प्रथम पूजनीय श्री गणेश जी को विनायक, विघ्नेश्वर, गणपति, लंबोदर के नाम से भी जाना जाता हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार किसी भी कार्य से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है।
भगवान गणेशजी की साधना शीघ्र फलदायी होती है। उनको दुर्वा अतिप्रिय है। इसे चढ़ाने से भगवान गणेश तुरंत प्रसन्न होते हैं। मात्र 10 नाम का प्रतिदिन जप ही उनके लिए पर्याप्त होता है। श्रीगणेश की पूजा कैसे की जाती है और कैसे उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है, आइए जानें -
श्रीगणेश के दस पावन नाम...
* ॐ गणाधिपाय नमः
* ॐ उमापुत्राय नमः
* ॐ विघ्ननाशनाय नमः
* ॐ विनायकाय नमः
* ॐ ईशपुत्राय नमः
* ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः
* ॐ एकदन्ताय नमः
* ॐ इभवक्त्राय नमः
* ॐ मूषकवाहनाय नमः
* ॐ कुमारगुरवे नमः
यह क्रम प्रतिदिन जारी रखने एवं नियमित समय पर करने से जो आप चाहते हैं उसकी प्रार्थना गणेशजी से करें। पूजा के दौरान विघ्ननायक पर श्रद्धा व विश्वास रखना चाहिए। मनोकामना शीघ्र पूर्ण हो जाती है।
इस पूजा को किसी भी शुभ दिन प्रारंभ करना चाहिए। गणेशजी की प्रतिष्ठित प्रतिमा पर यह पूजा संपन्न करें। इक्कीस दुर्वा लेकर नीचे दिए गए 10 नामों द्वारा गणेशजी को गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप व नैवेद्य अर्पण करके एक-एक नाम पर दो-दो दुर्वा चढ़ाना चाहिए।
भगवान गणेश जी के मंत्र
किसी भी कार्य के प्रारंभ में गणेश जी को इस मंत्र से प्रसन्न करना चाहिए:
ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।
ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्।
ऊँ गं गणपतये नमः ।।
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित्।
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