2015-08-09

शादी के बाद दुर्गति किसकी ?

After the wedding, whose misery

शादी के बाद दुर्गति तो
लड़की की होती है लेकिन
घड़ियाली आंसू
बहाता लड़का है !

आज़ादी छिनी
लड़की की लेकिन
ग़ुलामी का ढिंढोरा
पीटता लड़का है !

असली समझौता तो
लड़की करती है
लेकिन खुद को क़ैदी
समझता लड़का है !

लड़की का घर छूटा,
माँ-बाप, भाई-बहन-
सहेलियां छूटीं !

उसकी आज़ादी छिनी-
घूमने की, पहनने की,
नौकरी करने की,
हँसने-बोलने की,
कहीं आने-जाने की !


उसे ग़ुलामी मिली-
खाना बनाने की,
सास-ससुर के सेवा की,
डांट-फटकार सहने की
(कभी कभी पिटने की भी),
घर भर के कपड़े धुलने की !

...........और लड़के को 👨

उसको तो घर बैठे
एक नौकरानी मिली,
साथ में दहेज़ भी,
वंश बढ़ाने वाली
मशीन और रोबोट
की तरह बिना तर्क किये
हर सही-ग़लत हुकुम की
तामील करने वाली
एक निजी संपत्ति भी !

शादी के बाद लड़की की
तुलना में लड़कों को
न के बराबर कॉमप्रमाइज़
करना पड़ता है
लेकिन दुनिया भर में
ढिंढोरा लड़के ही
पीटते हैं !

इसलिए
शादी के बाद
अपनी आज़ादी छिनने
का रोना रोने वाले !

सारा दोष
वाइफ़ पे थोपने वाले
संस्कारी मर्दो !

एक बार
दूसरे तरह से भी
सोचके देखो !
फ़र्ज़ करो कि
शादी के बाद तुम्हें
अपना घर,
माँ-बाप,भाई बहन, गाँव,
मित्र सब छोड़ना पड़े;
जींस-टी शर्ट की जगह
साड़ी पहननी पड़े,
घर में बंद रहना पड़े,
खाना बनाना पड़े,
बर्तन-कपड़े धुलने पड़ें,
डांट-फटकार सहना पड़े,
कहीं आने-जाने पे
पाबंदी लग जाए तो
क्या हाल होगा तुम्हारा ?

इसलिए आगे से
दोषारोपण करने से पहले
और
घड़ियाली आंसू
बहाने से पहले
सौ बार सोचना !

अपने पार्टनर को
इंसान समझिये,
मशीन नहीं !
साथी समझिये,
नौकरानी नहीं !
उसका हाथ बंटाइए,
फ़रमान मत सुनाइए !

उसकी आज़ादी
उसे दीजिये, क़ैद नहीं !

प्यार करिए,
दया मत दिखाइए !

अपना सब कुछ
छोड़ के आई है
इसलिए !
तुमसे अधिक आज़ादी,
हक़, बराबरी और सम्मान
डिज़र्व करती है लड़की
ये बात जिस दिन आपके
भेजे में घुस गयी, ज़िन्दगी बहुत
ख़ूबसूरत दिखने लगेगी!

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