2014-11-18

जब सहा जिसने अकेले ही सहा

मोतियों की मालिका मैंने कहीं ,
आँख से जब दर्द की बूदें बहीं ,
ले इन्हें घूमा बहुत संसार में ,
आँसुओं का मूल्य जग में कुछ नहीं। 
साथ किसका कौन देता है यहाँ ?
काम किसके कौन आता है कहाँ ?
भीड़ को साथी समझना भूल है ,
जब सहा जिसने अकेले ही सहा। 


 हरिवंश राय बच्चन

No comments:

Post a Comment