2014-10-27

मेरी बगिया के अमरुद

मेरी बगिया के अमरुद
छाँव में बैठी भौजाई
अमरुद तो बहाना था
उनपे रौब जमाना था
मैंने कहा देखो भौजाई 
फल सुन्दर पर सड़े हैं भाई
ये सुंदरता किस काम की
भौं सिकोड़ती,आँखें लाल
लगता नोचेगी मेरे बाल
वाचाल मनीष अब कोका था
उनने कहा मैं भी सुन्दर
अर्द्धांगनी मै भैया की
१६ श्रृंगार वाली तस्वीर मेरी
दिखाउंगी पागल कर जाउंगी
स्त्री का गुलाम रहता पुरुष
मुझको देख, रहेगा तू खुश
अब तो भड़क गया था मै
मैंने कहा चिडिओ को देख
तोता का फूटा कंठ सुंदर दीखता
तोती तो उसके सामने न टिकती
पुरुष गौरैया स्त्री से सुंदर दीखता
शेर और शेरनी में कौन सुंदर बता
भौजाई तू तो तन से सुन्दर ठहरी
मनीष तो मन का सुन्दर,,शहरी
स्त्रिओं को तो वस्त्र सुन्दर बनाते
पुरुष को तो पौरुष महान बनाते
आवक भौजाई अब शांत हुई
फिर कहा जा भैया को त्याग दे
घर छोड़ दरी-कमंडल थाम ले
तमतमाए चेहरे पे थी अब लाली
कहा देवर जी आप की बात निराली
कर लो शादी तैयार है भैया की शाली !!

मनीष राज गौतम

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