2015-08-22

रब तेरे साथ है


एक अमीर ईन्सान था। उसने समुद्र मेँ अकेले घूमने के लिए एक नाव बनवाई। छुट्टी के दिन वह नाव लेकर समुद्र की सेर करने निकला। आधे समुद्र तक पहुंचा ही था कि अचानक एक जोरदार तुफान आया।

उसकी नाव पुरी तरह से तहस-नहस हो गई लेकिन वह लाईफ जैकेट की मदद से समुद्र मेँ कूद गया। जब तूफान शांत हुआ तब वह तैरता-तैरता एक टापू पर पहुंचा  लेकिन वहाँ भी कोई नही था। टापू के चारो और समुद्र के अलावा कुछ भी नजर नही आ रहा था। उस आदमी ने सोचा कि जब मैंने पूरी जिदंगी मेँ किसी का कभी भी बुरा नही किया तो मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ..?

उस ईन्सान को लगा कि खुदा ने मौत से बचाया तो आगे का रास्ता भी खुदा ही बताएगा। धीरे-धीरे वह वहाँ पर उगे झाड-फल-पत्ते खाकर दिन बिताने लगा।


अब धीरे-धीरे उसकी आस टूटने लगी, खुदा पर से उसका यकीन उठने लगा। फिर उसने सोचा कि अब पूरी जिंदगी यही इस टापू पर ही बितानी है तो क्यूँ ना एक झोपडी बना लूँ ......?


फिर उसने झाड की डालियो और पत्तो से एक छोटी सी झोपडी बनाई। उसने मन ही मन कहा कि आज से झोपडी मेँ सोने को मिलेगा आज से बाहर नही सोना पडेगा।


रात हुई ही थी कि अचानक मौसम बदला बिजलियाँ जोर जोर से कड़कने लगी.! तभी अचानक एक बिजली उस झोपडी पर आ गिरी और झोपडी धधकते हुए जलने लगी।


यह देखकर वह ईन्सान टूट गया। आसमान की तरफ देखकर बोला या खुदा ये तेरा कैसा इंसाफ है? तूने मुज पर अपनी रहम की नजर क्यूँ नहीं की?


फिर वह ईन्सान हताश होकर सर पर हाथ रखकर रो रहा था। कि अचानक एक नाव टापू के पास आई। नाव से उतरकर दो आदमी बाहर आये और बोले कि हम तुम्हे बचाने आये हैं।


दूर से इस वीरान टापू मे जलता हुआ झोपडा देखा तो लगा कि कोई उस टापू पर मुसीबत मेँ है। अगर तुम अपनी झोपडी नही जलाते तो हमे पता नही चलता कि टापू पर कोई है।


उस आदमी की आँखो से आँसू गिरने लगे। उसने खुदा से माफी माँगी और बोला कि "या रब मुझे क्या पता कि तूने मुझे बचाने के लिए मेरी झोपडी जलाई थी।यक़ीनन तू अपने बन्दों का  हमेशा ख्याल रखता है। तूने मेरे सब्र का इम्तेहान लिया लेकिन मैं उसका फ़ैल हो गया। मुझे माफ़ फरमा दे।"



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दिन चाहे सुख के हों या दुख के,
खुदा अपने बन्दों के साथ हमेशा रहता हैं।

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