2014-11-19

भगवान् के गुणों का तत्व - रहस्य


भगवान् के गुणों का तत्व - रहस्य 

भगवान् सम्पूर्ण धर्म , ऎश्वर्य ,यश ,श्री ,ज्ञान , वैराग्य ,त्याग , प्रेम,दया , विनय ,करुणा, क्षमा , शांति ,सत्य ,संतोष ,सरलता ,कोमलता , उदारता ,भक्तवत्सलता , धीरता ,वीरता, गम्भीरता ,निर्भयता , बुद्धिमता ,सहजता , इत्यादि अनंत गुणों के महान सागर हैं। भगवान् के गुणों का तत्व यह है की स्वयं भगवान् ही इनसब दिव्य गुणोंके रूप में प्रकट हुए हैं, अतः वे गुण भगवान् से अभिन्न हैं। जैसे भगवान् दिव्य चिन्मय हैं , वैसे ही उनके गुण भी दिव्य चिन्मय हैं ,यह समझना ही भगवान् के गुणों का तत्व समझना है .

मनुष्यों में जहाँ जो भी गुण दिखलायी पड़ते हैं , वे परिमित , एकदेशीय ,प्राकृत ,लौकिक ,अल्प और जड़ हैं ; किन्तु भगवान् के गुण अपरमित ,अनंत अप्राकृत , अलोकिक , महान दिव्य और चिन्मय हैं। सारे ब्रह्माण्ड के गुण मिलकर भी उन गुणसागर भगवान् के गुणों की इक बूंद का आभासमात्र ही हैं --यह समझना ही गुणों का रहस्य समझना है।

जो मनुष्य भगवान् के गुणों का तत्व - रहस्य समझ जाता है -उसमें भी भगवान् के गुण आजाते हैं , जिसके प्रभाव से उसको शीघ्र ही भगवत्प्राप्ति हो जाती है --

साआभार आत्मोद्धार के सरल उपाय

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