कल एक सरकारी स्कुल का 12-13 वर्ष का विद्यार्थी हाथ में तिरंगा झंडा लेकर जा रहा था, मैंने कौतूहलवश पूछा कि ये क्या है, उसने कहा 'अंकल 15 अगस्त को मैं और मेरी छोटी बहन अपने टपरे पर झंडा वंदन करेंगे'
उसका जवाब सुनकर मेरे पैरोँ तले जमींन ही खसक गयी, पढ़िए उसका जवाब क्या था...
"अंकल,15 अगस्त 47 को हमारा देश आजाद हुआ था,उसके बाद हमारे यहाँ लोकतंत्र आया, दादाजी बताते है की अंग्रेजो ने बहुत अत्याचार किये, लेकिन अंग्रेज़ो में अनुशासन भी बहुत था, टाईम के बड़े पाबन्द थे,वो जनता को ठीक करना जानते थे, कानून का पालन नही करने वालो को तत्काल जेल में डाल देते थे, उनके द्वारा बनाई गई सड़के और पुल आज भी मौजूद है, उस जमाने में घोटाले, भ्रष्टाचार किसी को पता ही नही था, ....."
मैंने बीच में ही टोकते हुए कहा "बेटा, मैं लोकतंत्र के बारे में पूछ रहा हूँ,"
"अंकल, मैं आगे वही तो बता रहा हूँ, उस जमाने में हम अंग्रेजो के गुलाम थे,ऐसा दादाजी बताते है, आज लोकतंत्र है, मतलब चुनाव में जो दादा पहलवान टाईप के गुंडे लोग खड़े हो जाते है, वो जीत जाते है, हमारे पड़ोस वाला कलुआ अब पार्सद बन गया है, 6 महीने में ही बड़ी गाडी खरीद ली है, पेले तो उसके माँ बाप हम्माली करते थे,अब पुराना मकान तोड़ कर उसे आगे तक बढ़ाया और नया मकान बना रहा है,पुलिस वाले भी उसके दोस्त है, रात को ओटले पर ये सब दोस्त दारू पीते है, मोहल्ले वाले कुछ नही बोलते, मेरे परीक्षा के दिनों में मैं पढ़ाई नही कर पा रहा था,इतना तमाशा करते है अंकल ये लोग,"
"अंकल जब कोई कुछ बोलने वाला ही ना बचे तो ये नेता लोग अपनी मन मर्जी से ही चलेंगे,"
मैंने उसे फिर पुचकारा, "बेटा इसे लोकतंत्र नही कहते है,"
उसने कहा," फिर आप ही बताओ किसे कहते है,जब हर आदमी को अपनी मर्जी से चलने की आजादी है, कही भी रास्ते में गुटखा,पान तम्बाखू थूक दिया, कही भी खड़े होकर गन्दगी कर दी, लाल बत्ती सिग्नल तोड़ दिया, ये सब... ..............!"
उसके मुँह से लोकतंत्र की ये "भयानक" परिभाषा सुन कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए, मैं काफी देर तक सोचता रहा की आखिर ये बच्चा अंग्रेजों की तारीफ़ कर रहा था या लोकतंत्र की परिभाषा (जो मैंने अपने बचपन में पढ़ी थी) की बखिया उधेड़ रहा था....!!
शैक्षणिक डिग्रियाँ पाकर भी आज मुझे वो बच्चा मुझसे ज्यादा समझदार लग रहा था क्योंकि उसे लोकतंत्र की परिभाषा इतनी कम उम्र में समझ में आ गयी थी।
जय~जय~भारत
No comments:
Post a Comment