एक बार एक किसान का घोडा बीमार हो गया।
उसने उसके इलाज के लिए डॉक्टर को बुलाया।
डॉक्टर ने घोड़े का
अच्छे से मुआयना किया और बोला,
"आपके घोड़े को काफी गंभीर बीमारी है। हम
तीन दिन तक इसे दवाई देकर देखते हैं, अगर यह ठीक हो गया तो ठीक नहीं तो हमें
इसे मारना होगा। क्योंकि यह बीमारी दूसरे जानवरों में भी फ़ैल सकती है।"
यह सब बातें पास में
खड़ा एक बकरा भी सुन रहा
था।
अगले दिन डॉक्टर आया, उसने घोड़े को दवाई दी चला गया। उसके जाने के बाद बकरा घोड़े के
पास गया और बोला, "उठो दोस्त, हिम्मत करो, नहीं तो यह तुम्हें मार देंगे।"
दूसरे दिन
डॉक्टर फिर आया और दवाई देकर चला गया।
बकरा फिर घोड़े
के पास आया और बोला, "दोस्त तुम्हें उठना ही होगा। हिम्मत
करो नहीं तो तुम मारे जाओगे। मैं तुम्हारी मदद करता हूँ। चलो उठो"
तीसरे दिन जब
डॉक्टर आया तो किसान से बोला, "मुझे अफ़सोस है कि हमें इसे मारना पड़ेगा क्योंकि कोई भी सुधार नज़र नहीं आ रहा।"
जब वो वहाँ से
गए तो बकरा घोड़े के पास फिर आया और बोला, "देखो दोस्त, तुम्हारे लिए अब करो या मरो वाली स्थिति बन गयी है। अगर तुम आज भी नहीं उठे
तो कल तुम मर जाओगे। इसलिए हिम्मत करो। हाँ, बहुत अच्छे। थोड़ा सा और, तुम कर सकते हो। शाबाश, अब भाग कर देखो, तेज़ और तेज़।"
इतने में किसान
वापस आया तो उसने देखा कि उसका घोडाभाग रहा है। वो ख़ुशी से झूम उठा और सब घर वालों को इकट्ठा कर के चिल्लाने लगा, "चमत्कार हो गया। मेरा घोडा ठीक हो गया।
हमें जश्न मनाना चाहिए।आज बकरे का गोश्त खायेंगे।"
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