2014-10-24

एक दीप ऐसा भी हो

आइए इस दीपोत्सव पर सब मिलकर दीपों की अवली बनाते हैं :-
एक दीप ऐसा भी हो,
जो भीतर तक प्रकाश करे ,
एक दीप मुर्दा जीवन में,
फिर आकर कुछ श्वास भरे,
एक दीप हो अहंकारी,
रावण को मार गिराने का,
एक दीप श्री रामचंद्र के,
अयोध्या लौट के आने का,
एक दीप माँ शारदा का जो,
सद्बुद्धि में वास करें,
एक दीप माँ लक्ष्मी का जो,
हम सबके भंडार भरें,
एक दीप जो सत्य के पथ को,
सदा आलोकित करता हो,
एक दीप जो दिव्य गुणों से,
हमें सुशोभित करता हो,
एक दीप माता को अर्पण,
जो संसार में लाई है,
एक दीप हो नाम पिता के,
जिसने दुनिया दिखाई है,
एक दीप हो निर्मल ऐसा,
जैसा साधु का जीवन,
एक दीप हो वैभवशाली,
जैसे देवों का उपवन,
एक दीप सब भेद मिटाए,
क्या तेरा क्या मेरा है,
एक दीप जो स्मरण कराए,
हर रात के बाद सवेरा है,
एक दीप हो उनकी खातिर
जिनके घर में दीप नहीं,
एक दीप उन बेचारों का
जिनको घर ही नसीब नहीं,
एक दीप सीमा के रक्षक,
अपने वीर जवानों का,
एक दीप मानवतावादी,
चंद बचे इंसानों का,
एक दीप विश्वास दे उनको ,
जिनकी हिम्मत टूट गई,
एक दीप उस दिशा में भी हो ,
जो कल पीछे छूट गई,
एक दीप जो अंधकार का,
जड़ों समेत विनाश करे,
एक दीप ऐसा भी हो,
जो भीतर तक प्रकाश करे,
प्रकाशोत्सव "दीपावली" पर हार्दिक शुभकामनाएँ।

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