2016-09-05

गंगेश्वर महादेव के दर्शन से सभी तीर्थो की यात्रा का फल प्राप्त होता है

गंगेश्‍वर शब्‍द का अर्थ भगवान शिव होता है जो अपने बालों में गंगा को समेटे हुए है। भगवान शिव को धरती पर प्रवाहित होने वाली गंगा का स्‍वामी माना जाता है। गंगेश्‍वर मंदिर, भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर फादुम नामक गांव में स्थित है जो दीव से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।



आकाश मार्ग से गंगा जब पृथ्वी पर प्रकट हुई तो भगवान शंकर ने उसे अपनी जटा में धारण किया। शिवजी ने जटा में धारण करने के बाद उसे धरती पर नही आने दिया, इससे गंगा क्रोधित हो गई ओर शिवजी के शरीर को शीतल कर दिया। शिवजी ने भी क्रोध में गंगा को जटा में बांध लिया। कई कल्प वर्षो तक गंगा ने जटा में ही तपस्या की। भागीरथ की उपासना से गंगा का धरती पर अवतरण हुआ और समुद्र की पत्नी हुई। एक बार सभी देवी-देवता ब्रम्ह लोक में ब्रम्हा की स्तुति करने के लिए वहां पहुंचे वहां गंगा ओर समुद्र भी गये। वायु के वेग से गंगा का आंचल उड़ गया, इसे देख सभी देवताओं ने अपने मुख नीचे कर लिये परंतु महाभिष नामक राजऋषि गंगा को देखते रहे। यह देखते हुए ब्रम्हा जी ने उसे पृथ्वी लोक पर भेज दिया । यह देखकर समुद्र ने भी गंगा को मृत्यु लोक मे रहने का श्राप दिया। श्राप के कारण विलाप करती गंगा ने ब्रम्हा से विनय किया। ब्रम्हा ने कहा कि गंगा तुम महाकाल वन में शिप्रा के दक्षिण में स्थित शिवलिंग का दर्शन ओर पूजन करो। गंगा महाकाल वन आई ओर गंगेश्वर महादेव के अपनी सखी शिप्रा के साथ दर्शन कर पूजन किया। गंगेश्वर के दर्शन से गंगा श्राप मुक्त हुई उसी समय समुद्र भी वहां उपस्थित हुए ओर गंगा का सम्मान किया। मान्यता है कि गंगेश्वर के दर्शन से सभी तीर्थो की यात्रा का फल प्राप्त होता है ओर मनुष्य अंतकाल में परमगति को प्राप्त करता है। 
यह मूल रूप से एक गुफा मंदिर है जो समुद्र तट पर चट्टानों के बीच स्थित है। इस मंदिर में पांच शिवलिंग है जो स्‍वंय अरब सागर के पानी से धुलती रहती है। शिवलिंग पर सागर का पानी आना, यहां आने वाले भक्‍तों के बीच श्रद्धा और भक्ति की भावना और गहरा करता है और उनके बीच मंदिर की मूल्‍यता को बढ़ाता है। यहां के आध्‍यात्मिक परिवेश में भक्‍त मग्‍न हो जाते है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर को पांचों पांडव ने मिलकर बनाया था, जिन्‍होने अपने निर्वासन के दौरान पूरी दुनिया में इसी हिस्‍से को चुना था और अपनी दैनिक पूजा के लिए यहां शिवलिंगों को स्‍थापित किया था। माना जाता है कि यह मंदिर महाभारत के काल का बना हुआ है।

गंगेश्‍वर मंदिर की प्रेरणादायक और सामरिक स्थिति इस मंदिर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्‍व को बढ़ावा देती है।


https://youtu.be/Ywd7LzKJNvo




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