सुविचार
अपने लिए सत्य की स्वयं उपलब्धि करो,फिर उसे तर्क की
कसौटी पे कसो।इसी को अनुभूति कहते है। किसी के कह देने मात्र से बात सच नही हो
जाती ।
हम एक साथ तीनों
काल मे जीते है ... निराशा के समय अतीत मे ! चिंता के वक्त भविष्य मे !! शांतचित्त हो तो वर्तमान मे ...!!!
तय हमको ही करना
है कि हम किस काल मे जीना चाहते है
वक्त के साथ हर
कोई बदल जाता है, गलती उसकी नहीं जो बदल जाता है, बल्कि गलती उसकी है जो पहले जैसा रह जाता
है ~ स्वामी
विवेकानन्द जी
कुछ लोग ठीक वैसे
ही होते हैं, मानो कड़वा खीरा; जिसके पिछवाड़े को काट कर फेंक दिया जाता
है, अन्यथा वो जीभ का
स्वाद खराब कर देते हैं।
मूर्ख को मसझावते ज्ञान गांठ को जाय ,कोयला होवे ना
ऊजला सौ मन साबुन खाय। हम तो दुश्मन को भी पाक सजा देते ,हाथ उठाते नहीं
नज़रों से गिरा देते।
36 गुणमें से कम से कम 19 गुण शादी के लिए मिलाने पड़ते हैं, लेकिन मित्रता
में अगर कोई दो 'अवगुण' (सिगरेट, शराब आदि )
मिल गए तो कुछ
घंटो में अटूट प्रेम हो जाता है।
जिन्होंने जीवन
में शिष्टाचार और नम्रता नहीं सीखी ...उनका जीवन में बहुत कुछ सीखना भी व्यर्थ
है ...अज्ञात
ये धरती वही
रहेगी ये आसमां भी वही रहेगा मगर अपना निशां नही रहेगा कुछ दुर तक चलकर गुम हो
जाएंगे यही कहीं..!!
ये धरती ये चाँद
और सितारे...
अब मंगल पे भी पहुंच गये कदम हमारे
पल पल मरती इंसानियत पल पल टूटता भरोसा.. चलोगे अब किसके सहारे
लो, आज हम भी उनकी
बातों में आ गए
यह जानते हुए भी, कि - वे दगाबाज हैं ?
जिनकी खुद की, अकल नहीं है
ठिकाने पे
चेले उतारू हैं उन्हीं को गुरु बनाने पे ??
मौज भी अपनी है, औ मस्ती भी है
अपनी------------
कर्म भी अपने हैं औ भूमि भी है अपनी,
आओ … चलें … बढ़ें … ढूंढें … हीरे-मोती …
हम, अपनी ही जमीं में और, करें साकार … कर्म … अपने-अपने !
अभिमानं सुरापानं
गौरवं रौरवस्तथा /
प्रतिष्ठा शूकरी विष्टा त्रीणि त्यत्त्वा
सुखी भवेत् //
अभिमान करना मदिरा पान करने के समान है. गौरव की इच्छा करना यह रौरव नरक में जाने
के समानहै. प्रतिष्ठा की चाह रखना सूअर की विष्टा के संग्रह करने के समान है. इन तीनों का त्याग करके सुखी होना चाहिए.
कुछ इस कदर, कुछ इस तरह का, गुमाँ है उन्हें 'विजय'
शाम, शमा, दीप, रौशनी, सब खुद को समझते हैं वो ?
सच !
तेरे इल्जामों से, हमें कोई परहेज
नहीं है
हम जानते हैं, तू आज भी मौक़ा न
चूकेग़ा ??
सिर्फ एक तुझसे अब तक मिजाज नहीं मिल पाये
हैं
अपने वर्ना किसी से भी तू पूंछ कर देख कितने लजीज हैं हम ?? …
जीवन का फंडा ! कभी अपने ऊपर घमंड हो तो अपने से
ऊपर वाले की तरफ देखिये, सारा घमंड चूर हो
जायेगा।
और कभी अपने आप पर हीनता महसूस हो तो अपने
से
नीचे वाले की तरफ देखिये, आत्मविश्वास आ
जायेगा...!!
