2016-09-20

काग तुम आना ,छत की मुंडेर पे..

काग तुम आना ,
छत की मुंडेर पे..करना तुम काँव-काँव।
तुम लाना सन्देशा,
मेंरे पूर्वजों का।
उनको बतलाना हाल हमारा,
हमारे घर का।
उन तक पहुंचाना..मिठास,
खीर की..।
ये संदेसा देना कि,
मधुरता है..अभी भी उतनी ही,
जितना की ...पहले।
उनको बतलाना...
कि उनकी छाँव की हमें अब भी जरूरत है।
उनसे कहना...कि उनका दिया,
तो सब कुछ है।
पास हमारे..पर,
उनका आशीर्वाद..ही हमारा ,
जीवन को संवारेगा।
उनकी असीम अनुकंपा,
असीम प्यार..दुलार की
हमें उतनी ही जरूरत है,
जितना छोटे से नादान बच्चे को।
हमे और हमारी भूल को,
अपने आशीर्वाद का साया,
हम पर सदा बनाये रखना।
कागा उनको बतलाना,
हमे सही राह जो,
दिखाई थी..उन्होंने।
अपनी ऊँगली पकड़कर..राह जो दिखलाई,
उस पर पथ-प्रदर्शक हमेशा बने रहे।
उनका विश्वास...और आशीर्वाद,
हम पर सदैव बना रहे।
कभी भी निराशा और हताशा न,
आये हमारे जीवन में।
कागा तुम ले जाओ ,
हम सब का संदेशा...
खुशियो और उम्मीदों भरा...

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