प्रोफेसर : अगर तुम्हें किसी को संतरा देना हो तो
क्या बोलोगे...?
नामदेव (छात्र) : ये संतरा लो।
प्रोफेसर : नहीं... एक वकील की तरह बोलो...।
नामदेव (छात्र) : मैं एतद् द्वारा, अपनी पूरी रुचि व होशो- हवास में और बिना किसी के दबाव में आए इस फल, जो कि संतरा कहलाता है, और जिस पर मैं पूरा मालिकाना हक़ रखता हूँ, को उसके छिलके, रस, गूदे और बीज सहित आपको देता हूँ और इसके साथ ही आपको इस बात सम्पूर्ण व बिना शर्त अधिकार भी देता हूँ कि आप इसे काटने, छीलने, फ्रिज में रखने या खाने के लिये पूरी तरह स्वतंत्र हैं।
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