"ना खुशी खरीद पाता हूॅ ....
और ना गम बेच पाता हूॅ !
और ना गम बेच पाता हूॅ !
फिर भी ना जाने क्यूॅ ......
हर रोज बाजार जाता हूॅ.....!
हर रोज बाजार जाता हूॅ.....!
नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है..
लोग "रूलाना" नहीं छोडते.. और हम "हॅसना" नहीं छोडते...
लोग "रूलाना" नहीं छोडते.. और हम "हॅसना" नहीं छोडते...
No comments:
Post a Comment