2015-04-12

अच्छे दिन कब आएंगे

एक लङकी थी रात को आँफिस से वापस लोट रही थी देर भी हो गई थी... पहली बार ऐसा हुआ ओर काम भी ज्यादा था तो टाइम का पता ही नही चला वो सीधे auto stand पहुँची वहाँ एक लङका खङा था वो लङकी उसे देखकर डर गई की कही उल्टा सीधा ना हो जाए तभी वो लङका पास आया ओर कहा बहन तू मौका नही जिम्मेदारी हे मेरी ओर जब तक तुझे कोई गाङी नही मिल जाती मैँ तुम्हे छोङकर कहीँ नही जाउँगा 

dont worry

वहाँ से एक ओटो वाला गुजर रहा था लङकी को अकेली लङके के साथ देखा तो तुरंत ओटो रोक दी ओर कहा कहाँ जाना हे मेडम आइये मे आपको छोङ देता हुँ लङकी ओटो मे बेठ गई रास्ते मे वो ओटो वाला बोला तुम मेरी बेटी जैसी हो इतनी रात को तुम्हे अकेला देखा तो ओटो रोक दी

आजकल जमाना खराब हेना और अकेली लङकी मौका नही जिम्मेदारी होती हे लङकी जहाँ रहती थी वो एरिया आ चुका था वो ओटो से उतर गई ओर ओटो वाला चला गया

लेकिन अब भी लङकी को दो अंधेरी गली से होकर गुजरना था वहाँ से सिर्फ चलकर गुजरना था तभी वहाँ से पानीपुरी वाला गुजर रहा था शायद वो भी काम से वापस घर की ओर गुजर रहा था

लङकी को अकेली देखकर कहा आओ मेँ तुम्हे घर तक छोङ देता हुँ उसने अपने ने ठेले को वही छोङकर एक टोर्च लेकर उस लङकी के साथ अंधेरी गली की और निकल पङा वो लङकी घर पहुँच चुकी थी आज किसी की बेटी , बहन सही सलामत घर पहुँच चुकी थी मेरे भारत को तलाश हे

ऐसे तीन लोगो की

1) वो लङका जो बस स्टेड पर खङा था
2)वो ओटो वाला ओर 
3) वो पानीपुरी वाला

जिस दिन ये तीन लोग मिल जाएगे उस दिन मेरे भारत मेँ रेप होना बंद हो जाएंगे
तभी आएंगे अच्छे दिन।।

1 comment:

  1. मनोज जी बहुत ही अच्छा लेख लिख है आपने। आपने जिस तरह पूरी कहानी को घुमा के एक सार निकाला है वह बहुत ही सुन्दर है.सच में अगर तीनों प्रकार के लोग यदि मिल जाये तो ऐसी घटनाओं को रोक जा सकता है। आप ऐसी ही रचनाओं को शब्दनगरी पर भी लिख सकते हैं। वहां पर भी यही है अच्छे दिन ! जैसी रचनाएँ पढ़ व् लिख सकते हैं ।

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