कांटों की डगर पर
कभी न रुकिए, धीरे धीरे ही सही चलते रहिए,........ कल फिर मिलेंगे एक नई सुबह के साथ
अगर एक हारा हुआ
इंसान हारने के बाद भी हँसता रहे तो जीतने वाला अपनी जीत की ख़ुशी खो देता है क्योंकि, मुस्कान में बहुत शक्ति होती है आपका भी
जीवन मुस्कानों से भरा रहे------
लोग ट्रेफिक के
रेड सिगनल में रुके या ना रुके पर बिल्ली के रास्ता काटने पर जरुर रुक
जाते है ।।
आज के युग मे एक इंसान ही दुसरे इंसान का
रास्ता काट रहा है बिल्लियाँ तो खामखा बदनाम हैं।
एक साहब बता रहे
थे कि उनकी जिंदगी में सब बढ़िया है सिर्फ वो अपनी बीबी, साले और पड़ोसी से
परेशान है लेकिन सब बढ़िया हैं
आपका अपना जीवन
है ...! अपनी यात्रा ...!! ये जरूरी नही कोई दूसरा इसे समझे ...!!! इसकी परवाह किए बिना ही आप अपनी यात्रा जारी रखे ...!!!!पर ऐसी राह चुनिये जो सही हो और उठने वाला
पाँव भी सही हो – शुभदिन -----
आपकी जीवन यात्रा
सुखद एवं जनकल्याणकारी हो
आपको कौन मिलता
है,यह समय तय करता
है आप उनमें किसका साथ चाहते है,यह आप तय करते है,और उनमें से कौन
आपके साथ रहता है,यह आपका व्यहार तय करता है!
सत्य वह धन है, जिसे पहले व्यय (खर्च) करो और जीवन-काल (जिंदगी) भर आनंद पाओ, असत्य (झूठ) वह ऋण है जिससे क्षणिक सुःख पाओ पर जिंदगी भर चुकाते रहो |
अगर आपकी ख़ुशी
किसी और पर निर्भर करती है तो आप के साथ कोई विकट समस्या है।अपने अन्दर झांको खुद
से बड़ा शुभचिन्तक और मित्र नहीं मिलेगा कोई।
मुश्किल दुनिया
में कुछ नहीं फिर भी लोग इरादे तोड़ देते हैं
अगर सच्चे दिल से हो चाहत कुछ पाने की तो रास्ते के पत्थर भी अपनी जगह छोड़ देते
हैं
हमारे कर्मो के
निशान सदा मौजूद रहते है ! ये निशान कैसे हो ? अच्छे या बुरे ये तो आपके व्यवहार / आपके आचरण पर निर्भर करता है !!! हम जो करेगे / जैसा करेगे ?? उसी का प्रतिबिंब होते है ये निशान !! प्रयास होना चाहिए कि ये अच्छे हो । वैसे
आप जैसा चाहे ये वैसे ही होगे –
कभी कभी आपको
लगता है के आप किसी को भ्रम में रखने में कामयाब हो रहे हैं लेकिन हकीक़त में आप
खुदको भ्रम में रख रहे होते हैं..
अपनी समझ से समझा
ना सके,उनकी समझ से समझे
ना! कारण बस एक बही,खुद को कोई ना समझ समझे ना!! दुनिया!!
आजकल हर काम में
मुफ्त की राय -सलाह देने वाले कुछ ज्यादा ही सक्रीय हो
गए है ----
इसलिए कहना पड़ रहा है -------------------------
यदि कार्यो के हिसाब से इंसानों के नाम
रखे जाये तो 90 प्रतिशत भारतीयों का नाम "रायचंद" रखा जायेगा ...
परिस्थितियाँ जब
विपरीत होती हैं ...
तब व्यक्ति का "प्रभाव" और "पैसा" नहीं...
"स्वभाव"
एवम् "सम्बन्ध" काम आते हैं।
परमेश्वर ने जीभ
देकर मनुष्य को वाणी दी, तब मनुष्य ने उसी जीभ से प्रश्न किया : "अरे, कहा है परमेश्वर ?"
सदविचार की सादगी
आनंद धन की खान!
आनंद सहित बाँटिए सब से एक समान!
पल पल बढ़े,मान चाहे ना मान!!
ना समझी अनेकों पग डंडीयाँ बना देती है!
समझ आने पर सनातन मार्ग मिला देती हैं!! पँथ अनेक धर्म ऐक!!
हम एक साथ तीनों
काल मे जीते है ... निराशा के समय अतीत मे ! चिंता के वक्त भविष्य मे !! शांतचित्त हो तो वर्तमान मे ...!!! तय हमको ही करना है कि हम किस काल मे जीना चाहते है _
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