2015-04-07

भोजन ठीक से चबाये हिंसा कम होगी

डा. पर्ल्स एक अमेरिकन मनोवैज्ञानिक है। उसने एक बहुत छोटी सी बात पर जिंदगी भर प्रयोग किया। एक बहुत छोटी बात, जिसका हमें खयाल भी नहीं हो सकता। उसका कहना है कि जो आदमी भोजन ठीक से चबा कर नहीं करता, उस आदमी की जिंदगी में हिंसा ज्यादा होगी, वह ज्यादा वायलेंट होगा। जो आदमी भोजन ठीक से चबा कर करता है, उसकी जिंदगी में हिंसा कम हो जाएगी।

यह बहुत अजीब सी बात मालूम पड़ती है। चबाने से और हिंसा का क्या संबंध हो सकता है! लेकिन पर्ल्स की तीस साल की खोज यही है कि सभी जानवरों की हिंसा उनके दांतों से बंधी होती है। सभी जानवर दांत से हिंसा करते हैं, जब भी हिंसा करते हैं तो दांत से ही करते हैं। आदमी भी, उसकी हिंसा भी उसके दांतों में केंद्रित है। लेकिन आदमी ने जो भोजन विकसित किए हैं, उनमें उतनी हिंसा नहीं हो पाती। इसलिए उसके दांत की हिंसा उसके पूरे शरीर में फैल जाती है।

अब पर्ल्स ने पिछले दस वर्षों में, अनेक लोग जो वायलेंट थे, पागल थे, जो हिंसा बिना किए रह नहीं सकते थे, उनको सिर्फ भोजन ठीक से चबाने का प्रयोग करवाया। और पाया कि तीन महीने के प्रयोग में, जो आदमी बिना चीजों को तोड़े-फोड़े नहीं रह सकता था, जो आदमी किसी न किसी को मारे बिना नहीं रह सकता था, उस आदमी की हिंसा तिरोहित हो गई। फिर उसने दांतों और हिंसा और मनुष्य के व्यक्तित्व को पूरा का पूरा वैज्ञानिक आधारों पर खोजबीन की और उसकी बात बहुत दूर तक सच साबित हुई है।
आप प्रयोग करके देखें तो खयाल में आएगा। एक पंद्रह दिन भोजन को इतना चबाएं कि जब तक वह लिक्विड न हो जाए, तब तक उसको भीतर न ले जाएं। और चौबीस घंटे आप स्मरण करें कि आपकी हिंसा में रोज फर्क पड़ता है या नहीं पड़ता है। और आप इक्कीस दिन के प्रयोग के बाद दंग हो जाएंगे कि आपके क्रोध में फर्क हो गया है। और क्रोध के लिए कुछ भी नहीं करना पड़ा। करना पड़ा कहीं कुछ और। और अगर आप सीधे क्रोध के लिए कुछ करेंगे तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। क्रोध दब जाएगा एक तरफ से, दूसरी तरफ से निकलना शुरू हो जाएगा।

आपको क्रोध आ जाए जोर से, तो अपनी टेबल के नीचे दोनों हाथ बांध कर नाखूनों को अपनी ही गद्दी में जोर से गड़ा लें--तीन बार, और मुट्ठी खोलें और छोड़ें और फिर क्रोध करके देखें। तो आप बहुत हैरान हो जाएंगे, तीन बार मुट्ठी को खोलने और बंद करने में वह ताकत खो गई जिससे आप क्रोध कर सकते थे।
असल में नाखून और दांत हिंसा के केंद्र हैं। सारे जानवर नाखून और दांतों से हिंसा कर रहे हैं। और चूंकि आदमी के पास दांत कमजोर थे और नाखून कमजोर थे, इसलिए उसने हथियार बनाए जिनसे उसने दांतों और नाखूनों का काम लिया है। अगर हम आदमी के सारे हथियारों को देखें तो हम पाएंगे, या तो वे दांत का विस्तार हैं या नाखून का।

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