2014-10-14

रिश्तों के पुल

दो भाई साथ साथ खेती करते थे। मशीनों की भागीदारी और चीजों का व्यवसाय किया करते थे। चालीस साल के साथ के बाद एक छोटी सी ग़लतफहमी की वजह से उनमें पहली बार झगडा हो गया था झगडा दुश्मनी में बदल गया था।

एक सुबह एक बढई बड़े भाई से काम मांगने आया. बड़े भाई ने कहा “हाँ ,मेरे पास तुम्हारे लिए काम हैं। उस तरफ देखो, वो मेरा पडोसी है, यूँ तो वो मेरा भाई है, पिछले हफ्ते तक हमारे खेतों के बीच घास का मैदान हुआ करता था पर मेरा भाई बुलडोजर ले आया और अब हमारे खेतों के बीच ये खाई खोद दी, जरुर उसने मुझे परेशान करने के लिए ये सब किया है अब मुझे उसे मजा चखाना है, तुम खेत के चारों तरफ बाड़ बना दो ताकि मुझे उसकी शक्ल भी ना देखनी पड़े."

“ठीक हैं”, बढई ने कहा। 

बड़े भाई ने बढई को सारा सामान लाकर दे दिया और खुद शहर चला गया, शाम को लौटा तो बढई का काम देखकर भौंचक्का रह गया, बाड़ की जगह वहा एक पुल था जो खाई को एक तरफ से दूसरी तरफ जोड़ता था. इससे पहले की बढई कुछ कहता, उसका छोटा भाई आ गया।


छोटा भाई बोला “तुम कितने दरियादिल हो , मेरे इतने भला बुरा कहने के बाद भी तुमने हमारे बीच ये पुल बनाया, कहते कहते उसकी आँखे भर आईं और दोनों एक दूसरे के गले लग कर रोने लगे. जब दोनों भाई सम्भले तो देखा कि बढई जा रहा है।

रुको! मेरे पास तुम्हारे लिए और भी कई काम हैं, बड़ा भाई बोला। 

मुझे रुकना अच्छा लगता ,पर मुझे ऐसे कई पुल और बनाने हैं, बढई मुस्कुराकर बोला और अपनी राह को चल दिया.

दिल से मुस्कुराने के लिए जीवन में पुल की जरुरत होती हैं खाई की नहीं। छोटी छोटी बातों पर अपनों से न रूठें।
"दीपावली आ रही है घरेलू रिश्तों के साथ साथ सभी दोस्ती के रिश्तों पर जमी धूल भी साफ कर लेना, खुशियाँ चार गुनी हो जाएंगी"

जय श्री राम

आने वाले दिन आप सभी के लिए खुशियाँ ले कर आए।

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