2015-08-20

मूर्छा के प्रकार

काम, क्रोध और लोभ के कारण - आती मूर्छा और उसका इलाज.

१. आर्थिक मूर्छा याने लोभ है. जिसे लोभ हो उसे आर्थिक विवेक रहता ही नहीं. उसका निवारण समर्पण याने दान करने से होगा.


२. मानसिक मूर्छा याने काम. उसका इलाज है हरिनाम का ज्यादा स्मरण.


३. बौद्धिक मूर्छा याने क्रोध. बुद्धि के सहारे जीने वाला क्रोधित हो जाता है. इसका निवारण है किसी बोधमयी महापुरुष के साथ जीना.

यदि हम गहनता से सोचें तो काम, क्रोध, और लोभ-पूरी तरह से विकार की श्रेणी में नहीं आते। जब ये अपनी सीमा का उल्लंघन करते हैं या यों कहें जब इनकी अति होती है, तभी ये विकार बनते हैं। अन्यथा इनके बिना मानव अपना सांसारिक जीवन ही नहीं चला पाता। अति तो भोजन की भी दु:खदाई होती है। फिर इन्हें क्यों पहले से ही विकार की श्रेणी में मान लिया  जाये ?

काम या शक्ति के अभाव में पितृ ऋण से मुक्ति संभव नहीं है। क्रोध वह शक्ति है जो आवश्यकता पड़ने पर मानव को सुरक्षा प्रदान करता है। घर या किसी व्यवस्था में एक नियम-अनुशासन स्थापित करता है। लोभ एक आवश्यकता है, जिसके बिना पारिवारिक और सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वाह कठिन है। 

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