तुम अब भी मेरे
दोस्त हो
तेरे भी कुछ फ़साने हैं,मेरे भी कुछ फ़साने हैं.
चुप रहने के लिए तो,सेंकडो बहाने है.
दो बात मैं कहूं,दो बात तुम कहो.
बेजुबान रहने से,कहाँ बनते तराने हैं.
चलो इस ख़ामोशी को,मैं ही तोड़ता हूँ.
उन यादों का वास्ता दे,टूटे दिल फिर जोड़ता हूँ.
पर जवाब देना तो,तुम्हारा भी बनता है.
दोस्ती में छप रहनानहीं चलता है.
उस नुक्कड़ की चाय कोफिर बाँट लेते हैं,
साथ इमली के चूरन कोफिर चाट लेते हैं.
यूँ आटने-बाटने मेंही समय गुज़ार लेंगे
तुझे दोस्त कहकरफिर पुकार लेंगे
पियूष अग्रवाल
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