है नाज हमें उन वीरों पर,
जो मान बड़ा कर आये हैं।
दुश्मन को घुसकर के मारा,
शान बढ़ा कर आये हैं...।I
आस अब बड़ी वतन की,
अरमान .बढ़ा कर आये हैं।
है नाज हमें उन वीरों पर,
जो शान बढ़ा कर आये हैं...।I
जो मान बड़ा कर आये हैं।
दुश्मन को घुसकर के मारा,
शान बढ़ा कर आये हैं...।I
आस अब बड़ी वतन की,
अरमान .बढ़ा कर आये हैं।
है नाज हमें उन वीरों पर,
जो शान बढ़ा कर आये हैं...।I
एक मरा तो सौ मारेंगे,
अब रीत यही बन जाने दो।
लहू का बदला सिर्फ लहू है,अब रीत यही बन जाने दो।
अब गीत यही बन जाने दो...।I
गिन ले लाशें दुश्मन जाकर,
शमसान बड़ा कर आये हैं।
है नाज हमें उन वीरों पर,
जो मान बढ़ा कर आये हैं....।I
शमसान बड़ा कर आये हैं।
है नाज हमें उन वीरों पर,
जो मान बढ़ा कर आये हैं....।I
अब बारी उन गद्दारों की,
जो घर के होकर डसते हैं।
भारत की मिट्टी का खाते,
मगर उसी पर हँसते हैं....।I
जो घर के होकर डसते हैं।
भारत की मिट्टी का खाते,
मगर उसी पर हँसते हैं....।I
उनको चुन चुन मारेंगे,
ऐलान बड़ा कर आये हैं।
है नाज हमें उन वीरों पर,
जो मान बढ़ा कर आये हैं....।I
ऐलान बड़ा कर आये हैं।
है नाज हमें उन वीरों पर,
जो मान बढ़ा कर आये हैं....।I
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