह उसकी सुबह होती गयी और. बच्चा बड़ा होता गया वो बच्चे में व्यस्त होती गई और ये अपने काम में घर की किस्त , गाड़ी की किस्त और बच्चे कि ज़िम्मेदारी . उसकी शिक्षा और भविष्य की सुविधा और साथ ही बैंक में शून्य  बढ़ाने का टेंशन. उसने पूरी तरह से अपने आप को काम में झोंक दिया बच्चे का स्कूल में एॅडमिशन हुआ और वह बड़ा होने लगा उसका पूरा समय बच्चे के साथ बीतने लगा।


इतने में वो 35 का हो गया इन्सान  खूद का घर , गाड़ी और बैंक में कई सारे शून्य. फिर भी कुछ कमी है, पर वो क्या है समझ में नहीं आता.  इस तरह उसकी चिढ़ चिढ़ बढ़ती जाती है और इन्शान भी उदासीन रहने लग।

दिन पर दिन बीतते गए , बच्चा बड़ा होता गया और उसका खुद का एक संसार तैयार हो गया. उसकी दसवीं आई और चली गयी. तब तक पति पत्नी दोनों ही चालीस के हो गए. बैंक में शून्य बढ़ता ही जा रहा है।

एक नितांत एकांत क्षण में पति को गुज़रे दिन याद आते ही वो मौका देखकर उससे कहता है??????

अरे ज़रा यहां आओ पास बैठो चलो फिर एक बार हाथों में हाथ ले कर बातें करें , कहीं घूम के आएं पत्नी ने पति को अजीब नज़रों से  देखा और कहा " तुम्हें कभी भी कुछ भी सूझता है . मुझे ढेर सा काम पड़ा है और तुम्हें बातों की सूझ रही है " कमर में पल्लू खोंस कर वो निकल गई।

और फिर आता है पैंतालीसवां साल , आंखों पर चश्मा लग गया बाल अपना काला रंग छोड़ने लगे,  दिमाग में कुछ उलझनें शुरू ही थीं.बेटा अब काॅलेज में है. बैंक में शून्य बढ़ रहे हैं।

उन्होंने अपना नाम कीर्तन मंडली में डाल दिया और बेटे का college खत्म हो गया , अपने पैरों पर खड़ा हो गया.  अब उसके पर फूट गये और वो एक दिन परदेस उड़ गया।

अब पति के बालों का काला रंग और कभी कभी दिमाग भी साथ छोड़ने लगा.... उसे भी चश्मा लग गया था. अब वो उसे उम्र दराज़ लगने लगी क्योंकि वो खुद भी बूढ़ा  हो रहा था।
55  के बाद साठ की ओर बढ़ना शुरू था. बैंक में अब कितने शून्य हो गए, उसे कुछ खबर नहीं है. बाहर आने जाने के कार्यक्रम अपने आप बंद होने लगे ।
गोली -दवाइयों का दिन और समय निश्चित होने लगा . डाॅक्टरों की तारीखें भी तय होने लगीं. बच्चे  बड़े होंगे ये सोचकर लिया गया घर भी अब बोझ लगने लगा. बच्चे कब वापस आएंगे , अब बस यही हाथ रह गया था।

और फिर पति एक दिन आता है. वो सोफे पर लेटा  ठंडी हवा का आनंद ले रहा था। वो शाम की दिया-बाती कर रही थी . वो देख रही थी कि वो सोफे पर लेटा है।

इतने में फोन की घंटी बजी , उसने लपक के फोन उठाया . उस तरफ बेटा था. बेटा अपनी शादी की जानकारी देता है और बताता है कि  अब वह परदेस में ही रहेगा. उसने बेटे से बैंक के शून्य के बारे में क्या करना यह पूछा. अब चूंकि विदेश के शून्य की तुलना में उसके शून्य बेटे के लिये शून्य हैं इसलिए उसने पिता को सलाह दी " एक काम करिये , इन पैसों का ट्रस्ट बनाकर वृद्धाश्रम को दे दीजिए और खुद भी वहीं रहीये". कुछ औपचारिक बातें करके बेटे ने फोन रख दिया।

वो पुनः सोफे पर आ कर बैठ गया. उसकी भी दिया बाती खत्म होने आई थी. पति ने उसे आवाज़ दी " चलो आज फिर हाथों में हाथ ले के बातें करें "वो तुरंत बोली " बस अभी आई " उसे विश्वास नहीं हुआ , चेहरा खुशी से चमक उठा , आंखें भर आईं , उसकी आंखों से नदी की धारा बहने लगी और गाल भीग गए .अचानक आंखों की चमक फीकी हो गई और पति निस्तेज हो गया।

उसने शेष पूजा की और पति के पास आ कर बैठ गई,  कहा " बोलो क्या बोल रहे थे " पर पति ने कुछ नहीं कहा पत्नी ने  उसके शरीर को छू कर देखा . शरीर बिल्कुल ठंडा पड़ गया था और वो एकटक उसे देख रहा था।
क्षण भर को वो शून्य हो गई,  क्या करूं उसे समझ में नहीं आया . लेकिन एक-दो मिनट में ही वो चैतन्य हो गई,  धीरे से उठी और पूजाघर में गई . एक अगरबत्ती जलाई और ईश्वर को प्रणाम किया  और फिर से सोफे पे आकर बैठ गई।
उसका ठंडा हाथ हाथों में लिया और बोली " चलो कहां घूमने जाना है और क्या बातें करनी हैं तुम्हे" बोलो  ऐसा कहते हुए उसकी आँखें भर आईं. वो एकटक उसे देखती रही , आंखों से अश्रुधारा बह निकली उसका सिर उसके कंधों पर गिर गया. ठंडी हवा का धीमा झोंका अभी भी चल रहा था।

दोस्तों शायद यही जिदगी है आप सब खुश हो कर जियो कुछ नहीं है जिंदगी में किसके लिए पैसा जोड़ना किसके लिए झूठ बोलना खूब इन्जवाए करे चाहे आप 20 साल के हो या फिर 70 के खुस रहे और सब को खुस रखे बिचारे इन्सान ने बेटे के लिए सब कुछ जोड़ा पर बीटा ही उसे छोड़ कर चला गया बेटे को तो अपने पिता का पैसा भी नहीं चाहिए था और अब बेचारी पत्नी का क्या होगा आगे फिर कभी दोस्तों।
ये एक सच्चाई है दोस्तों और यही जिंदगी भी है shayad एक अहसास दोस्तों और कुछ नहीं।
  
संसाधनों का अधिक संचय न करें, ज्यादा चिंता न करें,  सब अपना अपना नसीब ले कर आते हैं।अपने लिए भी जियो, वक्त निकालो दोस्तों अपने लिए अपने पत्नी के लिए क्योंकि सच्ची जीवन साथी वही है ek ahsas aur kuchh nahi.
                     ।।आप सब का प्यारा।।
           Vinay Allahabad aur delhi se

Comment........kya दोस्तों इन बातो में सच्चाई है आप भी अपने जीवन के बारे में और अपने विचार जरूर लिखे आप को ये कहानी कैसे लगी दोस्तों आप का जवाब लेखक का विश्वास है ।

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