जो दूसरो को विना कारण सताता है दुःखी करता है, वह सदैव दूसरों के लिए निन्दनीय होता है, और रोगादि होने से उसकी आयु क्षीण हो जाती है। ऐसा व्यक्ति कभी सम्माननीय नहीं हो सकता। कई बार जैसा कि आजकल राजनीति में ऐसे लोगों का सम्मान होता दिखाई देता है किन्तु यह क्षणभंगूर है, पोल खुलने पर ऐसे लोगों को सारी उम्र निन्दा ही मिलती है। इसलिए हमें दुष्ट कर्म छोडकर सदैव अच्छे कर्म करने चाहिए।
नैतिक जीवन और आत्म - निरिक्षण
आध्यात्मिक रूपसे विकास करने के लिए नैतिक जीवन जीना एक मुलभुत आवश्यकता है। पुरातन कल से ही संत - महापुरुष नैतिक गुणों से भरपूर जीवन जीने को ही महत्त्व देते थे। यदि हम प्रत्येक दिन के अंत में अपने विचारों ,वचनों और कार्यों का निरिक्षण करें तथा अहिंसा ,सच्चाई ,पवित्रता ,नम्रता और निष्काम सेवा के क्षेत्र में स्वयं द्वारा हुई गलतियों का अनुभव करें ,तो हम अगले दिन अपनी गलतियां सुधारने और अच्छा व्यहार करने के लिए प्रेरित होगें।
अंधे के लॉकेट को लंगडा ले कर भाग गया और गूंगे ने देख लिया कि उसके लॉकेट को लंगडा ले कर भाग गया। तो बताओ गूंगे ने अंधे को कैसे बताया ?? है कोई बताने वाला???अज्ञात
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