2015-08-29

रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त

श्रावण पूर्णिमा के दिन शनिवार 29 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन दोपहर 1.50 बजे तक भद्राकाल होने के कारण राखी बांधने का शुभ मुहूर्त इसके बाद ही है। भद्राकाल में राखी बांधना शास्त्रों में वर्जित माना गया है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि भाई-बहन के पावन प्रेम के प्रतीक रक्षाबंधन पर इस बार भी लोगों को अपनी कलाई पर राखी बंधवाने के लिए दोपहर तक इंतजार करना पड़ेगा। यह संयोग ही है कि वर्ष 2013, 2014 के बाद अब 2015 में लगातार तीसरे साल रक्षाबंधन पर भद्रा की साया है। दोपहर 1.50 तक भद्रा होने की वजह से भाइयों की कलाइयां सज सकेंगी।

हिन्दू ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार भद्रा पर शुभ कार्य नहीं किए जाते। भद्रा में यात्रा, विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, रक्षाबंधन जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। भद्रा का संबंध सूर्य और शनि से है। शास्त्रनुसार यह त्योहार 1.51 बजे के बाद शुरू किया जाए तो अच्छा रहेगा। यदि परिस्थितिवश भद्रा काल में यह कार्य करना हो तो भद्रा मुख को त्यागकर भद्रा पुच्छ काल में इसे करना चाहिए। इस कारण से अत्यंत आवश्यक होने पर 29 अगस्त को सुबह 10.15 बजे से 11.16 बजे तक भद्रा पुच्छ काल में यह कार्य किया जा सकता है। जब भी कोई कार्य शुभ समय में किया जाता है, तो उस कार्य की शुभता में वृद्धि होती है। भाई-बहन के रिश्ते को अटूट बनाने के लिए राखी बांधने का मुहूर्त समय में करना चाहिए।


धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

रक्षा बंधन भाई और बहन के रिश्ते की पहचान माना जाता है। राखी का धागा बांध बहन अपने भाई से अपनी रक्षा का प्रण लेती है। यूं तो भाई-बहनों के प्रेम और कर्तव्य की भूमिका किसी एक दिन की मोहताज नहीं, लेकिन रक्षाबंधन के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की वजह से ही यह दिन इतना महत्वपूर्ण बना है। रक्षाबंधन के संदर्भ में भी कहा जाता है कि अगर इस पर्व का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व नहीं होता तो शायद यह पर्व अब तक अस्तित्व में रहता ही नहीं।

विधि-विधान 

आम प्रथा के अनुसार इस अवसर पर बहनें अपने भाई की दाहिनी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई बदले में उसकी जीवन भर रक्षा करने का वचन देता है । रक्षाबन्धन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्व है। इस दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर लड़कियां और महिलाएं पूजा की थाली सजाती हैं। राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक थाली में राखी के साथ रोली या हल्दी, चावल, दीपक और मिठाई होते हैं। लड़के और पुरुष स्नानादि कर पूजा या किसी उपयुक्त स्थान पर बैठते हैं। उन्हें रोली या हल्दी से टीका कर चावल को टीके पर लगाया जाता है और सिर पर छिड़का जाता है, उनकी आरती उतारी जाती है और तब दाहिनी कलाई पर राखी बांधी जाती है। रक्षाबंधन का अनुष्ठान पूरा होने के बाद ही भोजन किया जाता है।

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