बाटी खाने के नियम:-
(1) बाटी जीन्स पेन्ट पहन कर नही खानी चाहिए । बैठने में तकलीफ होती है,बाटी कम भाती है।
(2) बाटी खाते वक्त मोबाइल का स्विच ऑफ रखे। बात करने से पेट में हवा जाती हैं ।जिससे एक बाटी कम खाई
जाती हैं ।
(3) बाटी खाते वक्त सुई गिरने जितनी भी आवाज नही आनी चाहिए। खाते वक्त कोई बच्चा आवाज करे
तो उसे भी लप्पड़ मेल देनी चाहिए बगैर रहम करे।
(4) बाटी खाते वकत पंखा पास में होना चाहिए।
(5) बाटी खाते वक्त घी की बाल्टी फुल होनी चाहिएl जितना घी जाएगा बाटी के साथ, उतनी तरावट रहेगी और कुम्भकर्ण के जैसे नींद आएगी एक दम टेंशन फ्री।
(6) बाटी खाने के बाद मिथुन चक्रवर्ती की पिक्चर नही देखनी चाहिए उससे माथा खराब रहता हैं ,खोपड़ी घनचक्कर हो जाती है।
बाटी की महिमा:-
सोमवार हो या रविवार रोज खाओ बाटी दाल। जिस दिन घर पे बाटी बनती हैं उस दिन घर में खुशी का माहौल रहता हैं। बच्चे भी सभी काम पे लग जाते हैं कोई कांदा काटने लग जाता हैं कोई चटनी घाेटता हैं । कोई कड़ी पत्ता लेने चला जाता हैं ।
कोई अपने आप को दाल बनाने का उस्ताद जता कर दाल की वाट लगाता है। बाटी खाने के बाद दाल बाटी और लड्डू की तारीफ़ करने से पुण्य मिलता है और अनेकानेक जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं।
कहीं कहीं तो बाटी की धूप भी लगाते हैं। पांच पकवान की तरह मानते हैं। बाटी खाने के बाद आदमी को ऐसा लगता हैं की मेरे उपर कोई कर्जा नही हैं ।
बामण गुरु के अनुसार बाटी खाने का दिन रविवार सही हैं। लगातार सात दिन तक बाटी खाने से गंगा जी के घाट
पर हज़ार बामणाे का लंगर कराने और सौ गायो का दान करने बराबर पुन्य लगता हैं ।
"पिज़ा बर्गर छोड़ो, देसी खाना खाओ।
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