अनंतपुर, जिला आंध्र प्रदेश में झूलते पिलर (स्तम्भ) वाला लेपाक्षी मंदिर है |

विशाल मंदिर परिसर में भगवान शिवए भगवान विष्णु और भगवान वीरभद्र को समर्पित तीन मंदिर हैं। भगवान शिव नायक शासकों के कुलदेवता थे। लेपाक्षी मंदिर में नागलिंग के संभवतरू सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित है।
कैसे पड़ा 'लेपाक्षी' नाम
लेपाक्षी इलाके के नाम के पीछे एक कहानी है कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता यहां आए थे। सीता का अपहरण कर रावण अपने साथ लंका लेकर जा रहा था, तभी पक्षीराज जटायु ने रावण से युद्ध किया और घायल हो कर इसी स्थान पर गिरे थे। बाद में जब श्रीराम सीता की तलाश में यहां पहुंचे तो उन्होंने 'ले पाक्षी' कहते हुए जटायु को अपने गले लगा लिया। ले पाक्षी एक तेलुगु शब्द है जिसका मतलब है 'उठो पक्षी'।
अंग्रेजों ने की थी मिस्ट्री जानने की कोशिश
16वीं सदी में बने इस मंदिर के रहस्य को जानने के लिए अंग्रेजों में इसे शिफ्ट करने की कोशिश की, लेकिन वे नाकाम रहे थे। एक इंजीनियर ने इसके रहस्य को जानने के लिए मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया तो पाया कि मंदिर के सभी पिलर हवा में झूलते हैं। मंदिर को सन् 1583 में विजयनगर के राजा के लिए काम करने वाले दो भाईयों (विरुपन्ना और वीरन्ना) ने बनाया था। वहीं, पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इसे ऋषि अगस्त ने बनाया था।
लेपाक्षी मंदिर में हैं कई खास बातें
इस मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में किया गया। यह मंदिर भगवान शिव, विष्णु और वीरभद्र के लिए बनाया गया है। यहां तीनों भगवानों के अलग-अलग मंदिर भी मौजूद हैं। यहां बड़ी नागलिंग प्रतिमा मंदिर परिसर में लगी है, जो कि एक ही पत्थर से बनी है। यह भारत की सबसे बड़ी नागलिंग प्रतिमा मानी जाती है। काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी इस मूर्ति में एक शिवलिंग के ऊपर सात फन वाला नाग बैठा है। दूसरी ओर, मंदिर में रामपदम (मान्यता के मुताबिक श्रीराम के पांव के निशान) स्थित हैं, जबकि कई लोगों का मानना है की यह माता सीता के पैरों के निशान हैं।
देखिये इस मंदिर के चित्र -
No comments:
Post a Comment