2015-04-07

गर्मी के दोहे


रहिमन कूलर राखिये बिन कूलर सब सून
कूलर बिना ना किसी को गर्मी से मिले सुकून ।।
ए.सी. जो देखन मैँ गया ए.सी. ना मिलया कोय
जब घर लौटा आपणे घर घर ए.सी. होय ।।
बिजली का बिल देखकर दिया कबीरा रोय
कूलर ए.सी. के फेर मेँ खाता बचा ना कोय ।।
बाट ना देखिए ए.सी. की चला लीजिए फैन
चार दिनोँ की बात है फिर आगे सब चैन ।।
पँखा झेलत रात गयी आयी ना लेकिन लाईट
मच्छर गाते रहे कान मेँ तक तना तंदूरी नाईट ।।

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