कुछ दोस्त मिलकर दिल्ली घूमने का प्रोग्राम बनाते है और रेलवे स्टेशन से बाहर निकलकर एकआटो रिक्शा किराए पर लेते है , उस आटो रिक्शा का ड्राइवर बुढ्ढा सरदार था, यात्रा के दौरान बच्चो को मस्ती सूझती है और सब दोस्त मिलकर बारी बारी सरदार पर बने जोक्स को एक दुसरे को सुनाते है उनका मकसद उस ड्राइवर को चिढाना था .
लेकिन वो बुढ्ढा सरदार चिढना तो दूर पर उनके साथ हर जोक पर हस रहा था , सब साईट सीन को देख बच्चे वापस रेलवे स्टेशन आ जाते है …और तय किया किराया उस सरदार को चुकाते है , सरदार भी वो पैसे ले लेता है , पर हर बच्चे को अपनी और से एक एक रूपया हाथ में देता है एक लड़का बोलता है “बाबा जी हम सुबह से आपके धर्म पर जोक मार रहे है , आप गुस्सा तो दूर पर हर जोक में हमारे साथ हँस रहे थे , और जब ये यात्रा पूरी हो गई आप हर लडके को प्यार से एक-एक रूपया दे रहे है , ऐसा क्यों ? ” सरदार बोला ” बच्चो आप अभी जवान हो आपका नया खून है आप मस्ती नहीं करोगे तो कौन करेगा ? लेकिन मेने आपको एक-एक रूपया इस लिए दिया के जब वापस आप अपने अपने शहर जाओगे तो ये रूपया आप उस सरदार को दे देना जो रास्ते में भीख मांग रहा हो , इस बात को दो साल हो गए है और जितने लडके दिल्ली घूमने गए थे सब के पास वो एक रुपये का सिक्का आज भी जेब में पड़ा है …उन्हें कोई सरदार भीख मांगता नहीं दिखा।
वह गैरेज खोलेगा ट्रक चलाएगा लेकिन भीख नहीं माँगेगा। उनकी आबादी देश की आबादी की मात्र 1.4% हैं पर टोटल टैक्स में उनका हिस्सा 35% का हैं, और सेना में भी 50000 से भी अधिक हैं। उनके लंगरों में खाना खाने वालो की जाति और धर्म नहीं पूछा जाता अल्पसंख्यक हैं पर अपने लिए आरक्षण नहीं माँगते स्वंत्रता आन्दोलन में सबसे अधिक अपने बेटो को खोया हैं पर कभी बदले में कुछ माँगा नहीं क्या बाकी के धर्म वाले उनसे कुछ सीखेंगे ??
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