योगी चांगदेव को ज्ञानोपदेश -
योगी चांगदेव अपने योगबल के सामर्थ्य से १४०० साल तक जीवित थे । परंतु उन्हें आत्मज्ञान नहीं प्राप्त था । परंतु अपने योगसामर्थ्य का उन्हें बहुत घमंड था । संत ज्ञानदेव और उनकी बहन, भाईयों की किर्ती चांगदेव के कानों तक पहुंची । उनकी किर्ती सूनकर चांगदेव के अहंकार को आहत पहुंची । उन्होंने संत ज्ञानदेव को अप्रत्यक्ष चुनौती दी । संत ज्ञानदेव और उनके भाई - बहन पर रौब जताने के लिए चांगदेव बाघ पर सवार होकर उनके सामने पहुंचे ।
चांगदेव की आँखे खोलने के लिए संत ज्ञानदेव ने जिस दिवार पर वे भाई - बहन बैठे थे , वह दिवार हवाँ में उडाकर चांगदेव के स्वागत करने के लिए आगे गए । संत ज्ञानदेव की कण कण पर सत्ता है, यह देखकर चांगदेव की आँखे खुली, गर्वहरण हुवा । चांगदेव संत ज्ञानदेव की शरण गए और उन्हे आत्मज्ञान के लिए प्रार्थना की । परंतु ज्ञानदेव जानते थे कि चांगदेव की आध्यात्मिक गुरू उनकी बहन मुक्ताई है । उन्होंने मुक्ताई को चांगदेव को ज्ञान देने के लिए कहाँ । मुक्ताई से चांगदेव ने आत्मज्ञान प्राप्त कर अपना उद्धार कर लिया । मुक्ताई ने जब समाधी ली, उसके पश्चात चांगदेव ने भी समाधी ली ।
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