सुहागिनों का महत्वपूर्ण त्योहार माना गया है। इस पर्व पर महिलाएं हाथों में मेहंी रचाकर, चूड़ी पहन व सोलह श्रृंगार कर अपने पति की पूजा कर व्रत का पारायण करती हैं।
सुहागिन या पतिव्रता स्त्रियों के लिए करवा चौथ बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। यदि दो दिन की चंद्रोदय व्यापिनी हो या दोनों ही दिन, न हो तो 'मातृविद्धा प्रशस्यते' के अनुसार पूर्वविद्धा लेना चाहिए।
करवा चौथ पर्व पर महिलाएं हाथों में मेहंदी रचाकर,चूड़ी पहन व सोलह श्रृंगार कर अपने पति की पूजा कर व्रत का पारायण करती हैं।
क्यों होती है करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा ?
उपनिषद् के चंद्रमा पुरुष रूपी ब्रह्मा का रूप है जिसकी उपासना करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। चंद्रमा को लंबी आयु का वरदान मिला है जिसके पास रूप, शीतलता और प्रेम और प्रसिद्धि है इसलिए सुहागिन स्त्रियां चंद्रमा की पूजा करती हैं जिससे ये सारे गुण उनके पति में भी आ जाए। चंद्रमा शांति प्रदान करता है और मानसिक शांति से संबंध मजबूत होते हैं। चंद्रमा शिव जी की जटा का गहना है इसलिए दीर्घायु का भी प्रतीक है।
करवा चौथ व्रत विधि
1. व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें-
'मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।'
2. पूरे दिन निर्जला रहें।
3. दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें। इसे वर कहते हैं। चित्रित करने की कला को करवा धरना कहा जाता है।
4. आठ पूरियों की अठावई एवं हलुआ बनाएं। पक्के पकवान भी बनाएं।
5. पीली मिट्टी से गौरी बनाएं और उनकी गोद में गणेशजी बनाकर बिठाएं।
6. गौरी को लकड़ी के आसन पर बिठाएं। चौक बनाकर आसन को उस पर रखें। गौरी को चुनरी ओढ़ाएं। बिंदी आदि सुहाग सामग्री से गौरी का श्रृंगार करें।
7. जल से भरा हुआ लोटा रखें।
8. वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें।
9. रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं।
10. गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें। पति की दीर्घायु की कामना करें।
'नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥'
11. करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें।
12. कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपनी सासुजी के पैर छूकर आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें।
13. तेरह दाने गेहूं के और पानी का लोटा या टोंटीदार करवा अलग रख लें।
14. रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
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